RANCHI : शिक्षाविद और जनजातीय भाषा और संस्कृति के पुरोधा रहे डॉ रामदयाल मुंडा की 77 वीं जयंती पर रांची यूनिवर्सिटी के आर्यभट्ट ऑडिटोरियम में मंगलवार को कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर गवर्नर द्रौपदी मुर्मू ने डॉ राम दयाल मुंडा को अनमोल रत्‍‌न बताया। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटीज में जनजातीय भाषाओं का अलग अलग विभाग खोलने तथा शिक्षकों की कमी दूर करने की जाएगी। गवर्नर ने युवाओं से अपील की कि वे अपनी भाषा व सभ्यता-संस्कृति को समाप्त नहीं होने दें।

विदेशों में पहुंचाया झारखंडी संस्कृति

इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा ने कहा कि डॉ राम दयाल मुंडा ने झारखंड की सांस्कृतिक महक को विदेशों तक पहुंचाया है। अब हमें उनके अधूरे सपने के पूरा करना है। विदेश में शिक्षा ग्रहण एवं अध्यापन कार्य करने के बावजूद डॉ मुण्डा अपनी सहजता के कारण आमलोगों में लोकप्रिय थे। उन्होंने जनमानस में अपनी अलग पहचान बनाई। राज्य की संस्कृति, संगीत व लोककला के उत्थान हेतु उन्होंने अपना समस्त जीवन समर्पित कर दिया।

अपनी माटी से था लगाव

इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि रांची यूनिवर्सिटी से मानव विज्ञान से एमए की पढ़ाई के बाद हायर स्टडी व रिसर्च के लिए वे विदेश चले गए। वे वहां एसोसिएट प्रोफेसर भी रहे, यहां की सभ्यता- संस्कृति को कभी नहीं भूले। उनका अपनी माटी से असीम लगाव था, इसी वजह से अपने वतन लौट आए।

कांग्रेस ने भी दी श्रद्धांजलि

पूर्व सांसद रामदयाल मुंडा की जयंती रांची के प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में भी मनायी गयी। इस अवसर पर कांग्रेसजनों ने स्वर्गीय मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि डॉ मुंडा ने झारखंडी संस्कृति को विश्व पटल पर पहचान दिलाया। उन्होंने कला, शिक्षा और जनजातीय भाषा के विकास और संरक्षण के लिए जीवन पर्यन्त काम किया।