हार्ट अटैक, डायबिटीज, हाई बीपी-कोलेस्ट्राल, ब्रेन स्ट्रोक व हायपरटेंशन से बचाव

र्यूमेटॉयड ऑर्थराइटिस, सीओपीडी, ज्वाइंट पेन और मोटापा से भी बचाए साइकिलिंग

<हार्ट अटैक, डायबिटीज, हाई बीपी-कोलेस्ट्राल, ब्रेन स्ट्रोक व हायपरटेंशन से बचाव

र्यूमेटॉयड ऑर्थराइटिस, सीओपीडी, ज्वाइंट पेन और मोटापा से भी बचाए साइकिलिंग

BAREILLY:

BAREILLY:

रोजाना साइकिल पर पैडल मारने की आदत अगर आपकी जिंदगी में शामिल नहीं है, तो यह खबर खास आपके लिए ही है। रेगुलर साइकिल चलाने वालों के मुकाबले साइकिल न चलाने वालों को गंभीर बीमारियों के खतरे ज्यादा हैं। मेडिकल एक्सपर्ट के मुताबिक साइकिल की सवारी की आदत 70 फीसदी बीमारियों को दूर रखने में कारगर है। इनमें मोटापा और ज्वाइंट पेन से लेकर डायबिटीज, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और सीओपीडी जैसी खतरनाक व जानलेवा बीमारी भी शामिल है। बाइकाथॉन मुहिम के जरिए साइकिल से सेहत दुरुस्त रखने के लिए पब्लिक अवेयरनेस पर आईनेक्स्ट की यह खास रिपोर्ट।

हार्ट डिजीज व डायबिटीज

हाई कोलेस्ट्रॉल व हार्ट अटैक के खतरे को कम करने में साइकिलिंग अहम है। साइकिलिंग से कैलोरी बर्न होती है। इससे शरीर में जमा खराब फैट और खराब कोलेस्ट्रॉल भी बर्न हो जाता है। इससे हार्ट की नसों में कोलेस्ट्रॉल नही जमता। जिससे हार्ट डिजीज के खतरे नहीं होते। वहीं साइकिलिंग के चलते मेटाबॉलिज्म तेज होता है। साथ ही बेसेल मेटाबॉलिक रेट भी बढ़ जाता है। इससे एक ओर तो शरीर में जमा कैलोरी तेजी से खर्च होती है। वहीं एक्सट्रा कैलोरी भी बर्न हो जाती है। इसके अलावा पैंक्रियाज स्टिमुलेशन ज्यादा होने से शरीर में इंसुलिन की मात्रा ज्यादा बनती है। जिससे डायबिटीज होने की आशंका नहीं रहती।

हायपरटेंशन व सीओपीडी

साइकिलिंग के चलते ब्लड सर्कुलेशन नॉर्मल रहने से आर्टिरीज में रुकावट नहीं होती। वहीं आर्टिरीज फ्लेक्सिबल रहती है। जिससे बीपी की आशंका नहीं रहती। इससे हायपरटेंशन और फिर इससे होने वाले ब्रेन स्ट्रोक का खतरा घट जाता है। क्रॉनिकल ऑब्स्ट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज या सीओपीडी में सांस की नली में सिकुड़न आ जाती है। इससे शरीर में हवा का फ्लो नहीं होता। साइकिलिंग में लगने वाली मेहनत से रेस्पिरेटरी एक्सरसाइज होती है। इससे लंग्स में ऑक्सीजन का इनटेक भरपूर होता है। जिससे सीओपीडी का खतरा नहीं रहता। सुबह की खुाली हवा में साइकिल चलाना इसीलिए ज्यादा फायदेमेंद माना गया है।

ज्वाइंटपेन व आॅर्थराइटिस

साइकिलिंग की आदत ज्वाइंट पेन की दिक्कत नहीं होने देती। साइकिलिंग के दौरान घुटनों का मूवमेंट लगातार होता है। जिससे ब्लड का सर्कुलेशन घुटनों में बढ़ता है। इससे घुटनों में पाया जाने वाला साइनोवियल फ्ल्युड का ज्यादा सेक्रिशन होता है और घुटने मजबूत रहते हैं। वहीं लिगामेंट्स भी डिजेनरेट होने से बचते हैं। वहीं साइकिल की सवारी र्यूमेटॉयड ऑर्थराइटिस के खतरे को भी खत्म कर देती है। यह एक ऐसी बीमारी है। जिसमें बॉडी में बनने वाले एंटीबॉडी अपने ही ज्वाइंट को नुकसान पहुंचाते हैं। फिजिकल एक्टिविटी न होने से बॉडी आराम मोड में पड़ी रहती है तो इस बीमारी का असर ज्यादा बुरा होता है। साइकिलिंग से ज्वाइंट की मूवमेंट ज्यादा होने से हानिकारक एंटीबॉडी के बनने की प्रोसेस में कमी आती है।

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साइकिलिंग की रेगुलर एक्सरसाइज से हार्ट अटैक, डायबिटीज, सीओपीडी व हायपरटेंशन समेत करीब 70 फीसदी बीमारियों से बचाव होता है। साइकिल चलाने से निकलने वाला पसीना किडनी को हेल्दी रखने में भी मदद करता है। वहीं मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ाकर मोटापे की बीमारी को दूर रखता है।

- डॉ। राजीव गोयल, सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट