ऐसी है जानकारी
गौरतलब है कि यह घर शबाना के दिवंगत पिता कैफी आजमी का है। मिजवान (आजमगढ़) स्थित इस मकान के लिए आजमी परिवार को कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। कैफी इस घर को फिर से पाना चाहते थे, लेकिन उनके जीवित रहते यह संभव ना हो सका। उनके बाद उनकी बेटी शबाना ने यह लड़ाई जारी रखी।

जीत गईं लड़ाई
आखिरकार वो लड़ाई जीत गईं। मकान फिर से आजमी परिवार को दे दिया गया है। इस बारे में शबाना आजमी का कहना है कि उनके पिता ऐसे नहीं थे, जो किसी के भी साथ विवाद करें। वो बहुत ही शांतिप्रिय इंसान थे। वो उन लोगों के प्रति भी विनम्र ही थे, जो उनके  घर मैं गैरकानूनी ढंग से आकर रहने लगे थे। वो चिंता करते थे कि उनके ही लोगों को वो कैसे दुख देंगे। उन्होंने कहा कि उनकी सादगी का सभी ने गलत फायदा उठाया। हालांकि 38 साल के संघर्ष के बाद आज वह बेहद खुश हैं।

शबाना ने कहा
उन्होंने ये भी कहा कि वह बता नहीं सकती हैं कि वह कितनी खुश हैं। शबाना कहती है कि आज वह इस बात का दावा कर सकती हैं कि उनके पिता का मकान उनका ही है। कोर्ट के बाहर ही उन्होंने समझौता किया ताकि घर उनको वापस मिल सके। फैसले के बाद शबाना ने कहा कि वह इस बात की आशा करती हैं कि अब उनके पिता की आत्मा को सूकून मिला होगा।

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