- शनि जयंती पर वट सावित्री के पूजन से अखंड होगा सौभाग्य, करें पूजन

- शनि ग्रह दोष शांति के लिए ज्योतिषाचार्यो के बताए उपाय से मिलेगी राहत

BAREILLY:

25 मई को होने वाली वट सावित्री की पूजा इस बार अखंड सौभाग्य का वरदान देने वाली होगी। वर्षो बाद शनि जयंती के साथ पड़ रही यह वट सावित्री की पूजा जातकों की मनोकामनाओं को पूरा करेगी, ऐसी संभावना ज्योतिषाचार्यो ने जताई है। उनके मुताबिक शनि जयंती कृतिका नक्षत्र के लुंबक योग में होने के कारण अशुभ कारक संयोग बना रही है। हालांकि, इसी दिन शनि का गुरू की राशि धनु संग गोचर होना शुभ कारक योग बना रहा है जो शनि के लुंबक योग के अशुभ कारकों को निष्प्रभावी करने की क्षमता रख्ाता है।

सिद्ध योग का है संयोग

बाला च्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि थर्सडे को कृतिका नक्षत्र पड़ने से 'यमघंटक' का अशुभ योग सुबह 5.26 बजे से रात 12.01 बजे तक है। लेकिन 'सिद्ध योग' सुबह 5.26 बजे से अगले दिन रात 1.14 बजे तक होने के कारण यमघटक योग निष्प्रभावी रहेगा। इस दिन देव पितृ कार्य अमावस्या भी होने से पितरों को प्रसन्न करने का विशेष दिन है। शनिदेव का मंगल की राशि में कुछ दिनों भ्रमण होने से हनुमान का पूजन शनि शांति के लिए किया जा सकता है। शनि का अग्नि तत्व राशि धनु में गोचर, सूर्य के नक्षत्र कृतिका में शनि जयंती से गर्मी बढ़ने की संभावना है।

नहीं होगी अकाल मृत्यु

मान्यता है कि शनि पूजा से दुर्घटना, गंभीर रोग, अकाल मृत्यु और शस्त्राघात नहीं होता है। शनिदेव के व्रत से शनि ग्रह की शांति, रोग, शोक, भय, बाधा को दूर करता है। इस व्रत का अनुष्ठान के लिए सुबह स्नान के बाद पीपल के वृक्ष के नीचे, शनि मंदिर में पूजन कर शनिदेव के दस नामों का निरंतर उच्चारण करें। फिर पीपल वृक्ष के चारों ओर सात बार कच्चा सूत लपेट कर सात परिक्रमाएं करें। प्रत्येक शनिवार को इस व्रत को करने से साढ़े साती और ढैय्या का अशुभ प्रभाव समाप्त होता है। इस दिन काले तिल, लोहा, तेल, साबुत उड़द, काली छतरी, भैंस, चमड़े के जूते, काले कपडे़ का दान करना चाहिए।

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शनि शांति के उपाय

- कच्ची घानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करें

- सिंदूर, चमेली के तेल का दीप जलाकर हनुमान जी को लाल लंगोट अर्पित करें

- हनुमान मंदिर में नारियल पर स्वास्तिक बनाकर हनुमान जी को अर्पित करें

- शनिवार व मंगलवार को ग्यारह पीपल के पत्ते पर चन्दन से श्रीराम लिखें

- शनि जयंती पर भोजन में काली मिर्च व काले नमक का प्रयोग अवश्य करें

- शमीवृक्ष की जड़ को काले कपड़े में बांधकर अपनी दायीं भुजा में बांधे

- काले रंग के पशु को रोटी खिलाएं, पीपल के पेड़ पर सरसों के तेल का दीया जलाएं

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पूजा का मुहूर्त

- सुबह 6 बजे से 7.30 बजे तक शुभ चौघडि़या में

- सुबह 10.30 बजे से शाम 3 बजे तक चर, लाभ, अमृत के चौघडि़या में

- शाम 4.30 बजे से रात 9 बजे तक शुभ, अमृत, चर के चौघडि़या में