- चुनाव के दौरान राजनैतिक दलों के हमले के बाद उठाया गया कदम

- परिजनों के पत्र के साथ शासन ने केस से जुड़ी जानकारी भेजी

- यूपी पुलिस को झटका, फिर एक अहम केस सीबीआई के हवाले

LUCKNOW: इसे यूपी पुलिस की नाकामी कहा जाए या लचर कार्यशैली, सूबे में हुए एक और अहम मामले की जांच सीबीआई के सुपुर्द कर दी गयी है। राजधानी में हुए बहुचर्चित श्रवण साहू हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने के लिए सोमवार को राज्य सरकार ने केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को संस्तुति भेज दी। मालूम हो कि इस मामले को लेकर भाजपा पिछले कई दिनों से राज्य सरकार पर हमलावर थी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राजधानी दौरे के दौरान यह मामला उठाते हुए सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी। इसके बाद परिजनों से प्रार्थनापत्र लेकर शासन को भेजा गया जहां से निर्धारित प्रोफार्मा में केस से जुड़ी समस्त जानकारियों के साथ सीबीआई से मामले की जांच कराने का अनुरोध किया गया है।

यूपी पुलिस पर नहीं भरोसा

होम सेक्रेटरी मणि प्रसाद मिश्रा ने श्रवण साहू हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति किए जाने की पुष्टि की है। श्रवण साहू हत्याकांड में कई पुलिसकर्मियों के फंसने के बाद यूपी पुलिस की कार्यशैली के साथ जांच प्रक्रिया पर भी सवाल उठने लगे थे। पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए शूटरों को गिरफ्तार करने का दावा भी किया था और घटना का मास्टरमाइंड जेल में बंद कुख्यात अपराधी अकील को ठहराया था। इसके बावजूद परिजनों को पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं हुआ और उन्होंने इस मामले की गहन जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध किया। राजधानी पुलिस ने श्रवण साहू के परिजनों को सुरक्षा तो मुहैया कराई लेकिन हत्या से पहले श्रवण साहू को फर्जी मामले में फंसाने वाले पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार नहीं कर सकी। वहीं श्रवण साहू के परिजनों को लगातार जान-माल का नुकसान करने की धमकियां भी बदस्तूर जार रही।

कुंडा कांड से हुई शुरुआत

पिछले पांच साल की कुछ घटनाओं पर नजर डालें तो यूपी पुलिस की लचर कार्यशैली और जनता के डगमगाते भरोसे को देखते हुए ज्यादातर मामलों की जांच सीबीआई के हवाले करनी पड़ी है। एनआरएचएम और खाद्यान्न घोटाले की जांच में बुरी तरह उलझी सीबीआई को 2013 में कुंडा कांड की जांच सौंपी गयी। इसके बाद राजधानी में हुए मोहनलालगंज कांड की जांच को भी भारी दबाव के बाद सीबीआई के हवाले करना पड़ा। हाईकोर्ट के आदेश पर मनरेगा घोटाले की जांच का जिम्मा भी सीबीआई को दिया गया। इसी तरह बदायूं कांड, यादव सिंह प्रकरण, अवैध खनन, नरसिंह यादव का डोपिंग मामला, सारा हत्याकांड, नोएडा में इंजीनियर शशांक यादव की हत्या, मुरादाबाद में एक युनिवर्सिटी में छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, आगरा के कॉलेज में रिसर्च छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला भी सीबीआई के हवाले करना पड़ा। वहीं दादरी में एखलाक हत्याकांड, बुलंदशहर गैंगरेप कांड और जवाहरबाग कांड की जांच भी सीबीआई से कराने को लेकर अदालत में याचिकाएं दाखिल की गयी हैं।