अप्राकृतिक तरीकों से गयी जान

साल 2009 से 2013 तक चार वर्षों में 11 परमाणु वैज्ञानिकों की अप्राकृतिक मौतें हुईं। यह जानकारी परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए ताजे आंकड़ों से सामने आई है। इनमें विभाग के लैब तथा शोध केंद्रों में काम करने वाले आठ वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों की मौत विस्फोट या फांसी लगाने या समुद्र में डूबने से हुई।

आरटीआई से हुआ खुलासा

हरियाणा के राहुल सेहरावत के आरटीआई आवेदन पर 21 सितंबर को दिए जवाब में विभाग ने कहा है कि न्यूक्लियर पॉवर कॉर्पोरेशन के भी तीन वैज्ञानिकों की मौत रहस्यमयी परिस्थितियों में हो गई। इनमें से दो ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली, जबकि एक की मौत सड़क दुर्घटना में हुई।

कहीं साजिश तो नहीं

पुलिस के अनुसंधान में पाया गया कि इन मौतों के कारण अजीब थे। कोई वैज्ञानिक काफी दिनों से बीमार चल रहा था तो उसने आत्महत्या कर ली। दो की रासायनिक प्रयोगशाला में लगी रहस्यमयी आग में मौत हो गयी थी। एक की उसके आवास पर ही हत्या कर दी गयी थी। पुलिस आज तक इन मामलों को सुलझा नहीं पाई है। राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस टेक्नोलॉजी में नियुक्त एक वैज्ञानिक ने भी आत्महत्या कर ली थी। इसी तरह कलपक्कम में तैनात एक वैज्ञानिक ने वर्ष 2013 में समुद्र में कूद कर अपनी जान दे दी, वहीं एक और परमाणु वैज्ञानिक ने कर्नाटक के करवार में काली नदी में कूद कर अपनी जान दे दी थी। ऐसे में ये संदेह होना स्वाभाविक है कि ये कोई सोची समझी साजिश तो नहीं है।

inextlive from India News Desk

National News inextlive from India News Desk