- स्ट्रेचर पर रख रोड किनारे पहुंचाया मरीजों को

- तीमारदार अपना सामान भी छोड़ कर भागे बाहर

LUCKNOW:

ट्रामा सेंटर में जैसे ही आग लगी तो सेकेंड और थर्ड फ्लोर के वार्ड में भर्ती मरीजों को सुरक्षित निकालने के लिए तीमारदारों को पहले बाहर निकाला गया। इसके बाद मरीजों को सुरक्षित निकालने का काम शुरू हुआ जिसमें ट्रामा के बाहर दुकान लगाने वाले और राहगीरों ने भी पूरा सहयोग दिया।

दुकानदार और राहगीर आए आगे

ट्रामा की हर मंजिल पर गिनती का स्टॉफ है। जब आग लगी तो वहां भगदड़ मच गई। इस दौरान ट्रामा के बाहर दुकान लगाने वाले और वहां से गुजर रहे राहगीर मदद के लिए सामने आए। उन्होंने तीमारदारों के साथ मिलकर स्ट्रेचर के सहारे किसी तरह अंदर फंसे मरीजों को बाहर निकालना शुरू किया।

कम पड़ गए स्ट्रेचर

मरीजों को शिफ्ट करने के लिए स्ट्रेचर कम पड़ गए तो राहगीरों की मदद से तीमारदारों कंधे में लादकर सुरक्षित बाहर लाए। इस दौरान जूनियर डॉक्टर भी पूरी शिद्दत से फंसे मरीजों को बाहर निकालने की कोशिश करते रहे।

'सावित्री' बनी पुष्पा, पति को बचाया

जानकीपुरम निवासी नरवदेश्वर पांडेय का ट्रॉमा के सर्जिकल वार्ड में ट्रीटमेंट चल रहा था। उनके पैर में प्लास्टर चढ़ा है। जिससे वे हिल-डुल भी नहीं पा रहे थे। हादसे के समय उनके साथ पत्‍‌नी पुष्पा थी। पुष्पा ने हिम्मत दिख पति का हाथ अपने कंधे पर रखा और किसी तरह उन्हें आग से बचाकर बाहर ले आई। गेट पर दोनों को लोगों ने एक शेड के नीचे बैठाया।

सामान छोड़ भागी तीमारदार

ट्रॉमा के रैन बसेरा में रुके लोगों को जैसे ही आग लगने की सूचना मिली, वे अपना सामान छोड़कर भाग निकले। रैन बसेरा पूरी तरह खाली हो गया और यहां चारो तरफ लोगों का बिखरा सामान ही दिखाई दिया।