--सस्ती जर्नी का टिकट खरीदकर प्लेटफॉर्म की कर रहे हैं सैर

- प्लैटफॉर्म टिकटों से रांची रेलवे स्टेशन पर औसतन 24,000 से 26,000 रुपए की कमाई एक दिन में करता है रेलवे

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RANCHI महंगे प्लैटफॉर्म टिकट की काट रांचीवालों ने ढूंढ ली है। 20 रुपए के प्लैटफॉर्म टिकट की जगह वे रांची के नजदीकी स्टेशनों के टिकट खरीदते हैं। इससे वे प्लैटफॉर्म पर भी आसानी से आ जाते हैं और उनकी जेब भी अधिक ढीली होने से बच जाती है। रविवार को रांची रेलवे स्टेशन पर हटिया -वैद्यनाथधाम ट्रेन से धनबाद जाने की तैयारी कर रहे सुजीत कुमार महतो ने बताया कि प्लैटफॉर्म टिकट 20 रुपए का पड़ता है, जबकि रांची से टाटीसिल्वे का किराया 10 रुपए। ऐसे में दो घंटे के लिए प्लैटफॉर्म टिकट पर दस रुपए अधिक खर्च करने की क्या जरुरत है। ऐसा करनेवाले सुजीत अकेले नहीं हैं। ऐसे सैकड़ों लोग हैं जो ऐसा शार्टकट अपना रहे हैं। पर रेलवे के पास इन्हें रोकने का कोई ऑप्शन नहीं है।

आम आदमी पर बढ़ाया बोझ

रांची रेलवे स्टेशन पर धनबाद जाने के लिए टिकट कटा रहे मनोज कुमार पात्रा ने बताया कि पहले प्लैटफॉर्म टिकट तीन रुपए का आता था। इसके बाद पांच हुआ, फिर दस और 20 सितंबर से 20 रुपए हो गया है। मात्र दो घंटे प्लैटफॉर्म पर ठहरने के लिए 20 रुपए बहुत ज्यादा हैं। वहीं, एफजेसीसीआई रेलवे कमिटी के चेयरमैन डॉ रवि भटट ने बताया कि जब रांची से सटे कई नजदीकी स्टेशनों का किराया प्लैटफॉर्म टिकट से कम है तो इसे कम किया जाना चाहिए।

इन स्टेशनों का टिकट ले लेते हैं कई लोग (बॉक्स)

रांची से अरगोड़ा - 10 रुपए

रांची से नामकुम - 10 रुपए

रांची से नरकोपी - 10 रुपए

रांची से टाटी सिलवे - 10 रुपए

रांची से टांगरबंसली - 10 रुपए

रांची से लोहरदगा - 20 रुपए

हर दिन बिकते हैं 1200-1300 टिकट (बॉक्स)

रांची रेलवे स्टेशन के टिकट बुकिंग काउंटर के एक वरीय रेलकर्मी ने बताया कि यहां हर दिन औसतन 1200 से 1300 प्लैटफॉर्म टिकट बिकते हैं। 20 रुपए की दर से इनसे रेलवे को औसतन 24,000 से 26,000 रुपए प्रतिदिन की कमाई होती है। हालांकि कई बार इनकी संख्या अप्रत्याशित रुप से बढ़ भी जाती है। जैसे 20 सितंबर को जब से प्लैटफॉर्म टिकट के दाम 20 रुपए हुए 2090 टिकट बिके थे।

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इसलिए बढ़ाये गये हैं प्लैटफॉर्म टिकट के दाम (बॉक्स)

रेलवे के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि दुर्गा पूजा से लेकर दिवाली और छठ तक रांची रेलवे स्टेशन पर लोगों की भीड़ बढ़ जाती है। इस भीड़ को कम करने के लिए ही अस्थायी रुप से प्लैटफॉर्म टिकट के दाम बढ़ाये गये हैं। मूल्यवृद्धि 31 अक्टूबर तक ही प्रभावी है। इसका मकसद त्योहारों पर रेलवे स्टेशन पर उमड़ने वाली भीड़ को रोकना है। रेलवे स्टेशन पर कुछ लोग गूगल की फ्री वाइफाई सेवा के लिए भी भीड़ लगा देते हैं। इनसे पैसेंजर्स को परेशानी होती है। रेलवे का मकसद इसी भीड़ को रोकना है।

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पैसेंजर्स का वर्जन

जितने रुपए में एक प्लेटफार्म टिकट लेंगे उतने में तो अपने साथी को टाटीसिलवे छोड़ कर आ जायेंगे। ऐसे में प्लैटफॉर्म टिकट की जगह टाटीसिलवे का टिकट खरीदना कहीं ज्यादा सस्ता है।

जीतेंद्र महतो

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प्लैटफॉर्म टिकट के मूल्य में बढ़ोत्तरी उचित नहीं है। यह आम आदमी पर एक और बोझ है। पहले प्लैटफॉर्म टिकट के दाम तीन रुपए थे, अब यह 20 रुपए कर दिया गया है। यह मूल्यवद्धि आम आदमी के हितों के विपरीत है।

मनोज कुमार पात्रा

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रेलवे स्टेशन पर थोड़ी देर ठहरने के लिए 20 रुपए लिया जाना उचित नहीं है। यह रेलवे का जनविरोधी निर्णय है। इसे वापस लिया जाना चाहिए। बढ़ती महंगाई में यह आम आदमी पर और भारी पड़ रहा है।

सुजीत कुमार

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महंगा प्लेटफार्म टिकट जनता के पॉकेट पर भारी पड़ रहा है। इसके रेट अविलंब घटाये जाने चाहिए। रेलवे की नीतियों से आम आदमी परेशान है। कभी डायनेमिक प्राइसिंग लागू की जाती है कभी प्लैटफॉर्म टिकट के दाम बढ़ा दिये जाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।

राजेंद्र कुमार

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जब टाटीसिलवे का टिकट दस रुपए में और टांगरबंसली का भी 10 रुपए में ही मिल रहा है तो प्लैटफॉर्म टिकट का मूल्य 20 रुपए रखना उचित नहीं है। इसे कम किया जाना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग टिकट ले सकें और रेलवे को अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सके।

डॉ रवि भटट, चेयरमैन, एफजेसीसीआई रेलवे कमिटी

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प्लैटफॉर्म टिकट के मूल्य में की गयी बढ़ोत्तरी टेंपररी है। 20 सितंबर से शुरु होकर यह 31 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगी इसके बाद दाम फिर से दस रुपए हो जायेंगे। इसका मकसद अधिक राजस्व एकत्रित करना नहीं है।

नीरज कुमार सीनियर डीसीएम