अख़बारों और समाचार एजेंसियों ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने इस मामले में फेसबुक, गूगल और ऐसे ही अन्य कंपनियों से बात की है और इन साइटों पर छपी कुछ सामग्रियों पर आपत्ति जताई है। हालांकि इस मुद्दे पर कपिल सिब्बल की कोई सीधी टिप्पणी नहीं आई है।

इंडियन एक्सप्रेस ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्टों का हवाला देते हुए लिखा है कि कपिल सिब्बल और वेबसाइटों के अधिकारियों के बीच दो बार बैठक हुई है और वेबसाइटों ने लोगों द्वारा की जा रही आलोचना या तस्वीरों को हटाने में असमर्थता जताई है।

सूत्रों के अनुसार सरकार इन साइटों पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की हो रही आलोचना और कुछ तस्वीरों से खासी नाराज़ है।

अखबारों के अनुसार सिब्बल इस मुद्दे पर तीन महीने से विभिनन कंपनियों के अधिकारियों से संपर्क में हैं लेकिन कंपनियों ने साफ किया है कि चूंकि बड़ी मात्रा में लोग ऐसी वेबसाइटों पर आकर अपनी बात कहते हैं इसलिए हर व्यक्ति की सामग्री पर नियंत्रण करना संभव नहीं है।

उल्लेखनीय है कि अन्ना के आंदोलन के दौरान सरकार ने माना था कि वो सोशल नेटवर्किंग साइटों पर नज़र नहीं रख पाई थी। ये बात भी सही है कि इन साइटों पर सरकार की कड़ी आलोचना होती रही है और कई बार ऐसी तस्वीरें भी लगी हैं जो कुछ लोगों को आपत्तिजनक लग सकती हैं। हालांकि इन वेबसाइटों पर सरकार का किसी तरह का नियंत्रण नहीं है इसलिए वो इनकी सामग्रियों पर रोक नहीं लगा पा रही है।

International News inextlive from World News Desk