i next reporter

BAREILLY (5 Dec): खराब सिग्नल की वजह से ट्रेन का लेट हो जाना रेलवे की एक  बड़ी प्रॉब्लम रही है। इससे बड़ी प्रॉब्लम खराब सिग्नलों को सुधारने की व्यवस्था भी रही है लेकिन अब जल्दी ही ट्रेंस में सिग्नल खराब होने की हालत में इसे डिटेक्ट करने के साथ ही समय रहते इसे सुधारा भी जा सकेगा। इसे बनाया है कानपुर आईआईटी के प्रोजेक्ट सिमरन ने। जल्द ही इस प्रोजेक्ट को इज्जतनगर मण्डल में भी लाने पर विचार शुरू हो गया है।

खराब हो जाते हैं signals

ट्रेन सिग्नल्स का खराब हो जाने की प्रॉब्लम की वजह से ट्रेन अक्सर लेट हो जाया करती है। सिग्नल मशीनरी में फाल्ट से या फिर चूहों द्वारा सिग्नल केबल कुतरने से खराब हो जाते हैं। रेलवे के एक सूत्र ने बताया कि आपस में एक सिरीज की तरह जुड़े रेल सिग्नल एक सिंगल केबल के कट जाने से भी रेड हो जाते थे. 

नए system से बचेगा वक्त

आईआईटी कानपुर ने रेलवे की खराब सिस्टम व्यवस्था को सुधारने के लिए एक नया सिस्टम डिजाइन किया है। इस सिस्टम का नाम प्रोजेक्ट सिमरन रखा गया है। बरेली जंक्शन के सीनियर सेक्शन इंजीनियर सिग्नल संजीव कुमार ने बताया की प्रोजेक्ट सिमरन में हर सिग्नल पोल पर एक जीपीएस बेस्ड यंत्र लगाया जाएगा।

Problem की देगा सूचना

इस यंत्र में पांच मोबाइल नंबर भी फीड किए जा सकेंगे। प्रोजेक्ट सिमरन के तहत जैसे ही सिग्नल में कोई भी खराबी आएगी सिग्नल का पोल नम्बर और प्रॉब्लम की सूचना रेलवे के सिग्नल ऑफिसर्स के मोबाइल नम्बर पर मैसेज के दौरान पहुंच जाएगा। इसके बाद खराब सिग्नल पोल पर तत्काल कार्यवाही की जा सकेगी.  इज्जतनगर मण्डल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल प्रोजेक्ट सिमरन पहले चरण में आगरा मण्डल में ट्रायल पर इस्तेमाल किया जा रहा है। दूसरे चरण के लिए अभी रेल मण्डल का चुनाव किया जाना है।

Repair का system भी late

खराब सिग्नल को सुधारने के लिए इंतजाम भी अंग्रेजों के जमाने के ही किए गए हैं। इंजन ड्राइवर के वायरलेस पर रेड सिग्नल की जानकारी ना होने पर भी सिग्नल रेड दिखने के  हालात में ड्राइवर पहले स्टेशन मास्टर को खबर करता था, इसके बाद स्टेशन मास्टर ट्रेन कंट्रोल रूम को सूचना देता है। ट्रेन कंट्रोल रूम से सूचना सीनियर सेक्शन इंजीनियर सिग्नल को जाती थी। इसके बाद प्रॉब्लम पर कार्यवाही शुरू हो पाती थी। तब तक ट्रेन वहीं पर खड़ी रहती थी या फिर खराब सिग्नल प्वाइंट को येलो करके ट्रेन को रवाना कर दिया जाता था। लेकिन इस पूरे प्रोसेस को निपटाते हुए ही आधा घंटा का वक्त तो बर्बाद होना तय है।