-60 चयनित और 14 नॉमिनेट पार्षदों में एक तिहाई भी नहीं आते निगम

-पार्षदों के निर्माण के प्रस्ताव नहीं देने से शहर के हालात हुए बुरे

-बोर्ड में 10-10 लाख रुपए के प्रस्ताव भी नहीं दे सके पार्षद

DEHRADUN : राजधानी के पौने चार लाख मतदाताओं के बीच से चुने गए नगर निगम के पार्षद विकास के बजाए 'अहम' की लड़ाई में 'फंस' गए हैं। इस वजह से शहर के विकास को पलीता लग रहा है। शहर के कई इलाकों में सड़कों को स्थिति खराब तो कई अन्य स्थानों पर नए निर्माण की जरूरत है, लेकिन आलम यह है कि पार्षद वार्डो में निर्माण के लिए प्रस्ताव तक नगर निगम को नहीं दे पा रहे हैं।

म्0 वार्ड में रहते हैं लाखों लोग

ख्0क्फ् में जब नगर निगम के चुनाव हुए थे, तो म्0 वार्ड में फ्,7भ्,क्क्8 मतदाता थे। इन मतदाताओं ने ही चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों में ऐसे म्0 पार्षदों को चुना, जो उनकी उम्मीदों पर खरा उतर सकें। वहीं इसके बाद क्ब् पार्षद नामित किए गए। चुनाव के पहले तक विकास का दावा करने वाले ये पार्षद जब नगर निगम पहुंचे तो विकास के आंकड़ों के बजाए राजनीति के 'अंक गणित' में लग गए। यही वजह है कि शहर के विकास के प्रस्ताव नगर निगम में नहीं पहुंच रहे हैं। कई पार्षद अहम की लड़ाई में नगर निगम नहीं जा रहे हैं, तो जो जाते हैं वह भी विकास के बजाए राजनीतिक दांव बेच भिड़ाने में लगे रहते हैं।

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कोई प्रोजेक्ट नहीं पहुंचा निगम तक

पार्षद केवल स्ट्रीट लाइट, कूड़ा और आधार कार्ड कैंप लगाने की मांग ही नगर निगम तक पहुंचा पा रहे हैं। इसके कुछ पार्षद छोड़ दे तो बीते डेढ़ साल में विकास का कोई प्रोजेक्ट नगर निगम में नहीं पहुंचा पाए हैं।

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म् करोड़ भी नहीं मिले

नगर निगम की बीते आठ जनवरी को हुई बोर्ड बैठक में एक प्रस्ताव ऐसा भी पास हुआ था, जिसमें निर्वाचित म्0 पार्षदों को अपने क्षेत्र से निर्माण के लिए क्0-क्0 लाख रुपए के प्रस्ताव देने थे। इन प्रस्तावों को नगर निगम जिला योजना की बैठक में पास कराता, लेकिन राजनीति की लड़ाई में लगे पार्षद उस वक्त भी कोई प्रस्ताव नहीं दे सके। ऐसे में डीपीसी से म् करोड़ रुपए मिलने की यह उम्मीद भी टूट गई।

अधिकारियों से भी विवाद

पार्षदों में आपसी विवाद के अलावा कई पार्षद ऐसे भी हैं जो केवल नगर निगम में तैनात अधिकारियों से नोक-झोंक होने के कारण निगम में नहीं जाते हैं।

नगर निगम में इस वक्त शहर का हालात विकास विरोधी है। यह बात सही है कि नगर निगम से पार्षदों को प्रस्ताव नहीं जा रहे हैं। सभी पार्षदों को अधिकारियों से तालमेल बनाकर काम करना चाहिए।

- जगदीश धीमान, वरिष्ठ कांग्रेसी पार्षद

नगर निगम में जनप्रतिनिधि अपनी व्यक्तिगत ईगो को लेकर बिना सोचे समझे ऐसे निर्णय ले लेते हैं जो जनता के पक्ष में नहीं होते हैं। पार्षदों को अपनी मय पर निगम से बाहर से रहने के बजाए उसका समाधान कराना चाहिए, ताकि शहर का विकास हो सके।

- सुशील गुप्ता, वरिष्ठ बीजेपी पार्षद

पार्षदों के अनुपस्थित रहने से नगर निगम के विकास से जुड़े काम प्रभावित हो रहे हैं। किसी भी पार्षद को कोई आपत्ति है तो उसे निगम में आकर उठाना चाहिए। नगर निगम की बोर्ड बैठक में ही केवल एक चौथाई पार्षद उपस्थित होंगे तो शहर का विकास कैसे तय होगा।

- विनोद चमोली, मेयर