बुधवार को श्रीलंका में इसकी घोषणा की गई। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने बुधवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि टॉफ़ेल सात अक्टूबर तक चलने वाले टी-20 विश्व कप टूर्नामेंट के बाद अंपायरिंग की भूमिका में नज़र नहीं आएंगे। आईसीसी ने बताया कि साइमन मैदान के बाहर रहकर अंपायरों के प्रदर्शन और ट्रेनिंग मैनेजर की भूमिका निभाएंगे।

इस मौक़े पर टॉफ़ेल ने कहा, ''टी-20 विश्व कप के बाद निजी और पेशेवर कारणों से मैं अंतरराष्ट्रीय अंपायरिंग छोड़ रहा हूं। मेरी पत्नी और मेरे बच्चों ने पूरे करियर में मेरा भरपूर साथ दिया है और अब समय आ गया है कि मैं उनके साथ ज़्यादा समय बिताऊँ.''

साइमन टॉफ़ेल को पाकिस्तान के अंपायर अलीम दार के साथ इस समय दुनिया का बेहतरीन अंपायर माना जाता है। टॉफ़ेल 2004 से 2008 तक लगातार पाँच बार आईसीसी अंपायर ऑफ़ द ईयर का अवार्ड जीत चुके हैं। 41 साल के साइमन ने अंपायरिंग में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरूआत 1999 में ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच वनडे से की थी।

अहम मुक़ाबलों में अंपायर

इसके बाद उन्होंने टेस्ट में पहली बार ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज़ के बीच बाक्सिंग डे टेस्ट में अंपायर की भूमिका निभाई। साइमन ने अपने करियर में 74 टेस्ट और 174 वनडे मैचों में अंपायर की भूमिका निभाई है। साइमन ने 2011 में विश्व कप के फ़ाइनल मैच के अलावा 2007 और 2009 के आईसीसी वर्ल्ड टी-20 के फ़ाइनल में भी अंपायरिंग की थी।

वो 2004 की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में भी अंपायर थे। लेकिन साइमन टॉफ़ेल की ज़िंदगी की शायद कभी ना भूलने वाली घटना लाहौर में श्रीलंकाई टीम पर होने वाला हमला था जिसमें उनकी गाड़ी पर भी चरमपंथियों ने फ़ायरिंग की थी। उस हमले में वो बाल-बाल बच गए थे जबकि उसी गाड़ी में मौजूद पाकिस्तानी अंपायर असद रज़ा ज़ख़्मी हो गए थे। आईसीसी ने साइमन टॉफ़ेल की जगह ऑस्ट्रेलिया के ही ब्रूस ऑक्ज़न फ़र्ड को एलीट पैनल में शामिल कर लिया है।

International News inextlive from World News Desk