रियो ओलंपिक में सिंधू-साक्षी की जीत से रांची की ग‌र्ल्स प्लेयर्स में आई नई जान

RANCHI: रियो ओलंपिक में इंडियन शटलर पीवी सिंधू भले ही गोल्ड मेडल से चूक गई और सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा, लेकिन फाइनल में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी स्पेन की कैरोलिन मारिन को जो जोरदार टक्कर दी, उससे रांची की हर लड़की या महिला रोमांचित हैं। इनमें उत्साह व जुनून का गजब का माहौल है। जो जिस क्षेत्र में हैं उसी में कुछ कर गुजरने का संकल्प ले रही हैं। खास कर ग‌र्ल्स प्लेयर्स को एक नई जान मिली है। पीवी सिंधू आज इनके लिए प्रेरणा बन गई हैं। इनके मन-मस्तिष्क में सिर्फ सिंधू ही छाई हुई हैं। ऐसे में इनकी प्रैक्टिस को एक नया आयाम मिला है। बैडमिंटन कोर्ट में पसीना बहाते हुए ये ग‌र्ल्स प्लेयर्स कह रही हैं-ये पसीना नहीं खून है, देश के लिए गोल्ड लाना मेरा जुनून है। रियो न सही, कभी न कभी देश के लिए गोल्ड तो लाना ही है। शाम छह बजे से रात नौ बजे तक खेलगांव स्टेडियम में अपना खून-पसीना बहा रहीं इन ग‌र्ल्स प्लेयर्स के जज्बे को जानते हैं।

क्। बनना है बैडमिंटन का सरताज: अन्नू

बिरसा मुंडा इनडोर स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रही बिहारशरीफ की रहनेवाली अन्नू प्रकाश का लक्ष्य बैडमिंटन की दुनिया में नाम कमाना है। कहती हैं कि रियो ओलंपिक में पीवी सिंधू ने उन्हें झकझोर दिया है। पटेल कॉलेज, नालंदा की स्टूडेंट अन्नू तीन महीने की प्रैक्टिस करने रांची आई हैं। बताती है कि पिता व्यवसायी हैं। वह दो साल से बैंडमिंटन खेल रही है। खेल प्रतिस्पर्धा में वह डिस्ट्रिक्ट, स्टेट क्वार्टर खेल चुकी हैं और चार बार ट्राफी भी जीती है। कहती हैं कि पीवी सिंधू ने जो कर दिखाया, वो हम सभी बेटियों के लिए प्रेरणा है।

ख्। स्टेट चैंपियन हूं, लाना है गोल्ड: सनूफा

मैं क्7 साल के वर्ग में स्टेट चैंपियन रही हूं। अब देश के लिए गोल्ड मेडल लाना ही मेरा लक्ष्य है। यह कहना है मोरहाबादी की रहनेवाली सनूफा खातून का, जो सात साल से बैडमिंटन खेल रही हैं। कहती हैं कि नेशनल बैडमिंटन थर्ड पोजीशन ला चुकी हूं। अब तमन्ना है कि अब देश के लिए खेलूं। उसने यह भी कहा कि बेटियों को बोझ समझा जाता है, पर पीवी सिंधू हम बहनों के लिए प्रेरणा बनकर आई और आज मेरा मान बढ़ाया।

फ्। जीती तो पिता को श्रद्धांजलि होगी: मनीषा

बचपन में ही पिता के साए से मरहूम मनीषा रानी तिर्की आज बैडमिंटन के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। इंटरनेशनल प्लेयर और मनीषा रानी की बुआ उमा पालित के संरक्षण में इसने वह कर दिखाया जो बिरले ही कर पाते हैं। अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर इसने इंटरनेशनल, नेशनल लेवल प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता है। मौलाना आजाद कॉलेज की स्टूडेंट मनीषा रानी तिर्की पीवी सिंधू की तरह ओलंपिक में गोल्ड लाना चाहती हैं।

ब्। साइना हैं शिवानी की आदर्श

आर्मी पब्लिक स्कूल की आठवीं क्लास की छात्रा शिवानी ढाई साल से बैडमिंटन खेल रही हैं। शिवानी के पिता मंजीत सिंह रांची में बिल्डर हैं और बरियातू में रहते हैं। शिवानी का कहना है कि बैडमिंटन में उसका आदर्श साइना नेहवाल हैं। वह उन्हीं से प्रेरित होकर बैडमिंटन प्रतियोगिता की तैयारी कर रही हैं। इनकी भी इच्छा है कि बेहतर बैडमिंटन प्लेयर बनें और देश के लिए कुछ करें।