- आईजीआईसी की स्थिति होती जा रही बद से बदतर

- डायरेक्टर साहब एक बार हॉस्पीटल में भी घूम लीजिए

PATNA: समय बदला और उसके साथ कितना कुछ बदल गया। राजधानी ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार का एक मात्र सरकारी हर्ट हॉस्पीटल कहां से कहां पहुंच गया। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में जिस किसी इम्पलाई से पूछा कि हॉस्पीटल का ये हाल क्यों हो गया है? सबने उलट कर यही सवाल किया कि डॉ। एस.एन। मिश्रा वाला हॉस्पीटल खोज रहे हैं तो कहां से मिलेगा? भूल जाइए।

देखिए कितने जागरूक हैं डॉक्टर

एक मरीज आईजीआईसी में आया। उसे इमरजेंसी में दिखाने के लिए ले जाया गया। इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर से कहा गया कि मरीज आशियाना से लाते समय रास्ते में ही फेंट कर गया था। दो दिनों में दो बार फेंट कर गया। डॉक्टर साहब ने उठ कर मरीज को देखने तक की जहमत नहीं उठायी। कहा, ओपीडी में जाकर दिखा लें। ओपीडी में दिखाने के लिए स्लीप कटाने जब अटेंडेंट गए तो पता चला कि साढ़े बारह बज गए हैं यहां स्लीप नहीं बनेगा। आखिरकार इमरजेंसी काउंटर पर बैठे कर्मी ने दया भाव दिखाते हुए स्लीप बना दिया। ओपीडी में मरीज को ले जाकर दिखाना पड़ा। इस बीच, मरीज थरथराता रहा। हद है इमरजेंसी में ईसीजी की भी व्यवस्था नहीं?

बैग और एमआर भी

पहले जिस कमरे में ईसीजी होता था, अब वहीं सिर्फ बोर्ड है। ईसीजी दूसरे कमरे में हो रहा है। जिस कमरे में बोर्ड लगा हुआ है उस कमरे में दर्जन भर मेडिकल रिप्रजेंटेटिव बैठे हैं। ये वेटिंग रूम बन गया है। जहां बैग भी हैं और एमआर भी। बाहर मरीज इंतजार कर रहे हैं और अंदर कमरे में एमआर। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने पता किया तो मालूम हुआ कि बिजली के कुछ तकनीकी कारणों की वजह से ईसीजी दूसरे कमरे में किया जा रहा है। कमरे में बैठे एमआर बैठ कर गप्पे लड़ाते दिखे। सवाल उठता है कि दवा कंपनियों के जिम्मे ही सौंप दिया है क्या सूबे के एक मात्र सरकारी हॉस्पीटल को?

ईसीजी रूम में एसी तक नहीं

ईसीजी मशीन दूसरे रूम में कर तो दिया गया, पर इस कमरे में खूब गर्मी है। एक पंखा है जिससे गर्मी नहीं जा रही। एक छोटे से कमरे में तीन-चार टैक्नीशिन और नर्से दिखीं। मरीज और उनके अटेंडेंट अलग। कमरे में एसी तक नहीं। मशीन ऐसे में कितना और कैसे काम करेगा जहां ढ़ेर सारे मरीजों की ईसीजी हो रही है।

ये तो बिजी हैं !

डायरेक्टर इंचार्ज डॉ। हरेन्द्र कुमार को फुर्सत कहां बात करने की! कागजातों में ही वे इतने उलझे हैं कि उन्हें मरीजों की दिक्कत सुनने की फुर्सत कहां है। आई नेक्स्ट ने पूछा कि इमरजेंसी हाउस फुल है आपके यहां? मरीज लौट जा रहे हैं दर्जनों? जवाब दिया क्म्0 बेड है और सारे फुल हैं। यहां हमेशा यही हालत रहती है। मरीज लौट जा रहे हैं तो हम क्या करें। जमीन पर रख कर इलाज करें क्या?