- प्रति सेमेस्टर 56 लाख रुपए सिर्फ प्राइवेट कोचिंग वालों को देते हैं स्टूडेंट्सं

- टीचर्स-स्टूडेंट्स का रेशियो होना चाहिए 20:1 और यहां है 50:1

PATNA: पीएम नरेंद्र मोदी हों या स्टेट के सीएम नीतीश कुमार सभी स्किल को बढ़ावा देकर बेरोजगारी दूर करने की ही बात कर रहे हैं। इसके लिए फंड और आंकड़ों के आवंटन के प्रचार-प्रसार व आमलोंगों को रोजाना विभिन्न माध्यमों से पेश किया जा रहा है, पर स्टेट में टेक्नीकल एजुकेशन देने वाले इंस्टीट्यूट्स का हाल बदहाल है। आईटीआई हो या पॉलिटेक्निक कॉलेज हो या फिर इंजीनियरिंग कॉलेज, सभी जगहों पर स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं। आई नेक्स्ट ने समस्या को समझने के लिए पाटलिपुत्रा स्थित न्यू पॉलिटेक्निक कॉलेज का दौरा किया, तो कैंपस स्टूडेंट्स की सामने समस्याओं का अंबार दिखा।

सीनियर व कोचिंग के भरोसे 800 स्टूडेंट्स

कॉलेज में थ्री इयर पॉलीटेक्निक कोर्स में करीबन आठ-नौ सौ स्टूडेंट्स छह ट्रेड की पढ़ाई होती है। इनमें सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर साइंस एवं ऑटोमोबाइल ट्रेड में पढ़ाई होती है। कॉलेज सोर्स के अनुसार इन स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए महज सोलह टीचर्स हैं, जिनमें महज आठ टीचर परमानेंट हैं, शेष कंट्रेक्ट पर है। परमानेंट टीचर में भी बड़ी संख्या में टीचर्स अन्य सरकारी काम में व्यस्त होते हैं। ट्यूशन, सीनियर्स, गेस्ट लेक्चर व इंटरनेट के भरोसे हैं स्टूडेंटस। कॉलेज में टीचर्स के कमी के कारण थ्योरी और प्रैक्टिकल क्लास आवश्यकता के अनुसार नहीं हो पाता है। स्टूडेंट्स मजबूरी में अपने प्राइवेट कोचिंग, सीनियर व इंटरनेट के भरोसे किसी तरह पास होने के लिए पढ़ाई करते हैं।

कई टीचर भी चलाते हैं अपना कोचिंग

स्टूडेंट्स की मजबूरी को देखते हुए पटना में कोचिंग का बड़ा बाजार है। इन कोचिंग सेंटर में संचालन व पढ़ाई का काम विभिन्न कॉलेजों में पढ़ाने वाले रेगुलर व प्राइवेट टीचर्स करते हैं। इन सेंटर्स में छह माह के एक सेमेस्टर का कोर्स दो से ढ़ाई माह में पूरा किया जाता है। इन कोर्स के लिए स्टूडेंट्स से एक सेमेस्टर का फीस मेन कोर्स के लिए पांच-सात हजार रूपये की फीस प्रति स्टूडेंट्स से वसूला जाता है।

हॉस्टल व कैंपस पर है आईआईटी का कब्जा

ख्008 में पटना में आईआईटी पटना की स्थापना हुई। इसकी स्थापना के लिए राज्य सरकार ने साइंस एवं टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट को आईआईटी के स्थाई कैंपस के लिए जमीन उपलब्ध कराने का आदेश मिला। इसी आधार पर पॉलीटेक्निक कॉलेज ने आईआईटी को दो हॉस्टल समेत कैंपस का बड़ा हिस्सा सौंप दिया। इसी वर्ष आईआईटी पटना को बिहटा में न्यू कैंपस उपलब्ध कराया जा चुका है। शिफ्टिंग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लेकिन अभी कैंपस पूर्ण रूपेण खाली नहीं हुई है। ऐसे में पॉलीटेक्निक कॉलेज के स्टूडेंट्स हॉस्टल रहते हुए भी बाहर रेंट पर रहने को मजबूर हैं।

कैंपस तालाब में हो जाता है तब्दील

पाटलिपुत्रा में जलजमाव की समस्या से पॉलीटेक्निक कॉलेज प्रशासन परेशान है। जलजमाव के कारण कॉलेज का लैब एवं अन्य सामान बर्बाद हो चुका है। काफी प्रयास के बाद कॉलेज को राज्य सरकार की फंड के मदद से कैंपस व बिल्डिंग को उंचा करने का काम किया जा रहा है। लैब को फस्ट फ्लोर पर शिफ्ट किया जा चुका है। पॉलटिेक्निक कॉलेज की स्थिति को देखते हुए स्टूडेंट्स कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए तैयार नहीं हैं। औरंगाबाद से पहुंचे मनीष कुमार ने गुरुवार को बताया कि काउंसिलिंग के बाद हमें यहां सीट ऑटोमोबाइल ट्रेड मिला। कैंपस की स्थिति देखते हुए मैं यहां एडमिशन नहीं लेने चाहता हूं। इसके लिए बीसीईसीई के आईएएस भवन में आवेदन दे चुका हूं। वहां से अप्लीकेशन यहां भेजा गया है। दो दिन से रोजाना दौड़ाया जा रहा है।

लैब की कमी

कैंपस में स्टूडेंट्स के हिसाब से लैब की उपलब्धता कम है। इस कारण कई बार एक सेमेस्टर के स्टूडेंटस प्रैक्टिकल करते हैं, तो दूसरे नहीं। छठे सेम के स्टूडेंट्स ने बताया कि हमारा क्लास अगस्त माह से चालू है, लेकिन अभी तक हमें प्रैक्टिकल के लिए लैब नहीं मिला है। इस बारे में जब प्रिंसिपल से जब पूछा गया कि सर इसमें कितनी सच्चाई है तो उन्होंने बताया कि पहले हम थ्योरी पर काम कर रहे हैं। फिर स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल के लिए लैब देंगे।

लाखों के खर्च से लगा वाई-फाई खराब

कॉलेज कैंपस में बेलेट्रान की ओर से वाई फाई का सेट अप लगाया गया है। सेट अप पर लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन वह फंक्शन में नहीं हैं। स्टूडेंट्स ने बताया कि ये सेट अप तो लेकिन कभी फंक्शन में नहीं रहता है। कॉलेज प्रशासन का दावा है कि स्टूडेंटस के प्लेसमेंट के लिए कंपनियां आती हैं, लेकिन कॉलेज की स्थिति को देखते हुए स्टूडेंट्स को नाम की कुछ कंपनियों की ओर से प्लेसमेंट देती है। स्टूडेंट्स को बेहतर पैकेज भी नहीं मिल पाता है। सीनियर टीचर्स को नये पॉलिटेक्नीक कॉलेज के प्रिंसिपल व अन्य पोस्ट पर नियुक्ति के बाद लगातार संख्या कम हो रही है। इसे कैंपस में गेस्ट टीचर के भरोसे हैं।

प्राइवेट लॉज में रहने को मजबूर

कैंपस में आठ सौ स्टूडेंट्स हैं। औसतन स्टूडेंट्स को एक सेम में अपना कोर्स की पढ़ाई ट्यशन के लिए सात हजार रुपए खच करते हैं। इस हिसाब से इस कॉलेज के स्टूडेंट्स भ्म् लाख प्राइवेट में टयूशन फी के रूप में देते हैं। वहीं, हॉस्टल के अभाव में स्टूडेंट्स को प्राइवेट लॉज में रहना पड़ा है। इसके लिए दो हजार रुपए प्रति स्टूडेंट्स औसतन खर्च करते हैं। इस हिसाब से करीबन 9म् लाख रुपए एक सेमेस्टर में खर्च करते हैं।

डिपार्टमेंट व टीचर्स

सिविल-दो

मैकेनिकल-दो

इलेक्ट्रिकल-पांच

इलेक्ट्रॉनिक्स-तीन

कंप्यूटर साइंस- जीरो

ऑटोमोबाइल-एक

मानविकी- एक

मैथ-दो

केमिस्ट्री-एक

कॉलेज में जलजमाव व अन्य समस्याओं के बारे में समाधान किया जा रहा है। इसके लिए स्टेट गवर्नमेंट की ओर से वर्क कराया जा रहा है। टीचर्स की समस्याओं के बारे में स्टेट से फैसला होना है। इस बारे में डिपार्टमेंट के डायरेक्टर ही कुछ जानकारी दे सकते हैं।

डॉ अनिल कुमार सिंह, प्रिंसिपल, न्यू राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज, पाटलिपुत्रा, पटना