- यूपी के 13 शहरों के साथ राजधानी भी होगी स्मार्ट सिटी

- स्मार्ट सिटी की घोषणा के बाद अगले चरण के लिए शुरू हुआ काम

- स्मार्ट सिटी की राह में अभी भी हैं कई रोड़े

LUCKNOW: यूपी के 13 शहरों के साथ राजधानी को भी स्मार्ट सिटी बनाये जाने पर मुहर लग गई है। मगर यूपी के इन शहरों की असली परीक्षा अब शुरू होगी। अभी तक नगर विकास विभाग ने अब तक हुए कामों के आधार पर भले ही स्मार्ट सिटी के लिए 13 शहरों की सूची केंद्र सरकार को सौंप दी है, लेकिन विभाग को तीन माह के अंदर स्मार्ट सिटी का प्रपोजल देना होगा। इसके तहत राज्य सरकार को यह बताना होगा कि स्मार्ट सिटी के लिए वह शहरों में क्या-क्या काम करेगी।

तीन बिंदु महत्वपूर्ण

केंद्र ने इसके लिए तीन महत्वपूर्ण बिंदु तय किए हैं। पहला शहर के अंदर न्यूनतम 500 एकड़ में जनता के लिए आधुनिक सुविधाएं विकसित करनी होंगी। यह सुविधाएं ऐसी होंगी जो बिलकुल नई होनी चाहिए और शहर के लोग इस सुविधा का पूरा फायदा उठा सकें। दूसरा, शहर के न्यूनतम 50 एकड़ के क्षेत्रफल को लिया जाएगा। इसमें पुराने भवनों या शहर के पुराने क्षेत्र को नया लुक दिया जाएगा। तीसरा, शहर में न्यूनतम 250 एकड़ जमीन की व्यवस्था करनी होगी और इसमें आधुनिक टाउनशिप विकसित करने के साथ औद्योगिक क्षेत्रफल भी विकसित किया जा सकेगा।

क्या-क्या मिलेगा स्मार्ट सिटी में

शहरों को प्रदूषण, सफाई नगरीय सुविधाओं के लिहाज से रहने लायक बनाने के लिए योजना को स्मार्ट सिटी का नाम दिया गया है। इसमें नगरीय सुविधाओं को मोबाइल इंटरनेट और ई-सुविधा केंद्रों की मदद से स्मार्ट बनाये जाने की योजना है। इसमें स्मार्ट तरीके से हेल्थ, एजूकेशन, कम्युनिकेशन, पॉवर सप्लाई पर भी काम किया जाना प्रस्तावित है।

- शहर में ऑटोमेटिक ट्रैफिकसिग्नल लगे होंगे। ये सिग्नल गाडि़यों की संख्या किसी सड़क पर बढ़ने या जाम लगने पर गाडि़यों को स्वत: ही डायवर्ट कर देंगे। लोगों को घर से 500 मीटर की दूरी पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिलेगा। इसके अलावा एम्स की तर्ज पर ट्रॉमा सेंटर होगा और इमरजेंसी रिस्पांस बनेगा। इससे एक ही कॉल पर तुरंत डॉक्टर को पता चलेगा कि किस बीमारी का मरीज आने वाला है।

- यूथ के लिए शहर में डाटाबेस सिस्टम बनेगा। इससे स्टूडेंट को पता चलेगा कि उसके लिए नौकरी किस कंपनी या विभाग में है और कंपनी को पता चलेगा कि उनकी जरूरत वाले विषय के जानकार स्टूडेंट किस कॉलेज में हैं।

यह आएंगे बदलाव

अभी तक नगरीय सुविधाओं के लिए जूझना होता है। इसमें खासतौर पर हाउस टैक्स के असेसमेंट व भुगतान नक्शा पास कराने, जल आपूर्ति व कूड़ा न उठने पर शिकायत, ट्रैफिक जाम, पॉवर कट जैसी समस्याओं का हल निकल सकेगा। नगर निगम इन सभी सुविधाओं के लिए नोडल संस्था होगी। छोटे-छोटे गाँव में विकास बहुत ही धीरे होता हैं ऐसे में स्मार्ट सिटी का आना इन गांव के विकास में मदद करेगा।

एक्शन में नगर निगम

स्मार्ट सिटी परियोजना में इंट्री मिलने के बाद लखनऊ नगर निगम काम तेजी से शुरू करेगा। इसमें न केवल जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र और पंजीयन व्यवस्था को प्रभावी तरीके से ऑनलाइन किया जाएगा। बल्कि हाउस टैक्स लोग आसानी से घर बैठे ही इंटरनेट के जरिए जमा कर सकेंगे। जल संस्थान में भी यही सुविधाएं उपलब्ध होंगी। पूरे शहर के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था होगी। इसके साथ ही कूड़ा उठाने वाली गाडि़यों में भी जीपीएस सिस्टम लगेगा। एक महीने के भीतर ये सारे इंतजाम नगर निगम लागू कर देगा।

यह हैं बड़ी चुनौतियां

जेएनएनयूआरएम-

नगर निगम का दावा है कि 87 प्रतिशत काम पूरा हो चुका हैं। जबकि इसके बाद भी कई इलाकों में सीवर लाइन का काम अधूरा है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, ड्रैनेज सिस्टम और वाटर सप्लाई के काम भी पूरे नहीं है। 40 लाख आबादी वाले सिटी में जलसंस्थान के महज सवा तीन लाख पब्लिक कंज्यूमर है। वहीं निशातगंज के कुछ इलाकों समेत सिटी के कई इलाकों में अभी तक सीवर लाइन तक नहीं डाली जा सकी है।

पेयजल आपूर्ति-

जलकल विभाग का दावा है कि यूजर चार्ज से अपना खर्च निकाल लेता है। हालांकि सच यह है कि महज सवा तीन लाख लोग ही ऑन पेपर कंज्यूमर्स हैं। इसके अलावा वर्षो पुरानी व्यवस्था जर्जर हालत में है। संसाधन के अभाव के साथ-साथ बड़े पैमाने पर पेयजल संकट है।

राजस्व में सहयोग-

पब्लिक सर्विस के लिए नगर निगम 35 से 50 प्रतिशत तक राजस्व प्राप्त कर रहा है। नगर निगम की ज्यादातर निर्भरता शासन पर टिकी है। कई प्रोजेक्ट भी इसके चलते अधर में लटके हैं। विभाग में कर्मचारियों के साथ-साथ वसूला जाने वाला राजस्व का प्रतिशत भी मानक को पूरा नहीं कर पा रहा है।

कूड़ा निस्तारण-

शिवरी प्लांट किसी तरह चालू तो कर दिया गया है। हालांकि अभी तक प्लांट में दस प्रतिशत से भी ज्यादा काम नहीं हो पा रहा है। यहीं नहीं सिटी में महज 35 प्रतिशत ही डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन हो रहा है। सिटी के कई इलाकों में अभी भी कूड़ा उठवाने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में स्मार्ट सिटी के लिए कूड़ा निस्तारण बड़ी चुनौती है।

ई-गवर्नेस-

नगर निगम के पास कहने को वेबसाइट है। हालांकि वेबसाइट और उसके यूज का प्रतिशत बहुत कम है। नगर निगम को अभी तक पूरी तरह से ऑनलाइन नहीं किया जा सका है। इंटरनेट के जरिए पब्लिक सर्विस के लिए निगम की वेबसाइट पूरी तरह से यूज में नहीं है। यहीं नहीं नगर निगम अपनी ही संपत्ति को अभी तक वेबसाइड में अपडेट नहीं कर सका है। ई-गवर्नेस में पीछे रहने वाले नगर निगम के लिए स्मार्ट सिटी एक बड़ा चैलेंज है।