बरेली में करीब 45 परसेंट यूजर्स स्मार्टफोन सिंड्रोम की चपेट में

एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक बच्चे और टीनेजर्स में तेजी से बढ़ी बीमारियां

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एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक बच्चे और टीनेजर्स में तेजी से बढ़ी बीमारियां

BAREILLY:

BAREILLY:

इंटरनेट रिवॉल्युशन के चलते दुनिया सिमटकर एक स्मार्टफोन में सीमित हो गई है। एक्चुअल ही नहीं बल्कि वर्चुअल व‌र्ल्ड भी इस स्मार्टफोन के जरिए लोगों की हथेली में सिमट कर रह गया है। बिना स्मार्टफोन व हाई स्पीड इंटरनेट के चंद घंटे गुजारना भी चुनौती सरीखा लगता है। लोगों की लाइफ में हावी होने के बाद यही स्मार्टफोन अपने यूजर्स को ही सिंड्रोम का शिकार बना रहा है। बरेली में स्मार्टफोन सिंड्रोम से पीडि़त होने के कई केसेज डॉक्टर्स के पास पहुंचने लगे हैं। डॉक्टर्स की मानें तो बरेली में करीब ब्भ् परसेंट स्मार्टफोन यूजर्स जाने अनजाने इस सिंड्रोम की चपेट में आ चुके हैं। जिसमें यूथ और बच्चे इससे सर्वाधिक प्रभाि1वत हैं।

पढ़ाई-करियर दांव पर

एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक स्मार्टफोन सिंड्रोम में बगैर जरूरत के भी यूजर्स बार-बार मोबाइल देखते हैं। इससे उनमें डिप्रेशन बढ़ रहा है। वहीं सोशल मीडिया पर देर तक किसी का मेसेज, लाइन या कमेंट न आने पर विचलित हो जाते हैं। इससे खासकर टीनएजर्स व युवाओं में निगेटिविटी बढ़ती है। इसकी समय से काउंसलिंग न हुई तो पढ़ाई के साथ ही करियर भी दांव पर लग सकता है। वहीं, मोबाइल में सुरक्षित रखने की आदत से डेक्लेरेटिव मेमोरी यानि याद करने की क्षमता, सूचनाओं को विस्तार में समझने की प्रवृत्ति घट रही है। बच्चों में भी इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन न होने से उनका शारीरिक हाव-भाव और मूड भांपने की क्षमता घट रही है।

लक्षण

- उंगलियां, कलाई, आंख, गर्दन में दर्द

- सिर भारी रहना, अनिद्रा

- डिप्रेशन, आक्रोशित हो जाना

- खुद को मोबाइल चलाने से न रोक पाना

- फ्रेंड्स, फैमिली के साथ होने पर भी फोन पर बिजी रहना

- मोबाइल से चंद पल दूर होने पर बेचैनी होना

- कान में मोबाइल की घंटी सुनायी देने का भ्रम होना

वजहें

- सिर को झुकाने से रीढ़ पर दो गुना और गर्दन पर तीन गुना वजन होना

- मोबाइल की छोटी स्क्रीन पर पढ़ना और गेम खेलते रहना

- क् मिनट में क्भ् बार पलक झपकती है। मोबाइल पर सिर्फ म्-8 बार झपकना

- दिन भर में फ् घंटे से ज्यादा बात करने पर कान संबंधी प्रॉब्लम्स होना

- सेल्फी के लिए म्0 डिग्री तक गर्दन झुकाने से रीढ़ की हड्डी पर सर्वाधिक वजन पड़ना

स्मार्टफोन सिंड्रोम और बीमारियां

थम्ब टेन्डनाइटिस - कलाई से अंगूठे के तरफ की नसों में दर्द व सूजन रहना

रिस्ट टेन्डनाइटिस - कलाई के जोड़ के पास की नसों में जलन और सूजन रहना

सर्वाइकल पॉस्चर सिंड्रोम - पीठ के ऊपरी हिस्से और गले में असंतुलन होने से मांसपेशियों में तनाव से दर्द रहता है।

डिस्क बल्ज - रीढ़ की हड्डियों के बीच मौजूद डिस्क के लचीलेपन पर असर पड़ने से दर्द शुरू होना।

पीडी टिनिटस - कान में मोबाइल की घंटी सुनाई देना। यह बहरेपन की वजह बनता है।

मोबाइल विजन सिंड्रोम - ज्यादा चैटिंग से आंखों में दर्द, धुंधला दिखाई देना, आंखों की नसें कमजोर होना, ड्राईआई की समस्या होती है।

टेक्स्ट क्लॉ या सेल फोन एल्बो - ज्यादा चैटिंग से कलाइयों, उंगलियों में सूजन और हाथ देर तक एक ही स्थिति में रहने से कोहनी में अकड़न रहना

टेक्स्ट नेक - यह मोबाइल पर अधिक गेम खेलने से होती है। सर्वाधिक बच्चे और टीनेजर्स प्रभावित हैं।

ध्यान रखें

- सीधे खड़े हों, शरीर और गले को सही रखने के लिए मिरर देखें

- झुकी हुई कमर को सही करने के लिए कंधों को फैलाते हुए पीछे मुड़ें

- टाइप करते समय एक उंगली से ज्यादा टेक्स्ट या टाइपिंग न करें

- कलाइयों को आराम दें। इससे कलाई के जोड़ों पर दबाव नहीं पड़ेगा

- ठोढ़ी को नीचे न झुकाएं, गर्दन को एक ओर मोड़ कर बात न करें

- मोबाइल पर एक बार में क्0 से क्भ् मिनट से ज्यादा टाइपिंग न करें

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स्मार्टफोन सिंड्रोम तेजी से टीनेजर्स और बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है। हल्की एक्सरसाइज करें। आदतों में आसान बदलाव से कई समस्या सुलझ सकती है। -डॉ। सुदीप सरन, फिजिशियन

जरूरत के मुताबिक ही स्मार्टफोन का यूज करना चाहिए। प्रॉब्लम बढ़ने पर डॉक्टर्स की सलाह लें। टेक्स्ट क्लॉ, नेक से ज्यादातर लोग पीडि़त हैं।

डॉ। अजय मोहन अग्रवाल, फिजिशियन

स्मार्टफोन के यूज से डिप्रेशन की समस्या तेजी से बढ़ रही है। सिंड्रोम का सबसे ज्यादा असर यूथ, टीनेजर्स और बच्चों पर पड़ रहा है।

हेमा खन्ना, साइकोलॉजिस्ट