- गुरुवार की सुबह पूरे शहर में छाई धुंध की चादर, पूरा दिन नहीं हुए सूर्य देव के दर्शन

- वायुमंडल में बढ़ती जा रही है खतरनाक कणों की मात्रा, बढ़ सकती है परेशानी

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दिल्ली में फैली धुंध बनारस में भी पहुंच चुकी है। इसकी बानगी बुधवार की सुबह देखने को मिली। हाल ये हुआ कि दिनभर सूर्य देवता के दर्शन भी नहीं हुए और धुंध का असर पूरा दिन देखने को मिला। अचानक से छाई इस धुंध का मौसम पर तो कोई खास असर नहीं पड़ा लेकिन लोगों में चर्चा का विषय जरूर बना रहा। अचानक से छाई इस धुंध के पीछे क्या वजह है और क्यों हो रहा है ऐसा? इसकी पड़ताल की दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने। जिसके बाद ये तो साफ हो गया कि ये धुंध कोहरे का रुप नहीं बल्कि दिल्ली की ही तरह बढ़ रहे प्रदूषण का असर है। जिसने बनारस की आबोहवा को भी अपने चपेटे में ले लिया है।

हर पल घुल रहा है हवा में जहर

गाडि़यों से निकले धुएं और सीवर-पेयजल लाइन दुरूस्त करने के लिए शहर की चौतरफा खोदाई इस मुसीबत को बढ़ाने की मुख्य वजह बन रही है। जिसके कारण अब तो शहर में सांस लेने में भी परेशानी हो रही है। हालात बेहद खतरनाक स्थिति में पहुंच गए हैं। हाल ये है कि वायु प्रदूषण का स्तर अपने शहर में खतरनाक बिंदु पर पहुंच गया है। जानकारों की मानें तो वायुमंडल में कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस के स्तर में सामान्य से 10 गुना की वृद्धि हो गई है जो हवा में जहर घोलने का काम कर रही है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा वायुमंडल में 20 मिली ग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंचने का अनुमान है। जबकि सामान्यतया स्वच्छ वायुमंडल में इसकी मात्रा दो मिलीग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए। वहीं सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा भी काफी निचले स्तर पर पहुंच गई है। जो बनारस के लिए आने वाले वक्त में बड़ी चिंता का विषय है।

इन कारणों से बिगड़ रहे हालात

- सड़कों की खोदाई और बदहाली से उड़ रही धूल बन रही धुंध का कारण

- खराब सड़कों पर वाहनों का दौड़ना एयर पाल्यूशन को बना रहा खतरनाक

- सल्फर डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन भी इन वाहनों के साइलेंसर से होता है

- विकास कार्यो में मानकों का ध्यान नहीं रखना भी वायु प्रदूषण को दे रहा बढ़ावा

- वायुमंडल को सबसे अधिक नुकसान कचरा जलाने से उठ रहे धुंए से हो रहा है

- आम आदमी से लगायत सफाई कर्मी भी कूड़ा जलाकर इस समस्या को भयावह रूप दे रहे हैं

जानें क्या है स्मॉग

ठंड की तरफ बढ़ते मौसम का मिजाज काफी दिनों से नमी भरा है। वातावरण में नमी होने के कारण वाहनों से निकले धुएं की परत सी बन जाती है। नमी के कारण वाहनों से निकलने वाला धुंआ वातावरण में ऊंचा नहीं उठ पाता और उस कंडीशन में धुंध की शक्ल ले लेता है। इस मौसम में पॉल्यूशन और कोहरा मिलकर स्मॉग बनाते हैं।

इस धुंध से जरा बच के

- सांस की तकलीफ होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करें

- इन्हेलर्स का इस्तेमाल करें

- सड़क या खुली जगह पर सांस अंदर की तरफ लें और बाहर को छोड़ते समय बीच में सांस न रोकें

- घर से निकले तो मुंह कवर करना न भूले

बिगड़ रहे हैं हालात

- धूल की मात्रा 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए लेकिन है 400 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर

- कार्बन मोनोआक्साइड दो मिलीग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए लेकिन है करीब 20 मिलीग्राम प्रति घन मीटर है

- ठोस कण (एसपीएम 10) की मात्रा 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए लेकिन 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है

- ठोस छोटे कम (पीएम 2.5) की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए लेकिन है 207 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर

- सल्फर डाई आक्साइड 80 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए लेकिन 27 से 35 तक पहुंच गई है।

- नाइट्रोजन आक्साइड 80 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होनी चाहिए लेकिन 20 से 30 माईक्रोग्राम के बीच है।

नई दिल्ली की धुंध बनारस पहुंची ये तो नहीं कहा जा सकता लेकिन बनारस में बिगड़ रहे हालात इस धुंध के लिए जिम्मेदार हैं। एक तरह से ये बदलाव ठंड की भी दस्तक है लेकिन ठंड से पहले धुंध और बढ़ेगी।

प्रो एसएन पांडेय, मौसम वैज्ञानिक

बनारस में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक बिंदु पर है। इसलिए शहर के वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए गुणवत्ता की जांच समय-समय पर होती है।

डॉ अनिल कुमार सिंह, अधिकारी क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

बनारस में नियमों की अनदेखी यहां के हालात बिगाड़ रही है। दिल्ली की तरह यहां भी वायु पाल्यूशन बढ़ रहा है। मेन वजह चल रहे विकास कार्य और कूड़े का जलाना है। इसे नहीं रोका गया तो हालात और बिगड़ेंगे।

डॉ एससी शुक्ला, सहायक वैज्ञानिक अधिकारी क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण