- शहर में हर दिन लगने वाला जाम बन रहा है बढ़ते प्रदूषण की वजह

- वाहनों के खतरनाक धुएं से बढ़ा गंभीर बीमारियों का खतरा

KANPUR : शहर में बढ़े खतरनाक प्रदूषण की एक वजह हर दिन लगने वाले जाम में खड़े वाहन भी हैं। जाम में फंसे स्टार्ट वाहनों से निकलने वाला धुआं वातावरण को दूषित कर रहा है। प्रशासन से लेकर प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी के बाद भी अभी तक प्रदूषण को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

बचना है तो जागरुक हाेना पड़ेगा

आबोहवा में बढ़ रहे प्रदूषण और हानिकारक पार्टिकुलेटेड मैटर से बचने के लिए सभी को अपने स्तर पर जागरुक होने की जरूरत है। हर व्यक्ति के जागरुक होने के बाद ही प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकता है। नियमों का पालन करके और बताए गए तरीकों पर गौर किया जाए तो काफी हद तक हमें इस समस्या से राहत मिल सकती है।

प्रदूषण का हाेता ये असर

उर्सला के कार्यवाहक सीएमएस डॉ। शैलेंद्र तिवारी के अनुसार उत्सर्जित प्रदूषणकारी तत्वों के प्रभाव से व्यक्ति को अक्सर खांसी, सिर में दर्द, जी मिचलाना, घबराहट होना, आंखों में जलन होना, दिल से संबंधित बीमारियां, अदृश्यता जैसी बीमारियां होनी साधारण बात है।

पेड़ पौधे भी प्रदूषण की चपेट में

सीएमएस ने बताया कि वाहनों से निकलने वाली गैसों में मुख्य रूप से कार्बन मोनो ऑक्साइड, बिना जले हाइड्रोकार्बन यौगिक, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कज्जल, सीसा एवं एल्डीहाइड आदि इंजन के आंतरिक दहन के फलस्वरूप उत्सर्जित होते हैं। इन खतरनाक गैसों का दुष्प्रभाव केवल मनुष्यों को ही नहीं, बल्कि जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों पर भी पड़ रहा है।

आम हुआ लंग कैंसर और दमा

डॉक्टर के अनुसार कार्बन मोनो ऑक्साइड वाहनों से छोड़े गये धुएं में लगभग 90 प्रतिशत तक हो सकता है। इसका सारे शरीर खासकर ब्रेन, लंग और ब्लड पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। लंग कैंसर और दमा जैसी बीमारियों का मूल कारण वायु प्रदूषण ही है। कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा शहर में बर्दाश्त की सीमा (ख्000 माइक्रोग्राम/प्रति घनमीटर) से बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है।

व्यक्ति से ज्यादा खतरनाक वाहन

डॉक्टर ने बताया कि वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार एक वाहन 9म्0 किलोमीटर चलने पर उतनी ऑक्सीजन को प्रदूषित कर देता है, जितना एक व्यक्ति एक साल में करता है। वाहन के धुएं में मौजूद सीसा या लेड, एक ऐसा जहर है जो नाडि़यों में इकट्ठा होकर, आनुवांशिक बीमारियां पैदा करता है। जबकि, ये तत्व बड़ों की अपेक्षा, बच्चों को पांच गुना ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।

इस तरह कर सकते रोकथाम

- यातायात व्यवस्था सुधार कर वाहनों का निर्बाध आवागमन।

- वाहनों की संख्या में कमी करके प्रदूषण कम कर सकते हैं।

- वाहनों में गुणवत्तापूर्ण ईधन के इस्तेमाल से।

- वाहनों की समय से सर्विस कराएं, जिससे धुआं कम हो।

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आई कनेक्ट

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पीडीएफ लगाएं

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स्मॉग से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि मास्क का यूज करें, क्योंकि जहरीली गैसें कानपुर के वातावरण में बढ़ती जा रही हैं। किसी भी सूरत में इनसे अपने फेफड़ों को बचाना है तो मास्क के अलावा दूसरे प्रिकॉशन लेने होंगे।

विमल सिन्हा, सिविललाइंस

मुझको लगता है कि अगर लोग जागरूक हो जाएं तो काफी हद तक प्रदूषण से बचा जा सकता है। जब प्रदूषण कम होगा तो स्मॉग अपने आप कम हो जाएगा। पॉल्यूशन कम करने के लिए बहुत जरूरी है कि हम जागरूक हो जाएं।

राजीव त्रिपाठी, विकास नगर

हमारे शरीर के लिए ये बहुत जरूरी है कि हम साफ-सुथरी हवा में रहें। क्योंकि जहां हम सांस लेते हैं वहां अगर पॉल्युशन अधिक होगा तो हमारी बॉडी को नुकसान पहुंचाएगा।

विभा शुक्ला, शास्त्री नगर