सीएसजेएमयू में अभी तक एमफिल का एक भी आवेदन न आने से यह कोर्स बंद होने के कगार पर पहुंच गया है। असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए एमफिल के साथ पीएचडी की योग्यता खत्म होने के कारण छात्र इस कोर्स से किनारा कर रहे हैं। एमफिल के अलावा विश्वविद्यालय की ओर से जारी हुए बीबीए, बीसीए, लाइब्रेरी साइंस व होटल मैनेजमेंट समेत 55 पाठ्यक्रमों के लिए करीब 1500 अभ्यर्थियों ने आवेदन फार्म भरे हैं। इसमें एमफिल में प्रवेश के लिए एक भी आवेदन नहीं हुआ। विवि में एमफिल के आठ कोर्स संचालित हैं जिनमें 25-25 सीटें हैं। परीक्षार्थियों की कमी के कारण विवि प्रशासन को पिछले वर्ष एमफिल की प्रवेश परीक्षा तक निरस्त करानी पड़ी थी। इस बार हालत और भी खराब है। आवेदन करने के लिए महज छह दिन और बचे हैं लेकिन एक भी आवेदन नहीं आया है। सुप्रीमकोर्ट के फैसले के मुताबिक एमफिल व पीएचडी करने वालों को लेक्चरर व असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए नेट परीक्षा पास करनी होगी। जिन लोगों ने 2009 से पहले भी एमफिल या पीएचडी की है। उन्हें भी अब छूट नहीं मिलेगी।

बंद हुए नौकरी के दरवाजे

महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी व एमफिल धारकों के लिए नेट की योग्यता का नियम लागू होने के बाद हजारों छात्रों के सामने असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के दरवाजे बंद हो गए हैं। सीएसजेएमयू समेत अन्य विश्वविद्यालयों से एमफिल की डिग्री हासिल करने वाले छात्रों के सामने अब अपने भविष्य को संवारने का संकट गहराने लगा है।

अगर एमफिल में आवेदन नहीं आते तो उसे बंद किया जा सकता है। यह सच है कि एमफिल की ओर छात्रों का रुझान घटा है।

प्रो। जेवी वैशम्पायन, कुलपति सीएसजेएमयू