- फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुप में हो रही वोट की अपील

-वॉयस मैसेजों से अटा सोशल मीडिया, मिल रहे लाइक

आई स्पेशल

सुंदर सिंह

<- फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुप में हो रही वोट की अपील

-वॉयस मैसेजों से अटा सोशल मीडिया, मिल रहे लाइक

आई स्पेशल

सुंदर सिंह

MeerutMeerut: सोशल मीडिया पर आने वाली चुनाव प्रचार सामग्री व अन्य विषयवस्तु निर्वाचन आयोग के लिए भी परेशानी बनी हुई है। इसका कारण राजनीतिक दलों और अन्य लोगों में जागरूकता की कमी है। इस परेशानी को दूर करने और लोगों को जागरूक करने को लेकर निर्वाचन आयोग ने दिशा निर्देश जारी किए हैं, जबकि मेरठ प्रशासन इन निर्देशों का अनुपालन नहीं कर रहा है। नतीजन प्रत्याशियों के वीडियो और फोटोज जमकर वायरल हो रहे हैं।

क्या हैं आयोग के निर्देश?

-सभी प्रत्याशियों और राजनैतिक दलों को जिला स्तरीय-राज्य स्तरीय मीडिया प्रमाणीकरण एवं निगरानी कमेटियों को अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स की संपूर्ण सूचना देनी होगी।

-प्रत्याशियों-दलों को यह भी बताना होगा की इन अकाउंट्स को चलाने में क्या खर्च आ रहा है। इसमें इंटरनेटए क्रिएटिव टीम और कार्मिकों को किया जाने वाला भुगतान भी शामिल होगा।

-किसी भी पेज या अकाउंट को स्पांसर करते समय उस पर आ रहे खर्च की सूचना व भुगतान की प्रक्रिया का विवरण जिला-राज्य स्तरीय मीडिया प्रमाणीकरण एवं निगरानी कमेटी को नियमित रूप से देना होगा।

-यदि किसी पोस्टर, वीडियो, ऐनीमेशन, ग्राफिक प्लेट को सोशल मीडिया पर विज्ञापन के रूप में जारी किया जाना है। तो मीडिया प्रमाणीकरण एवं निगरानी कमेटी से इसका पूर्व प्रमाणीकरण जरूरी होगा। अन्यथा इसका आचार संहिता के प्रावधानों के अंतर्गत उनका अनुश्रवण किया जाता रहेगा। यदि कोई पोस्ट आचार संहिता का उल्लंघन करती पाई गई तो उस पर नियमानुसार कार्रवाई होगी।

-वेबसाइट पर किसी भी प्रकार के विज्ञापन (बैनर) लिखित विज्ञापन, वीडियो, फोटो आदि जारी किए जाने की सूचना और उनका मीडिया प्रमाणीकरण एवं निगरानी से प्रमाणीकरण जरूरी होगा।

-फेसबुक-ट्विटर पर लाइव होने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं है। लेकिन लाइव की जा रही विषयवस्तु में आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। लाइव के दौरान रिकॉर्ड होने वाले वीडियो भी बाद में बिना पूर्व प्रमाणीकरण के विज्ञापन के रूप में नहीं चलाए जा सकते।

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कार्रवाई के हैं आदेश

जिन सोशल मीडिया गतिविधियों में कमेटी से पूर्व प्रमाणीकरण की बाध्यता नहीं है, उनकी निगरानी भी कमेटी करेगी। यदि इनमें आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करती कोई सामग्री मिली तो उस पर भी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। जिला निर्वाचन अधिकारियों के स्तर से राजनैतिक दलों-प्रत्याशियों, राजनेताओं को सोशल मीडिया संबंधी प्रावधानों से अवगत कराया जाए।

एमसीएमसी झाड़ रहा पल्ला

मीडिया प्रमाणीकरण एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी) सोशल साइट्स पर चल रही गतिविधियों पर पल्ला झाड़ रही है। समिति का कहना है कि सोशल साइट्स पर कनटेंट को लेकर निगरानी के आयोग के निर्देशों की स्पष्ट जानकारी नहीं है। हालांकि आपत्तिजनक और हिंसा भड़काने वाले कंटेन्ट पर साइबर सेल की नजर है।

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कुछ ये हो रहा है

-प्रत्याशी हाईटेक हो चले हैं। फेसबुक पर लाइव होने के साथ ही वॉइस मैसेज कर मतदान की अपील कर रहे हैं।

-चुनाव आयोग के प्रचार-प्रचार को लेकर कड़े निर्देशों के चलते प्रत्याशी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच बनाने के लिए सोशल साइट्स का सहारा ले रहे हैं।

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एक दिन में कई-कई पोस्ट

चुनाव प्रचार और स्वागत के फोटो फेसबुक पर पोस्ट कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए टीम बना रखी है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के फोन पर वॉइस मैसेज भेजे जा रहे हैं, जिनमें प्रत्याशी को वोट देने की अपील की जा रही है। इसके लिए प्रत्याशियों ने कंपनियों को हायर किया हुआ है। इसके अलावा वाट्सएप ग्रुपस पर और पर्सनल मैसेज कर वोट देने की अपील की जा रही है। वीडियो पोस्ट करने के साथ वॉइस मैसेज भी भेजे जा रहे हैं।

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एमसीएमसी को सोशल साइट्स पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। बिना अनुमति सोशल साइट्स पर प्रचार सामग्री को पोस्ट करने पर आयोग ने रोक लगा दी है। आयोग के निर्देशों का कड़ाई से पालन होगा।

-बी। चंद्रकला, डीएम, मेरठ