KANPUR : भइया समाजवादी पेंशन का फार्म कहां मिल रहा है? काउन्टर में कोई नहीं है। फार्म कैसे मिलेगा? अरे मेरी सुनिए मुझे तो रजिस्ट्रेशन फार्म ही नहीं मिला है। अब बताइए मेरी शिकायत कैसे दर्ज होगी? भइया मैने तो किसी तरह दलाल से फार्म खरीदकर और रजिस्ट्रेशन कराकर फार्म जमा कर दिया है, लेकिन मुझे रिसीविंग नहीं दो गई? भइया मेरी सुनिए, साहब मेरी सुनिए ये नजारा शुक्रवार को कमिश्नर की अध्यक्षता में हुए तीन दिवसीय समाधान शिविर के अंतिम दिन आई नेक्स्ट को दिखा। जहां पर सैकड़ों फरियादी इस उम्मीद से पहुंचे थे कि उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा, लेकिन सरकारी मशीनरी की लचर और आलसी कार्यप्रणाली से यह शिविर समाधान शिविर के बजाए समस्या शिविर में तब्दील हो गया। जिसका खामियाजा पब्लिक को भुगतना पड़ा।

शिविर के शुरू होते ही खत्म हो गए फार्म

मोतीझील में आयोजित इस शिविर में दो इंट्री गेट थे। गेट नम्बर क् पर रजिस्ट्रेशन और समाजवादी पेंशन समेत अन्य फार्म का काउन्टर था। जहां पर फरियादियों को नि:शुल्क फार्म मिलना था, लेकिन शिविर के शुरू होने के एक घंटे के अन्दर ही काउन्टर से फार्म खत्म हो गए। कर्मचारी एक से दो दर्जन फरियादियों को एक फार्म यह कहकर दे रहे थे कि वे फार्म की फोटोकॉपी करा लें। कुछ देर यह चला फिर वो भी बन्द हो गया। वहां पर कर्मचारी औपचारिकता के लिए बैठे रहे। उन्होंने न तो फार्म को मंगवाया और न ही इस बारे में आला अधिकारियों को जानकारी दी।

बेचे जाने लगे समाजवादी समेत अन्य फार्म

काउन्टर से फार्म खत्म होते ही दलाल शिविर के गेट पर बाइक खड़ी कर फार्म बेचने लगे। उन्होंने ब्0 रुपए में फार्म बेचने की शुरुआत की और धीरे-धीरे उसका रेट क्भ्0 रुपए तक पहुंच गया। फरियादियों ने इसकी शिकायत पुलिस कर्मियों समेत आला अफसरों से की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बल्कि गेट पर पुलिसकर्मियों के सामने फार्म बिकता रहा। आई नेक्स्ट ने जब इसके बारे में आला अधिकारियों से सवाल किया तो उन्होंने आनन फानन में पुलिस के जरिए एक दलाल को पकड़वा लिया, लेकिन इसके बाद भी काउन्टर पर फार्म उपलब्ध नहीं कराए गए।

टाइम से पहले ही काउन्टर छोड़कर चले गए

समाधान शिविर का टाइम सुबह क्0 बजे से दोपहर ख् बजे तक का था। शुक्रवार को अन्तिम दिन होने से वहां पर फरियादियों का हुजूम उमड़ पड़ा था। वहां पर फरियादियों की लम्बी कतारे लगे थी, लेकिन इसके बाद भी सरकारी कर्मचारी अपनी बुरी आदत के चलते काउन्टर को छोड़कर चले गए। दोपहर क्ख् बजे के बाद ज्यादातर काउन्टर खाली होने लगे। कई काउन्टर तो कर्मचारियों से जाने से पूरी तरह से खाली हो गए। जिससे कई फरियादी का प्रार्थना पत्र दाखिल नहीं हो सका।

काउन्टर पर बैठे गुटखा खाते रहे कर्मचारी

प्रशासन सार्वजनिक जगह पर धूम्रपान रोकने के लिए दो दिन से अभियान चला रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों ने कई दुकानों में छापा मारकर उन पर जुर्माना लगाया है, लेकिन समाधान शिविर में प्रशासन के इस अभियान की पोल खुल गई। यहां पर सरकारी कर्मचारी खुद ही धूम्रपान और गुटखा खा रहे थे। हालांकि कर्मचारी सिगरेट तो काउन्टर के पीछे जाकर पी रहे थे, लेकिन वे काउन्टर में बैठे-बैठे गुटखा खा रहे थे। जिस पर किसी भी अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया।

अधिकारियों के लिए रेस्ट रूम, फरियादी के लिए कुछ नहीं

मोतीझील में पब्लिक की हेल्प के लिए समाधान शिविर आयोजित किया गया था, लेकिन इस शिविर में पब्लिक की ही उपेक्षा की गई। शिविर में अधिकारियों के आराम करने के लिए रेस्ट रूम बनाया गया था। जिसमें अफसरों के बैठने के लिए सोफा और कूलर की व्यवस्था की गई थी। अधिकारियों के लिए मिनरल बॉटल और कोल्ड ड्रिंक और जूस की बोतलें थी लेकिन वहां पर पब्लिक के लिए न तो कोई रेस्ट रूम और न ही पीने के पानी का उचित इंतजाम था। वे दोपहर में करीब ब्0 डिग्री तापमान पर पसीना बहा रहे थे। उनको मजबूरी में जमीन पर बिछी दरी पर बैठना पड़ रहा था। वहीं सैकड़ों फरियादियों को खुले आसमान के नीचे तपती धूप में खड़ा रहना पड़ा।

समाधान नहीं, समस्या िशविर कहिए

ये समाधान शिविर नहीं बल्कि समस्या शिविर था। यहां पर समस्या का समाधान तो दूर मुझे रजिस्ट्रेशन फार्म भी नहीं मिला। अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मुझे निराश होकर वापस घर लौटना पड़ रहा है।

श्याम, किदवईनगर (9ब्0ब्)

इस शिविर में तो मुझे हर कदम पर समस्या का समाधान करना पड़ा। पहले तो मुझे फार्म नहीं मिला। मै किसी तरह जुगाड़ से फार्म लाई तो मुझे रजिस्ट्रेशन नम्बर लेने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। मै फार्म जमा काउन्टर पर पहुंची तो अधिकारी उठ गए थे। ऐसा समाधान शिविर मैने पहले नहीं देखा।

सोनी (9ब्08)

यहां तो दलालों ने सजा ली दुकान

मै समाजवादी पेंशन के लिए फार्म जमा करने के लिए शिविर में आई थी, लेकिन यहां पर तो फार्म ही नहीं मिला। मुझे मजबूरी में एक दलाल से क्00 रुपए का फार्म खरीदना पड़ा। अब बताइये ये कैसा समाधान शिविर है।

सुशीला सीसामऊ (9ब्क्क्)

मै समाजवादी पेंशन के लिए आवेदन करना चाहती थी, लेकिन मुझे फार्म नहीं मिला। मै वापस जाने लगी तो गेट पर एक दलाल भ्0 रुपए का फार्म बेच रहा था। जिसे देख मैने एक अफसर से शिकायत की तो उसने कहा कि जब फार्म बिक रहा तो उसे खरीद कर भर दो।

सावित्री देवी डबल पुलिया (9ब्क्ख्)

फार्म जमा किया, लेकिन रिसीविंग नहीं मिली

मैने समाजवादी पेंशन के लिए आवेदन किया है। मैने किसी तरह एक दलाल से फार्म खरीदकर काउन्टर में जमा किया, लेकिन मुझे उसकी रिसीविंग नहीं मिली। मैने अधिकारियों से भी शिकायत की, लेकिन उन्होंने यह कहकर लौटा दिया कि यहां पर रिसीविंग नहीें दी जाती है। अब बताइए ये कैसे पता चलेगा कि मैने फार्म जमा किया है।

स्वाती मिश्रा गोविन्दनगर (9भ्क्7)

समाधान शिविर में सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। यहां पर न तो कोई अधिकारी फरियादियों की समस्या पर ध्यान दे रहा है और न ही उनकी मदद कर रहा है। मैने शिकायत प्रार्थना पत्र जमा किया, लेकिन मुझे उसकी रिसीविंग नहीं दी गई। अब मै कैसे पता चलेगा कि मैने भी शिकायत दर्ज कराई है।

शालू गुप्ता जनरलगंज (9भ्ख्क्)

समाधान शिविर में नहीं हुई सुनवाई

मुझे गैस कनेक्शन के लिए आवेदन करना है। मेरा सफेद राशन कार्ड है। मैं एजेंसी गया तो वहां से भगा दिया गया। मैं बड़ी आस के साथ शिविर में आया था, लेकिन यहां पर सुनवाई नहीं हुई। जिलापूर्ति विभाग के काउन्टर से भी मुझे भगा दिया गया।

भीम जायसवाल (9ब्97)

समाधान शिविर में शिकायत दर्ज करना खुद में एक चुनौती है। मै किसी तरह रजिस्ट्रेशन कराकर शिकायत प्रार्थना पत्र जमा करने के लिए काउन्टर पर गया तो वहां पर कोई अधिकारी नहीं था। कुछ देर बाद वहां पर एक अधिकारी आए तो उसने टाइम पूरा होने का हवाला देते हुए फार्म जमा करने मना कर दिया।

जंग बहादुर सिंह (9भ्ख्9)