-लखनपुर से बीटेक स्टूडेंट ऑपरेट कर रहा था गैंग, STF ने बीटेक स्टूडेंट समेत दस शातिरों को पकड़ा

-ऑनलाइन परीक्षा में करते थे खेल, एक परीक्षार्थी से वसूलते थे 10 से 15 लाख

KANPUR : सरकारी और गैरसरकारी नौकरी समेत अन्य ऑनलाइन परीक्षा में सेंधमारी करने वाले सॉल्वर गैंग को एसटीएफ ने रविवार की रात दबोच लिया। यह गैंग यूपी समेत पूरे देश में होने वाले एग्जाम में परीक्षार्थियों से मोटी रकम लेकर उन्हें पास कराने का ठेका लेता है। वे सॉल्वर के जरिए परीक्षार्थी को एग्जाम में पास करवा देते हैं। इसके बाद वे परीक्षार्थी को इंटरव्यू में पास कराने का अलग से पैसा लेते हैं। एसटीएफ ने गैंग के मुखिया समेत दस शातिरों को पकड़ा है। इनके पास से नौ लाख से ज्यादा की नगदी, सॉल्व पेपर, कम्प्यूटर, हार्ड डिस्क समेत अन्य सामान बरामद हुआ है।

कल्याणपुर से पकड़ा गया छात्र

एसटीएफ ने करीब छह महीने पहले इलाहाबाद में संयोगिता इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी सेंटर में छापा मारकर एक सॉल्वर गैंग को रंगेहाथ पकड़ा था। इस सेंटर में रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड की परीक्षा चल रही थी, जिसमें सॉल्वर गैंग करीब एक दर्जन परीक्षार्थियों को पास कराने का ठेका लिया था। जिसकी भनक लगने पर एसटीएफ ने छापा मारकर गैंग का पर्दाफाश किया था। एसटीएफ को इसी गुडवर्क में सॉल्वर गैंग के तार कानपुर से जुड़े होने का पता चला था। वहां से मिले क्लू पर एसटीएफ वर्क कर रही थी कि उन्हें एक मुखबिर से सॉल्वर गैंग के एक्टिव होने का पता चल गया। मुखबिर से उनको पता चला कि कल्याणपुर में एक बीटेक पास आउट स्टूडेंट गैंग को ऑपरेट कर रहा है। वो खुद सॉल्वर था, लेकिन अब वो अलग गैंग बनाकर परीक्षाओं में सेंधमारी कर रहा है।

जॉब नहीं मिली तो गैंग से जुड़ गया

एसटीएफ ने मुखबिर से मिले क्लू पर कल्याणपुर के लखनपुर इलाके में छापा मारकर कृष्णन प्रसन्ना उर्फ केपी को साथियों समेत दबोच लिया। एसटीएफ को पूछताछ में केपी ने बताया कि उसने 2009 में बीटेक किया था। जब उसे जॉब नहीं मिली तो वो एक सॉल्वर गैंग से जुड़ गया। इसके बाद उसने अपना अलग गैंग बना लिया। उसने बीटेक और मेडिकल के अलावा रेलवे, बैंक समेत अन्य परीक्षा में परीक्षार्थियों से पैसा लेकर उन्हें पास करवाया है.

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स तरह करते हैं सेंधमारी

एसटीएफ एसएसपी अमित पाठक के मुताबिक सॉल्वर गैंग अब हर तरह की परीक्षा में घुस गए हैं। वे परीक्षा के हिसाब से परीक्षार्थी से पैसा वसूलते हैं। वे बैंक, रेलवे समेत सरकारी नौकरी की परीक्षा में 10 से 15 लाख रुपए एक परीक्षार्थी से वसूलते हैं। अब सरकारी और गैरसरकारी नौकरी समेत प्रतियोगी परीक्षाएं ऑनलाइन होने लगी हैं। इसके अलावा कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भी ऑनलाइन परीक्षा होने लगी है। ऑनलाइन परीक्षा में उन कम्प्यूटर सेंटर को परीक्षा केंद्र बनाया जाता है, जहां 50 से 100 कम्प्यूटर होते हैं। सॉल्वर गैंग तीन तरीकों से ऑनलाइन परीक्षा में सेंधमारी करते हैं। जिस तरह परीक्षा संचालक खुद को अपग्रेड कर रहे हैं।

-परीक्षा केंद्र में सेटिंग कर परीक्षार्थी की जगह सॉल्वर बैठाया जाता है। इसके लिए परीक्षार्थी की शक्ल से मिलता हुआ सॉल्वर ढूढ़ा जाता है। इसके बाद ट्रिक फोटोग्राफी के जरिए परीक्षार्थी और सॉल्वर की फोटो को मिक्स ऐसी फोटो बनाई जाती है, जो देखने में दोनों की तरह लगती है। इसके बाद मूल परीक्षार्थी के एडमिट कार्ड में सॉल्वर की फोटो लगाकर उसे पेपर देने के लिए भेजा जाता है। पेपर खत्म होने के बाद दोबारा से सॉल्वर की फोटो हटाकर असली फोटो लगा दी जाती है।

-सॉल्वर गैंग परीक्षा केंद्र और ओटीपी कर्मी से सेटिंग कर परीक्षार्थी के कम्प्यूटर पर इंटरनेट ऑन करा देते हैं। इसके बाद वे रिमोट एक्सेस सॉफ्टवेयर जैसे ((Ammyy Admin) के जरिए उसकी स्क्रीन को अपने कम्प्यूटर में लेकर पेपर सॉल्व कर देते हैं। इसमें सॉल्वर परीक्षार्थी से दूर बैठकर दूसरे कम्प्यूटर में पेपर सॉल्व करता है।

-इसके अलावा सॉल्वर गैंग परीक्षा केंद्र और ओटीपी कर्मियों से सेटिंग कर एक दिन पहले ही सर्वर लैपटॉप से पेपर हासिल कर लेते हैं। जिसे वे सॉल्व कर परीक्षार्थी के मोबाइल पर भेज देते हैं।

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इन लोगों को पकड़ा गया

-लखनपुर से नागराजन कृष्णन के बेटे केपी उर्फ कृष्णन प्रसन्ना

- गल्लामण्डी से राम कुमार वर्मा का बेटा रविकान्त

- दिल्ली के शकरपुर से बब्बन शर्मा का बेटा रुपेश कुमार

- लखनपुर से जितेंद्र सिंह का बेटा आलोक

- फतेहपुर के खखरेरु से पीयूष प्रताप सिंह का बेटा रवींद्र

- बर्रा से अंकुर कुमार उर्फ अमित कटियार

- लखनऊ से सुनील कुमार

- बिल्हौर से कमल प्रकाश शर्मा

- नौबस्ता से रजत सचान