- मुजफ्फरपुर सहित सात डिस्ट्रिक्ट में जाएगी स्पेशल टीम

- अब तक पता नहीं चल सका इस बीमारी का कारण

PATNA CITY: गर्मी बढ़ते ही बिहार गवर्नमेंट को मासूम बच्चों में होने वाली जानलेवा बीमारी इंसेफ्लाइटिस का डर सताने लगा है। कुछ सालों में सैकड़ों मासूम की जान इस बीमारी ने ले चुकी है। अब तक इस बीमारी का न तो कारण पता चल सका है और न ही रोकथाम की कोई उपाय की गई है। यह वायरस से होता है या वैक्ट्रिया से, इसमें भी कंफ्यूजन है। इंसेफ्लाइटिस का कारण और इसके रोकथाम के लिए रिसर्च की जा रही है। बिहार गवर्नमेंट रिसर्च के लिए फंडिंग करेगी। दरअसल, इंसेफ्लाइटिस के मुद्दे पर हाई लेवल मीटिंग शुक्रवार को आरएमआरआई में हुई। मीटिंग में स्टेट हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ब्रजेश मेहरोत्रा, पटना एम्स के डायरेक्टर डॉ जीके सिंह और आरएमआरआई के डायरेक्टर डॉ पी दास समेत पीएमसीएच और एनएमसीएच समेत सभी मेडिकल कॉलेज के एक्सपर्ट मौजूद थे।

आज जाएगी टीम

इंसेफ्लाइटिस का कहर मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, शिवहर, ईस्ट चंपारण, वेस्ट चंपारण और समस्तीपुर में अधिक है। इन जिलों में फ्0 और फ्क् मई को जांच के लिए टीम जाएगी। प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने बताया कि प्रभावित जिलों में हर पहलुओं की जांच की जाएगी।

बढ़ाई गई मेडिकल फैसिलिटीज

जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी वैसे-वैसे इंसेफ्लाइटिस का कहर बढ़ेगा। गवर्नमेंट के बड़े हॉस्पीटल से लेकर पीएचसी तक मेडिकल सुविधाएं बढ़ा दी गई है। प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने बताया कि काफी सारे डॉक्टर्स को डिप्यूटेशन पर प्रभावित जिलों में भेजा गया है। जिसमें आयुष डॉक्टर्स, पारा मेडिकल स्टाफ शामिल हैं। सारे पीएचसी में मेडिसीन और बेड सहित दूसरी फैसिलिटीज बढ़ाई गई है।

नए केसेज की होगी लिस्टिंग

मीटिंग में प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने इस जान लेवा बीमारी के कारणों का पता लगाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कारण पता करना बेहद जरूरी है। नए केसेज की लिस्टिंग होगी। जिससे सिमिटम पता किया जाएगा।

रिसर्च है बेहद जरूरी

इंसेफ्लाइटिस बीमारी का कारण पता लगाने के लिए रिसर्च बेहद जरूरी है। इस पर दिल्ली की आईसीएमआर अलग से रिसर्च कर रही है। जबकि बिहार गवर्नमेंट भी पटना एम्स, आरएमआरआई सहित सभी मेडिकल कॉलेज से रिसर्च करने वालों से प्रोजेक्ट्स मांगी है। प्रिंसिपल सेक्रेटरी ब्रजेश मेहरोत्रा ने साफ किया कि रिसर्च प्रोजेक्ट्स पर बिहार गवर्नमेंट फंडिंग करेगी।

तीन प्राथमिकताएं आवश्यक

एम्स के डायरेक्टर डॉ जीके सिंह ने तीन प्राथमिकताएं रिसर्च, रिकवरी और रिहैबलिटी को बेहद जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि अब तक ये साफ नहीं हो सका है कि ये बीमारी आखिर हो कैसे रही है? इसके इंजेंट का पता लगाना जरूरी है। कुछ बातें स्टूल की टेस्ट से भी पता चल सकती हैं। इसके लिए समय पर लैब में स्टूल का पहुंचना जरूरी है। दूसरी ओर ट्रांसमिशन भी रोकना होगा। कुछ भी खाने-पीने से पहले साबुन से हाथ धोना, फल और सब्जी को अच्छे से धो कर खाने के लिए अवेयर करना होगा।

ढूढ़ना होगा मेन कारण

आरएमआरआई के डायरेक्टर डॉ पी दास के अनुसार इंसेफ्लाइटिस के मेन कारण को ढूंढ़ना होगा। किस चीज से ये डिजिज हो रहा है। इसका पता लगाना बेहद जरूरी है। असम में इसे एक प्रकार का वैक्ट्रिया माना जा रहा है। जबकि कुछ जगहों पर इसे वायरस माना जा रहा है। इस कंफ्यूजन को भी दूर करना जरूरी है।

एक प्रकार का है कीटाणु

एनएमसीएच के पेडियेट्रिक्स के एचओडी डॉ एके जायसवाल ने बताया कि माइक्रो प्लाजमा एक प्रकार का कीटाणु है। जो इंसेफ्लाइटिस को पैदा करने में मदद करता है। ऐसे में पेशेंट को एजिथ्रोमाइसिन मेडिसीन के डोज भी दिए जा सकते हैं। डॉ एके जायसवाल के इस सुझाव को गवर्नमेंट के आने वाले बुकलेट में जगह दी जाएगी।