- स्टेट में खेल को बढ़ावा देने में विफल रही है सरकार
- कई वादे किए गए, पर एक भी पूरे नहीं हुए, सबके कार्य प्रगति पर
PATNA: बिहार सरकार खेल को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार के वादे करती है, पर जब बात उसके रिजल्ट जानने की होती है तो बहुत निराशा होती है खिलाडि़यों को। ऐसे ही कई बातें अप्रैल, 2015 में तत्कालीन खेल सचिव आनंद किशोर ने किया था। वे खेल संघों के साथ कई दौर की बातचीत के बाद कुछ महत्वपूर्ण बातों को जमीनी तौर पर सच देखने के मकसद से 16 अप्रैल, 2016 को खेल संघों के ऑफिस एलॉट करने के बाद कई घोषणाएं भी की थीं। कई बातें तो फाइलों में लिखी और आगे की कार्रवाई के लिए बढ़ायी भी गई, पर स्थिति फिर वही ढ़ाक के तीन पात।
आखिर कैसे चलेगा खेल?
बिहार में खेल और खिलाड़ी इस बात को लेकर बहुत दुखी हैं कि सरकार खेल को बढ़ावा देने की बजाय उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाती है। इस बारे में आई नेक्स्ट ने खेल एसोसिएशन के पदाधिकारियों से बातचीत की। इसमें यह बात सामने निकल कर आयी कि एक साधना और निरंतर प्रयास और प्रमोशन के बिना खेल को एक सम्मानजनक स्थान दिला पाना मुश्किल है। यही वजह है कि सरकारी नियंत्रण इसके आड़े आ रही है। यहां तक कि खेल संघों को सरकार से मिलने वाला अनुदान भी बीते दो साल का नहीं मिला है। बिहार कबड्डी संघ के महासचिव कुमार विजय ने कहा कि खेल के लिए सुविधा और प्रमोशन दोनों की जरूरत है। लेकिन बिहार में इसके लिए समुचित पहल ही नहीं है।
खेल कराना सरकार के बस में नहीं
आई नेक्स्ट से बातचीत में बिहार बास्केटबॉल एसोसिएशन के सेक्रेटरी सुशील कुमार ने कहा कि खेल के लिए पैसे के साथ तकनीकी अनुभव की भी जरूरत है, लेकिन सरकार का ऐसा रवैया है कि इस तरीके से खेल का आयोजन तक मुश्किल हो गया है। एसोसिएशन अपने लेवल पर कहां तक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन और प्रमोशन कर सकते हैं, यह सोचने वाली बात है। अनुदान तक समय पर नहीं मिलता है।
Highlights
क्म् अगस्त को की गई घोषणा
वादा - अंतरराष्ट्रीय स्तर का होगा मोइनुलहक स्टेडियम
सच - स्टेडियम में मामूली रिनोवेशन ही की गई।
वादा- विदेशों की तर्ज पर पार्को में ओपन जिम खोला जाएगा, क्भ् पार्क चिह्नित किए गए थे।
सच- एक भी ओपन जिम नहीं खुला
वादा- पाटलिपुत्रा स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में म्00 प्लेयर्स के लिए हॉस्टल की व्यवस्था की जाएगी
सच - तत्काल ऐसा कोई प्रयास राज्य सरकार की ओर से नहीं है।
वादा- पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स से सटे खाली जमीन खेल विभाग को ट्रांसफर कर स्टेट ऑफ आर्ट स्वीमिंग पुल बनेगा।
सच - फाइल बना कर लिखे जाने के बाद भी अबतक पिछले आठ सालों बाद भी जमीन खेल विभाग को नहीं मिली।
वादा - स्टेट के पास एक भी रेसिडेंशियल स्पोर्ट्स ट्रेनिंग एकेडमी नहीं है। इसे राजगीर में बनाया जाना है
सच - कोई प्रगति नहीं है।