- मलेशिया, आस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, स्पेन और साउथ कोरिया टीमें भी बड़ा उलटफेर करने को है तैयार
- टॉप 5 में शामिल जर्मनी, इंडिया, आस्ट्रेलिया, नीदरलैंड और अर्जेटीना से निपटने के लिए इन टीमों ने की है खास तैयारी
LUCKNOW:
जू। हॉकी वर्ल्ड कप में शामिल टॉप की टीमों से निपटने के लिए उन टीमों ने खास तैयारी की है जो अब तक इस आयोजन में थर्ड और फोर्थ पोजीशन तक ही पहुंच सकी हैं। मलेशिया, आस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, स्पेन और साउथ कोरिया की टीमें इस मुकाबले में बड़े उलटफेर को बेकरार हैं। इन टीमों को इस बात का मलाल है कि वह वर्ल्ड कप में अब तक उस मुकाम को हासिल नहीं कर सकीं है जो एक टीम का सपना होता है। इन सभी को चैम्पियन ना बन पाने का मलाल सता रहा है। ऐसे में स्पोर्ट्स कॉलेज में होने वाले इस आयोजन में यह टीमें इस बार मिले मौके को किसी भी कीमत पर नहीं खोना चाहती हैं।
1. मलेशिया
पिछले वर्ल्ड कप में चौथे पोजीशन पर थी मलेशिया
पाकिस्तान के ना आने की वजह से मलेशिया को इस टूर्नामेंट में सबसे देर में एंट्री मिली है, लेकिन यह अकेली टीम है जो अब तक चार बार जू। हॉकी वर्ल्ड कप के चौथे पायदान पर रही। 2013 में दिल्ली में हुए जू। वर्ल्ड कप में भी मलेशिया की टीम चौथे स्थान रही। बताते दें कि टॉप फाइव टीमों के साथ इसकी परफार्मेस अब तक सबसे शानदार है। इस टीम ने 1979 में फ्रांस, 1982 में अपने ही वतन और 1985 कनाडा में हुए वर्ल्ड कप में चौथी पोजीशन हासिल की है।
पॉवर- टीम में शामिल नाजमी जाजलान बॉल लेकर तीर की गति से निकलते हैं। जहूर कप में इस खिलाड़ी ने छह मैचों में चार गोल ठोंके। इसके अलावा टीम में शामिल फिरदौस से गेंद छीनना आसान नहीं होगा.
कमजोरी- टीम की डिफेंसिव लाइन बहुत अच्छी नहीं है। इस पर काम किया जा रहा है।
इस बार हम यह मौका हाथ से नहीं निकलने देंगे। यहां आने से पहले टॉप की टीमों के साथ हमने कई मैच खेले हैं और उनकी तकनीक को परखा है। ऐसे मे मुकाबला कांटे का होगा।
वैलेस टैन
कोच, मलेशिया
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2. आस्ट्रिया
जू। हॉकी वर्ल्ड कप में पहली बार खेलेगी आस्ट्रिया
जू। हॉकी वर्ल्ड कप में आस्ट्रिया की टीम पहली बार हिस्सा ले रही है। यूरोपियन जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में छठी पोजीशन हासिल कर इस टीम ने वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई किया। इस टीम को हल्के में नहीं लिया सकता है क्योंकि इस टीम को कोचिंग दे रहे हैं भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कोच सैड्रिक डिसूजा। जिनके पास हॉकी का खासा अनुभव मौजूद हैं। दिल्ली वेवराइडर्स के कोच रहे डिसूजा भारतीय हॉकी से पूरी तरह वाकिफ हैं। ऐसे में इस टीम को कमतर नहीं समझा जा सकता है।
पॉवर- टीम के कप्तान लेयोन सीनियर हॉकी टीम में शामिल रहे और उनके पास खासा अनुभव है। टीम का अटैक बेहद शानदार है जिसे रोकना आसान नहीं होगा।
वीक प्वाइंट- पेनल्टी कार्नर स्पेशलिस्ट ना होने से परेशानी उठानी पड़ेगी।
हमारी टीम भले ही इस मुकाबले में पहली बार उतर रही हो, लेकिन हम बड़ा उलटफेर करने को तैयार हैं। टीम का अटैक स्ट्रांग होने से हम फाइनल तक पहुंचेंगे।
सैड्रिक डिसूजा
कोच, आस्ट्रिया
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3. न्यूजीलैंड
किसी भी टीम को टक्कर देने में समर्थ
इसी साल ओसियाना जूनियर कप में न्यूजीलैंड की टीम ने सेकेंड प्लेस हासिल की। इस टीम ने 2009 में जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में फोर्थ पोजीशन हासिल की। आस्ट्रेलिया से हारने वाली यह टीम इस बार खासी मजबूत नजर आ रही है। टीम में शामिल सैम लेन और ब्राड रीड फार्म में हैं। दोनों ही खिलाड़ी फारवर्ड लाइन में होंगे और मैच के जिताऊ खिलाड़ी हो सकते हैं।
पॉवर- टीम का डिफेंस बेहद मजबूत है जिससे आसानी से भेदा नहीं जा सकता है। गोलकीपर से पार पाना आसान नहीं होगा।
वीक प्वाइंट- पेनाल्टी कार्नर की कमी अखरेगी।
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4. इंग्लैंड
हर क्षेत्र में मजबूत है यह टीम
जू। हॉकी वर्ल्ड कप में इंग्लैंड ने सभी मुकाबले खेले हैं। यूरोपियन जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में इस टीम को थर्ड प्लेस मिली है। टीम में शामिल सभी खिलाड़ी फार्म में हैं। मैच के हर क्षेत्र में इस टीम ने बेहतरीन काम किया है। अटैक, डिफेंस, पेनाल्टी कार्नर के साथ ही मैच के दौरान गेम प्लान चेंज करने का खासा अनुभव है। किसी भी टीम को आसानी से हरा देना इसके लिए कोई बड़ी बात नहीं होगी। सुल्तान ऑफ जौहर कप में इस टीम ने आस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और जापान जैसी टीमों को हराया था।
पॉवर- कप्तान जेम्स गॉल खुद पेनल्टी कार्नर स्पेशलिस्ट हैं। ऑलराउंडर के रूप में पीटर मौजूद हैं।
वीक प्वाइंट- खेल की शुरुआत होने के थोड़ी ही देर में इसके खिलाड़ी डिफेंसिव हो जाते है।
यहां का मौसम हमारे अनुकूल है। इस बार जो सपना हम लेकर यहां आए हैं, उसे पूरा करेंगे। सभी खिलाड़ी अपना शत प्रतिशत योगदान देंगे।
जॉन ब्लेब
कोच, इंग्लैंड
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5. स्पेन
किसी भी टीम को टक्कर देने को तैयार हैं टीम
जू। हॉकी वर्ल्ड कप में स्पेन की टीम अब तक आठ बार हिस्सा ले चुकी है। स्पेन की टीम ने 2005 मे मलेशिया में हुए जू। हॉकी वर्ल्ड कप में इंडिया को हराकर थर्ड प्लेस हासिल की थी। एक बार फिर यह टीम यहां पर अन्य टीमों को टक्कर देने के लिए तैयार है। टॉप टीमों के खिलाड़ी भी यह जानते हैं कि यह टीम कभी भी बड़ा उलटफेर कर सकती है।
पॉवर- पहली बार वर्ल्ड कप खेलने पहुंचे मार्क ऑल राउडंर खिलाड़ी हैं तो ओरियल पेनल्टी कार्नर स्पेशलिस्ट।
वीक प्वाइंट- टीम लंबे पास और स्कूप का प्रयोग करती है ऐसे में बॉल पर कब्जा रखना चुनौती होगी।
इस बार टीम में शािमल सभी खिलाडि़यों को पिछले तीन साल से ट्रेनिंग दी जा रही है। डिफेंस और अटैक को बेहतर किया गया है।
रोजर पोलार्ड
कोच, स्पेन
6. साउथ कोरिया
किसी भी टीम को मात दे सकती है कोरिया
कोरिया की टीम 1989 में जू। हॉकी वर्ल्ड कप में चौथे स्थान पर रही। पिछले साल इस टीम ने जूनियर एशिया कप में कांस्य पदक जीता था। यह टीम कभी भी किसी भी टीम को पटखनी दे सकती है। टीम की फिटनेस देखकर लगता है कि इसे चुनौती देना आसान नहीं होगा।
पॉवर- हयान हांग किम का नेतृत्व टीम के लिए फायदेमंद साबित होगा। इसके साथ ही फारवर्ड लाइन के मंगी हवांग पेनल्टी कार्नर स्पेशलिस्ट के रूप में टीम के साथ हैं।
वीक प्वाइंट- टीम अंतिम समय में खेल पर नियंत्रण खो देती है। विरोधी टीम के एक गोल दागते ही यह टीम दबाव में आ जाती है।
अभी कुछ नहीं बोलूंगा। मैच के दौरान हमारे खिलाड़ी जवाब देंगे। टीम इस बार किसी भी तरह के दबाव से निपटने का तैयार हैं।
जांग हुंग मिन
कोच, कोरिया