हॉस्पिटल में सफाई नहीं कराते स्ढ्ढष्ट साहब

-गोरखपुर का हाल न हो जाए मंडलीय अस्पताल, गंदगी के बीच हो रहा है मरीजों का इलाज

-ष्ठछ्व द्ब ठ्ठद्ग3ह्ल के रिएलिटी चेक में कदम-कदम पर मिली खामियां

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सर्जिकल वॉर्ड नंबर एक में एंट्री करते ही फर्श पर पसरे पानी के बीच ही मरीज रह रहे हैं। टायलेट को स्टोर बना दिया गया है। यहां ड्रिप के खाली बोतल सहित तमाम सामान रखे जा रहे हैं। टायलेट के लिए मरीज सहित तीमारदार दूसरे वॉर्ड का रुख करते हैं।

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तेरह नंबर के चिल्ड्रेन वॉर्ड में लगता ही नहीं कि कभी साफ-सफाई भी होती है। सुबह में फर्श पर एक बार झाड़ू पोछा लग गया तो उसके बाद सफाई कर्मी दिखते नहीं। टायलेट के पास कूड़ा डंप पड़ा रहता है लेकिन हटाया तक नहीं जाता।

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आयुष विंग के पास न्यू बिल्डिंग में तो सफाई का हाल ही बदहाल है। एक तो वॉर्ड में टायलेट का चेंबर गलत बना दूसरा उसमें सफाई का अभाव। कार्डियो वॉर्ड के वाश बेसिन में झाड़ू पोछा रखा हुआ मिला। चार नंबर वॉर्ड के वाशरूम का भी सेम यही हाल है।

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डॉट्स सेंटर के पास कूड़ा डंप होता है। कूडे़ के ढ़ेर को डेली हटाने का समय भी निर्धारित है लेकिन ऐसा होता नहीं है। हॉस्पिटल से निकलने वाला कूड़ा इतना बदबू करता है कि डॉट्स सेंटर के अलावा बर्न वॉर्ड की तरफ जाने वाले मरीज बिना नाक पर रूमाल रखे नहीं जा सकते।

ये चारों सीन्स बताने के लिए काफी हैं कि मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा में साफ-सफाई का क्या आलम है। इन चारों जगहों के अलावा न्यू बिल्डिंग ओपीडी से लेकर अन्य वॉर्डो की पड़ताल तक की गई लेकिन साफ-सफाई की मुकम्मल व्यवस्था कहीं नहीं दिखी। इन खामियों को लेकर पूछे जाने पर मरीजों ने कहा कि हॉस्पिटल के प्रमुख अधीक्षक (एसआईसी) साहब को अब कम से कम डॉक्टर बन जाना चाहिए और इस हॉस्पिटल को भी गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज न बनने दिया जाये। क्योंकि हॉस्पिटल में साफ-सफाई का जिम्मा भले ही संस्था को सौंपी गई है लेकिन जवाबदेही तो एसआईसी की ही तय की गई है। अधिकतर वॉर्डो में टायलेट डैमेज है, कहीं पानी पास नहीं होता तो कहीं पानी के लिए टोटी ही गायब है। चिल्ड्रेन वॉर्ड में इतनी गंदगी पर यदि इंफेक्शन फैलता है तो फिर इसकी जवाबदेही भी इन्हीं की ही होगी।

गंदगी के बीच महिला मरीज

कार्डियक वॉर्ड के बगल में ही लावारिस वॉर्ड बनाया गया है। इस वॉर्ड की हालत ऐसी है कि इसमें मरीज कभी ठीक हो ही नहीं सकता। बेड पर बिछी मैली चादरें और फर्श पर चहुंओर गंदगी के बीच महिला मरीज एडमिट हैं।

हवा के लिए घर से लाए फैन

कार्डियक वॉर्ड के ऊपर वॉर्ड नंबर चार में त्रिलोकी सिंह बेड नंबर 23 पर पेशेंट लेकर एडमिट हैं। उनका कहना रहा कि यहां की व्यवस्था ऐसी है कि घर से पंखा लेकर आना पड़ रहा है। वॉर्ड में लगाए गए पंखे पता नहीं कैसे लगे हैं कि हवा तक नहीं आता।

सफाई वाले सुनते नहीं

हॉस्पिटल में साफ-सफाई का जिम्मा संभालने वाली सफाई संस्था के कर्मचारी 24 घंटे के लिए नियुक्त हैं। पुराने स्किन रोग ओपीडी बिल्डिंग में उनका ठिकाना भी है। अस्पताल के कर्मचारियों और तीमारदारों का कहना है कि गंदगी की कम्पलेन लेकर जाइए तो सुनते ही नहीं। कह कर टाल देते हैं कि थोड़ी देर में कर्मचारी जाएगा लेकिन कोई आता नहीं है।

मंडलीय अस्पताल पर एक नजर

316

बेड

1600-1700

रोजाना आते हैं मरीज

100-150

रोजाना आते हैं बच्चे

39

डॉक्टर्स हैं तैनात

24

घंटे है साफ-सफाई का दावा

हॉस्पिटल परिसर में साफ-सफाई के लिए संस्था को चेतावनी दी गई है। यदि कम्प्लेन मिलती है तो संस्था का पैसा काट लिया जाता है। हर तरफ निगाह है, मरीजों से दु‌र्व्यहार करने वाले पर तत्काल कार्रवाई करते हैं।

डॉ। बीएन श्रीवास्तव, एसआईसी

मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा