-संस्कृत यूनिवर्सिटी में शासन के मानक के अनुसार सेंटर निर्धारण में आ रही मुश्किल, बुलाई गयी परीक्षा समिति

-स्वकेंद्र की सुविधा न देने पर परीक्षार्थियों को लगाना होगा 35 किमी का चक्कर

VARANASI

संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी के शास्त्री-आचार्य की वार्षिक परीक्षाएं 21 अप्रैल से प्रस्तावित है। इस क्रम में एग्जाम की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। हालांकि सेंटर्स का निर्धारण शासन के मानक के चलते फंस गया है। इसे देखते हुए यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने नेक्स्ट वीक परीक्षा समिति की मीटिंग बुलाने का डिसीजन लिया है ताकि कोई रास्ता निकल सके। बता दें कि यूनिवर्सिटीज में परीक्षाएं शुचिता पूर्वक कराने को लेकर गवर्नमेंट ने केंद्र निर्धारण के संबंध में एक गाइड लाइन जारी की है।

गाइडलाइन बनी गले की फांस

गाइडलाइन के तहत सिर्फ छात्राओं को ही स्वकेंद्र की सुविधा देने, तंबू-कनात या खुले में परीक्षाएं न कराने सहित अन्य निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा प्रत्येक सेंटर पर सीसी कैमरा की निगरानी में परीक्षा कराने का भी सुझाव दिया गया है। केंद्र निर्धारण के संबंध में शासन के फरमान को लेकर यूनिवर्सिटी परेशान है। कारण तमाम संस्कृत कॉलेजेज में पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। कई संस्कृत कॉलेजेज में अब भी गुरुकुल परंपरा के तहत दरी पर पढ़ाई होती है। ऐसे कॉलेजेज में पर्याप्त फर्नीचर तक नहीं हैं। वहीं प्रदेश के कई डिस्ट्रिक्ट में कॉलेजेज की संख्या भी बहुत कम है। ऐसे में स्वकेंद्र की सुविधा न देने पर परीक्षार्थियों को 30 से 35 किमी का चक्कर लगाना पड़ सकता है। कुल मिलाकर शासन के मानक को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। एग्जाम कंट्रोलर प्रो। राजनाथ ने बताया कि कॉलेजेज में ही नहीं यूनिवर्सिटी में भी आर्थिक संसाधन की कमी है। ऐसे में शासन के सभी मानकों को पूरा करना संभव नहीं है। इसे देखते हुए जल्द परीक्षा समिति की मीटिंग बुलाने का निर्णय लिया गया है।

एग्जाम में इसका रखना होगा ध्यान

-किसी भी दशा में तंबू-कनात या खुले में नहीं होंगी परीक्षाएं।

-एग्जाम सेंटर के लिए सीसी कैमरे की अनिवार्यता।

-छात्राओं व दिव्यांगों को स्वकेंद्र की सुविधा।

-राजकीय व अशासकीय कॉलेजेज को प्राथमिकता।

-आवश्यकतानुसार स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों को ही केंद्र।

- यथासंभव कॉलेज से आठ किमी की परिधि बने सेंटर।

-दागी कॉलेजेज को सेंटर न बनाने का निर्देश।

- प्रबंध समिति के विवाद वाले कॉलेज को सेंटर न बनाने का निर्देश।

-रोड से कम दूरी वाले कॉलेजेज को सेंटर बनाया जाए।

-फर्नीचर, बाउंड्रीवाल, इलेक्ट्रिक सप्लाई, पीने के पानी, टॉयलेट, फायर इंस्टीग्यूशर की समुचित हो व्यवस्था।

- एक सेंटर पर एक से अधिक कॉलेजेज के परीक्षार्थियों का आवंटन करने का निर्देश।

-इलेक्ट्रिक की लगातार सप्लाई के लिए जेनरेटर का हो प्रबंध।

-फ्लाइंग स्क्वॉड व ऑब्जर्वर के साथ दु‌र्व्यवहार करने पर एफआईआर।