आगरा। सिटी में रोज हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। बावजूद इसके यहां जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा है। निगम के जिम्मे कार्य अधूरे पड़े हैं। निगम भी इन अव्यवस्थाओं को दूर करने में लाचार है। क्योंकि उसके पास प्र्याप्त स्टाफ ही नहीं हैं। इंजीनियर से लेकर कर्मचारियों तक के पद निगम में रिक्त पड़े हुए हैं। ऐसे में सिटी की बदहाल तस्वीर को पर्यटकों के जेहन से दूर करना दूर की कौड़ी लगता है।

बाजार में खासी परेशानी

सिटी में हर कदम पर आपको गंदगी का ढेर मिल जाएगा। बाजारों में जगह-जगह अतिक्रमण फैला हुआ है। नाली का पानी सड़कों पर बहता है। ऐसे में पैदल चलना भी दूभर है। लेकिन शहरवासी और पर्यटक बाजारों में इसी गंदगी के बीच निकलने को मजबूर होते हैं। बाजारों की बदहाल तस्वीर का एक मुख्य कारण अतिक्रमण भी है। बाजार की सड़कों पर दुकानदार अतिक्रमण की दुकान सजा लेते हैं। इससे मार्ग सकरा हो जाता है। स्टाफ की कमी के चलते निगम इस ओर कार्रवाई नहीं कर पाता। जिसका सीधा असर बाजार आने वाले लोगों पर पड़ता है। उन्हें मुश्किलों से दोचार होना पड़ता है। सदर बाजार, राजामंडी आदि सिटी के कुछ ऐसे बाजार है, जहां आम लोगों के साथ पर्यटकों को समस्याओं से जूझते हुए देखा जा सकता है।

बारिश में खुल जाती है पोल

मानसून आ चुका है, लेकिन अब शहर के नालों की सफाई का कार्य पूरा नहीं हो सका है। बारिश में सड़कों का जलमग्न होना लगभग तय है। इस दौरान घूमने आए पर्यटक कैसी तस्वीर शहर की अपने जेहन में लेकर जाएंगे, इसका अंदाजा लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है। जहां, पर्यटकों को इससे मुश्किल होती है, वहीं शहरवासी भी इससे अछूते नहीं हैं। हर साल बारिश के दौरान कारोबारियों का करोड़ों रुपये का नुकसान हो जाता है।

स्टाफ है नहीं तो कैसे हो वार्डो में काम

शहर में 90 वार्ड हैं। शहर की सफाई की जिम्मेदारी नगर निगम की है, लेकिन यह जिम्मेदारी निगम ठीक तरह से नहीं निभा पा रहा है। इसका मूल कारण स्टाफ की कमी है। नगर निगम में पर्याप्त स्टाफ नहीं है।

साथ ही अधिकारियों की भी कमी चल

रही है। इसी कमी के चलते काम कराने में देरी होती है।