स्टेम सेल पर रिसर्च कर रहे प्रो आरसी सोबती का IMS BHU में हुआ स्पेशल लेक्चर

VARANASI

वो दिन दूर नहीं जब किडनी की गंभीर बीमारी से परेशान मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं पड़ेगी। उनकी खराब किडनी का इलाज स्टेम सेल थेरेपी से संभव हो सकेगा। यह बात आईएमएस बीएचयू की ओर से बुधवार को 'अंग निर्माण की इंजीनियरिंग: स्टेम सेल व टीशू इंजीनियरिंग की अतुलनीय प्रक्त्रिया के द्वारा' विषयक स्पेशल लेक्चर में प्रो आरसी सोबती ने कही। बाबा भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो सोबती स्टेम सेल के द्वारा कृतिम अंगों का उत्पादन कर कई जटिल रोगों के इलाज पर काम कर रहे हैं। उन्होंने आचार्य सुश्रुत के द्वारा किये गए मानव अंग निर्माण प्रक्रिया का परिचय कराते हुये कहा की भिन्न-भिन्न कारणों से लाखों की संख्या में लोगों की किडनी खराब हो रही है। जिनका इलाज या तो गुर्दा प्रत्यारोपण या डायलिसिस है। उनका रिसर्च गु्रप निरन्तर स्टेम सेल पर प्रयोग कर कृत्रिम किडनी के निर्माण के लिए प्रयासरत है। इस बाबत उनका एक रिसर्च पेपर अप्रैल में पलोस ओने नामक रिसर्च जनरल में प्रकाशित हुआ है। उन्होंने बताया कि किडनी खराब होने का प्रमुख कारण वर्तमान मनुष्य की बेतरतीब जीवनचर्या है। प्रो सोबती का रिसर्च लैब पंजाबी यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में स्थित है। उनके सहकर्मी टीन ने निरंतर रिसर्च कर यह दावा किया है कि वे अनेक बीमारियों का इलाज जो कि अंगों की विकृति के फलस्वरूप होती हैं, इलाज स्टेम सेल से किया जा सकता है। आईएमए के डायरेक्टर प्रो वीके शुक्ला प्रो। आरसी सोबती का स्वागत किया। संचालन रसशास्त्र डिपार्टमेंट के प्रो आनन्द चौधरी ने व धन्यवाद ज्ञापन मेडिसिन फैकल्टी के डीन प्रो जयप्रकाश ने किया।

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क्या है स्टेम सेल

स्टेम सेल जो की जन्म के समय माता व शिशु को जोड़ने वाली नाभि नाल में होती है। आज यह प्रचलन में है जन्म के समय की नाभि नाल अब कार्ड बैंक में जमा कर दी जाती है। जो की बाद में उसी शिशु के व्यस्क होने पर यदि उसके किसी अंगों में विकृति आ गयी तो सुरक्षित रखी हुई उस नाभि नाल से उसके उसी अंग के पुनर्निर्माण में सहायता हो सकती है।