-देश का पहला प्रदेश, अफसर भी नहीं समझ पाते यह खेल

PATNA: पुलिस विभाग में स्टार को लेकर बड़ा धोखा है। बिहार देश का पहला ऐसा प्रदेश है जहां इंस्पेक्टर बनने के बाद सब इंस्पेक्टर के कंधे से एक स्टार कम हो जाता है। जनता ही नहीं गैर प्रांत के पुलिस कर्मी भी बिहार पुलिस पदाधिकारियों के स्टार का खेल नहीं समझ पाते हैं। ऐसे में डबल स्टार वाले जहां कुर्सी पाते हैं वहीं एक स्टार को लेकर लोगों में एएसआई का भ्रम होता है। बिहार पुलिस एसोसिएशन इंस्पेक्टर का स्टार वापस लाने के लिए क्8 साल से लगातार संघर्ष कर रहा है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। एक बार फिर सरकार और पुलिस मुख्यालय को इंस्पेक्टर के कंधे पर फ् स्टार लगाने के लिए एसोसिएशन की मांग हुई है।

स्टार ही है पहचान

पुलिस विभाग में स्टार ही पहचान है। पुलिस विभाग के अफसर और आम प?िलक इंस्पेक्टर और अन्य पदाधिकारियों में फर्क कर सके इसके लिए ही स्टार की व्यवस्था है। पुलिस विभाग के जानकारों का कहना है कि ख्ब् जून क्999 को इंस्पेक्टर से दो स्टार छीन लिया गया जिससे वह एएसआई की तरह एक स्टार वाले हो गए। स्टार में कमी होने से इंस्पेक्टर की पहचान भी गुम हो गई है। लोग एसआई और इंस्पेक्टर को एक ही रैंक समझ लेते हैं। स्टार से वह एसआई को इंस्पेक्टर से ऊपर के पद का अफसर मान बैठते हैं।

एक जैसे दिखे तो ऐसे पहचानें

पुलिस विभाग के अधिकारियों का कहना है कि देश का अन्य कोई भी प्रदेश ऐसा नहीं है जहां एक स्टार वाला इंस्पेक्टर हो। बिहार में भी अन्य प्रदेशों की तरह पहले इंस्पेक्टर के कंधे पर तीन स्टार होता था लेकिन पुलिस मुख्यालय ने उसे हटा दिया। इसके बाद से ही इंस्पेक्टर के लिए दुश्वारियां शुरू हो गई। इंस्पेक्टरों का दर्द है कि जब वह एक स्टार लेकर दारोगा के साथ कहीं जाते हैं तो उन्हें कोई तरजीह ही नहीं मिलती है। जनता की भी कोई गलती नहीं है जब दोनों एक ही जैसे दिखेंगे तो आखिर पहचान कैसे हो। वह पहचान की लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन न्याय नहीं मिल पा रहा है।

अन्य प्रदेश में ये है फर्क

देश के अन्य प्रदेश में स्टार को लेकर पहचान साफ है। एएसआई एक स्टार लगाता है जबकि एसआई के कंधे पर दो स्टार होता है। दारोगा जब इंस्पेक्टर बनता है तो उसके कंधे पर लगा स्टार भी दो से बढ़कर तीन हो जाता है। बस कलर का अंतर होता है। दारोगा का स्टार पीला होता है और इंस्पेक्टर का सफेद, लेकिन बिहार में तो इससे अलग स्टार कम होने से फर्क करना मुश्किल होता है।

आखिर कौन सुने यह पीड़ा?

बिहार पुलिस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह का कहना है कि इंस्पेक्टर गजटेड पद होता है। दारोगा और इंस्पेक्टर में बहुत बड़ा फर्क होता है। लेकिन बिहार पुलिस के इंस्पेक्टरों का दर्द सुनने वाला कौन है। क्9ब्8 के गजट में इंस्पेक्टर को गजटेड अफसर में शामिल किया गया है लेकिन इसके बाद भी सरकार उन्हें नान गजटेड ही मानती है। ऐसे कई दुश्वारियों को लेकर लड़ाई चल रही है।

इंस्पेक्टर को लेकर प्रदेश में बड़ी दुश्वारियां है। स्टार कम होने से एएसआई में फर्क करना मुश्किल है। इसके लिए प्रस्ताव सरकार और पुलिस मुख्यालय को फिर भेजा गया है। बार-बार मांग की जा रही है कि इंस्पेक्टर के कंधे से लिया गया दो स्टार वापस किया जाए।

-मृत्युंजय सिंह , प्रदेश अध्यक्ष बिहार पुलिस एसोसिएशन