- न ओपीडी और न ही इनडोर में है दवा की पर्याप्त व्यवस्था

- आशा, ममता, कूरियर का जिक्र नहीं, रिपोर्ट कार्ड में सरकार अपनी पीठ थपथपा रही

PATNA: सरकार अपनी रिपोर्ट कार्ड में हेल्थ के मामले में कई ऐसी बातों का उल्लेख किया है जिसे सिर्फ प्रचार ही कहा जाना चाहिए। बुनियादी स्तर पर कई बातों का कोई जिक्र ही नहीं है। जानकारी हो कि बिहार सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति के लिए केन्द्र सकार ने सम्मानित किया है। लेकिन अफसोस जिन लोगों के अथक प्रयास से यह सच हुआ उन्हें भुला दिया गया। ये बातें रिपोर्ट कार्ड पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार चिकित्सा एंव जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के महामंत्री विश्वनाथ सिंह ने आई नेक्स्ट से शेयर किया। उन्होंने कहा कि आशा, ममता और कूरियर को अब तक न्यूनतम वेतनमान नहीं मिला है। इसे लेकर कई बार मांग की गई है। सरकार सभी के प्रयास का जिक्र नहीं कर सिर्फ अपनी पीठ थपथपा रही है।

दवा, जांच नहीं, स्पेशलाइज्ड की बात

हर ओपीडी में फ्ख् प्रकार की दवा और इंडोर में क्क्क् प्रकार की दवा होनी चाहिए। जबकि सच यह है कि वर्तमान समय में ओपीडी में मात्र दस प्रकार की और इंडोर में लगभग फ्भ् प्रकार की दवा ही उपलब्ध की जा रही है। बिहार चिकित्सा एंव जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रमंडल मंत्री अमित मिश्रा ने ये बातें कहीं। उन्होंने रिपोर्ट कार्ड पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि न दवा, न जांच और न ही समुचित रूप से पारामेडिमकल स्टाफ ही सरकारी हॉस्पीटलों में उपलब्ध है, लेकिन सरकार ने अपने रिपोर्ट कार्ड में वर्ष ख्00भ् में पीएचसी में प्रति माह औसत फ्9 पेशेंट रजिस्ट्रेशन की तुलना में ख्0क्ब्-क्भ् में लगभग क्क्000 पेशेंट के हॉस्पिटलों में पहुंचने की बात कही है। साथ ही सभी यह सच से परे है। वहीं, सरकार ने स्पेशलाइज्ड डॉक्टरों की नियुक्ति की बात कह रही है।

नहीं मिल रही चौबीस घंटे की सुविधा

सरकारी हॉस्पीटलों में चौबीस घंटे इमरजेंसी की सुविधा नहीं है। अमित मिश्रा ने कहा कि पीएचसी, रेफरल आदि हॉस्पिटलों में चौबीसों घंटे डिलेवरी व जांच की बात भी आधी-अधूरी है। राजधानी पटना में ही कई हॉस्पिटलों में हेल्थ वर्कर की कमी है और प्रॉपर तरीके से डिलेवरी की सुविधा नहीं है। उदाहरण के लिए राजेंद्र नगर हॉस्पिटल में डिलेवरी कराने के लिए स्टाफ तो हैं लेकिन प्रसूता के लिए वार्ड ही नहीं है। बेड की हालत खराब है। हां, राज्य सरकार का दावा सही है कि इम्यूनाइजेशन का स्तर राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। लेकिन राज्य सरकार बताए कूरियर की क्या स्थिति है।