-बाल यौन शोषण को लेकर रोकने के लिए सीबीएसई ने की है पहल, बच्चों को पढ़ाया जाएगा पाठ

-सीबीएससी के सर्कुलर में स्कूल टीचर्स और नान टीचिंग स्टॉफ के लिए भी गाइड लाइन

-प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राड सेक्सुअल अफेंस एक्ट 2012 के तहत होंगे दोषी

-इलाहाबाद में बड़ी संख्या में होते हैं ऐसे केसेज, पिछले साल रिपोर्ट हुए थे 890

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ALLAHABAD: क्या आप बच्चा स्कूल जाने से आनाकानी करता है? फैमिली के साथ खुश रहता है और अनजान लोगों को देखकर सहम जाता है? स्कूल जाने के डर से घर में छिप जाता है? किसी खास व्यक्ति के नाम पर डर जाता है? ऐसा है तो चेक करें। उसके साथ थोड़ा फ्रेंडली बनें और उसके फ्रेंड्स से लेकर स्कूल के सीनियर्स तक के बारे में पूछें। चेक करें कि, आप का बच्चा स्कूल या बाहर बाल यौन शोषण का शिकार तो नहीं हो रहा है? क्योंकि, कुछ ऐसे ही ग्राउंड्स को सीबीएसई ने सीरियसली लिया है। बोर्ड ने सर्कुलर जारी करके स्कूलों को एलर्ट किया है और उनसे कहा है कि प्रत्येक बच्चे की काउंसिलिंग की व्यवस्था करें। उन्हें बाल यौन शोषण के बारे में बताएं। टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टॉफ को बताएं और यदि कोई दोषी मिलता है तो कार्रवाई करें।

मकसद बच्चों को बेहतर माहौल देना

स्कूलों में इस तरह का माहौल बने कि बच्चों का ओवरआल डेवलपमेंट हो। बच्चों के अंदर कोई भेदभाव न रहे। लेकिन, स्कूलों का मकसद तो यही होता है लेकिन हकीहत में ऐसा नहीं है। स्कूलों में बच्चे कई तरह के चैलेंज फेस करने लगे हैं। लिंग भेदभाव, ईव टीजिंग, सेक्सुअल एब्यूज जैसे फैक्टर कॉमन हो गए हैं। इससे बच्चों का विकास रुक रहा है। स्कूल कैंपस में यौन शोषण को फेस करना अब स्कूल मैनेजमेंट के लिए चैलेंज बन गया है। इसी को देखते हुए सीबीएससी ने पास्को एक्ट यानी प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंस एक्ट 2012 की जानकारी सभी बच्चों को देने का निर्देश जारी कर दिया है। सीबीएससी ने सर्कुलर जारी करते स्कूल मैनेजमेंट को यह बताया है कि कैसे वह स्कूल के टीचर व वर्कर्स को गाइड करें। उन्हें पोस्को एक्ट के बारे में बताएं और इस तरह की घटनाओं को रोकें।

कोर्स में भी किया गया शामिल

बच्चों को शुरू से ही यौन उत्पीड़न जैसे टॉपिक पर एजूकेट करने के लिए बहस चल रही है। लेकिन, अभी तक स्कूलों में स्टडी शुरू नहीं हुआ है। सीबीएससी ने फैसला किया है कि इंटर के बच्चों के कोर्स में जेंडर सेंसिटिव, जेंडर इक्वीलिटी को शामिल किया जाए। एक्सपर्ट टीचर्स बच्चों को इससे थ्योरी तो बताएंगे ही उनकी प्रैक्टिकल क्लासेज भी लेंगे ताकि बच्चे को पूरी बात समझ में आ जाए।

ग‌र्ल्स पर विशेष ध्यान

बाल यौन शोषण से बचने के लिए और बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत करने के लिए ग‌र्ल्स को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देने की बात कही गई है। स्कूल ग‌र्ल्स को डेली कराटे या सेल्फ डिफेंस का कोई और मॉड्यूल डेवलप करके एक्सरसाइज कराने को कहा गया है जिससे वे मेंटली और फिजिकली दोनो रूप से किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहें। इसके साथ ही नियमित रूप से स्कूल में फोक डांस, नुक्कड़ नाटक, पोस्टर प्रतियोगिता, क्विज, डिबेट, डांस और एग्जीबिशन जैसे प्रोग्राम्स रेग्युलर बेसिस पर आयोजित करने का निर्देश दिया है ताकि बच्चे का इंट्रेस्ट तो पता चले ही, उनके मन से ऊंच-नीच का भाव भी निकले।

स्कूलों के लिए गाइड लाइन

-बच्चों की सुरक्षा का पूरा इंतजाम रखे

-स्कूल में लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा न दें

-बच्चों के विहैवियर पर हमेशा ध्यान दें

-अचानक उनके विहैव में अंतर दिखे तो एलर्ट हो जाएं

-लैंगिक अपराधों से बच्चों का सरंक्षण अधिनियम की जानकारी टीचर्स व कर्मचारियों को दें

-हर स्कूल में एक शिकायत पेटी लगाएं

-बच्चों को कहें कि वह अपनी शिकायत लिखकर बॉक्स में डालें

-रेजीडेंशियल स्कूल में एक काउंसलर की व्यवस्था करें

-बच्चों के पैरेंट्स के साथ मिलकर ऐसे मामलों में मीटिंग करें

-बच्चों की शिकायत के समाधान के लिए कमेटी का गठन करें

-स्कूलों के अंदर हर जगह सीसीटीवी कैमरा लगे

-प्रिंसिपल एक जगह बैठकर बच्चों की गतिविधियों पर नजर रख सके

पैरेंट्स ध्यान दें

-क्या आप का बच्चा स्कूल जाने से कतराता है?

-अचानक उसकी पढ़ाई में रुचि कम तो नहीं हो गई?

-क्या वह परेशान अकेला व गुमशुम रहता है ?

-बच्चे से यह जानने की कोशिश करें कि वह क्यों डरा सहमा हैं?

-अपने बच्चों के साथ परस्परता बनाएं

बच्चों को समझाएं

-अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श का अंतर

-स्कूल में कोई गलत करता है तो उसकी शिकायत करें

-स्कूल में बने शिकायत बॉक्स में बिना डरे शिकायत डालें

-ऐसा माहौल बनाएं जिससे बच्चा हर बात आपसे शेयर करे

Sociologist View

बच्चों को ओपेन माइंडेड बनाएं

बच्चों को शुरू से ही ओपन माइंड बनाने की कोशिश होनी चाहिए। पैरेंट्स और टीचर दोनों को चाहिए कि बच्चों से इस टापिक पर खुलकर बात करें। विचारों की स्वतंत्रता उन्हें होनी चाहिए। आज भी हमारे घरों में बच्चों को बॉडी के अंदर की अंगों के बारे में बात करने नहीं दिया जाता। शुरू से ही उन्हें मना किया जाता है। न तो लड़का किसी बात पर अपने पिता से बात कर पाता है और न ही लड़की अपनी मां से। जब तक कोई खास वजह न हो जाए एक दूसरे से कोई इस टापिक पर बात नहीं करते। नतीजा बच्चों को शुरू से ही समझ आता है कि इस तरह की बातें करना गंदी बात हैं। फिर जब बाल यौन शोषण की बात प्रकाश में आती है तो लड़का हो या लड़की वह खुद ही दोषी मानता है। वह अपने पैरेंट्स से आंखें बंद कर बता तो देते हैं लेकिन स्कूल व कालेज में लिखकर बताना और भी कठिन होता है। प्रोफेसर हेमलता श्रीवास्तव की मानें तो सीएमपी डिग्री कालेज के छात्र या छात्राएं भी अपनी शिकायत रिटेन में करने से डरते हैं। लड़कियों की स्थिति और भी खराब है। वह बस ओरली ही बता देती हैं कि उनके साथ गलत हुआ है। क्या गलत हुआ है इस बात पर वह साइलेंट हो जाती हैं? दरअसल बच्चों के पास बॉडी के साथ छेड़खानी जैसे टापिक पर शब्द नहीं होता। लड़कियां सिर्फ यही कह देती ही हैं कि मैम आप तो सब जानती हैं। प्रोफेसर की माने तो इसलिए तीन प्रमुख कारण हैं

भाषा की संवादहीनता

माता-पिता और बच्चों के बीच कम्युनिकेशन गैप

पीडि़त का अपराध बोध होना

एक साल से 890 शिकायत

ग‌र्ल्स के लिए ईव टीजिंग को फेस करना क्या होता यह शहर हो या अरबन एरिया कोई भी लड़की बयां कर सकती है। इलाहाबाद में ग‌र्ल्स की ईव टीजिंग की प्राब्लम को लेकर पुलिस ने हेल्प लाइन नंबर 1091 बनाया है। पुलिस की रिकार्ड की माने तो एक साल में 980 लड़कियों ने अपनी शिकायत यहां दर्ज कराई। ज्यादातर मामलों में पुलिस ने आरोपी पक्ष को फोन पर समझा कर केस को खत्म कर दिया। कुछ मामलों में पुलिस को रिपोर्ट तक दर्ज करनी पड़ी। हकीकत यह है कि ईव टीजिंग के 80 प्रतिशत मामले पुलिस तक पहुंचते ही नहीं।

बाक्स

Flash Back

ईव टीजिंग को लेकर स्कूल ही नहीं कॉलेज जाने वाली लड़कियां भी उतनी ही परेशान रहती हैं। हाल ही में हुई कुछ घटनाओं की बात करें तो ईव टीजिंग यानी छेड़खानी से बचने के लिए लड़कियों ने अपनी जिन्दगी तक कुर्बान कर दी। कई लड़कियों ने आटो या विक्रम से कूद कर अपनी इज्जत बचाई।

शोहदे से परेशान होकर दे दी जान

कुछ दिन पहले की बात है। फूलपुर की रहने वाली इंटर की छात्रा एक शोहदे से परेशान थी। घर वालों ने पुलिस से उसकी शिकायत भी की थी। लेकिन, पुलिस ने समय रहते कोई एक्शन नहीं लिया। इससे शोहदे का हौसला बढ़ा और उसने लड़की को रास्ते में रोकना तक शुरू कर दिया। और कोई रास्ता न सूझने पर परेशान छात्रा ने फांसी लगाकर जान दे दी।

विक्रम से कूद गई छात्रा

आईईआरटी की छात्रा शोहदे से बचने के लिए विक्रम से कूद गई थी। हुआ यूं था कि छात्रा रोड से विक्रम पर बैठकर अपने घर लौट रही थी। लक्ष्मी चौराहा पहुंचने से पहले ही विक्रम चालक ने छात्रा के साथ छेड़छाड़ करने लगा। उस वक्त विक्रम में और कोई नहीं था। विक्रम चालक की इस हरकत से छात्रा डर के मारे चलती गाड़ी से कूद गई। जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी भी हो गई थी।

तीन छात्राएं हुई थी जख्मी

इसी तरह लास्ट इयर कैंट एरिया में एक मामला प्रकाश में आया था। आरोप था कि तीनों इंटर की छात्राएं विक्रम से स्कूल से घर लौट रही थी। रास्ते में विक्रम चालक उनके साथ बदतमीजी करने लगा। एक लड़की को उसने बुरे इरादे से छूना तक शुरू कर दिया इससे परेशान होकर वह चलते विक्रम से कूद गई।

रिक्शाचालक की हरकत

बच्ची से छेड़छाड़ का एक मामला ममफोर्डगंज में भी प्रकाश में आया था। स्कूली रिक्शा चालक की बच्चे पर बुरी नजर थी और वह उसे बुरे इरादे से छूता भी था। इससे बच्चे पर असर पड़ा और वह गुमशुम सा रहने लगा। एक दिन स्कूल से लौटते समय उसने बच्चे के साथ फिजिकल रिलेशन बनाने की भी कोशिश की। इससे बच्चा बुरी तरह से डर गया।