-सिंचाई लायक बनाया जाएगा एसटीपी का दूषित पानी

-किसानों को पानी बेचकर एमडीए बढ़ाएगा राजस्व का स्तर

Meerut । सीवेज ट्रीटमेंट के नाम पर लाखों लीटर पानी रोजना वेस्ट करने वाला एमडीए अब दूषित पानी को सिंचाई के लायक बनाएगा। इसके लिए एमडीए अपनी विभिन्न योजनाओं में लगे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को अपडेट कर उनसे डिस्चार्ज होने वाले पानी को ट्रीट कर उसको प्रदूषण मुक्त करेगा। जिसके बाद यह पानी सिंचाई के काम आएगा।

क्या है मामला

दरअसल, मेरठ विकास प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं में एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगे हैं। योजनाओं में लगे 5 से 15 एमएलडी की क्षमता वाले इन एसटीपी का यूज एमडीए योजनाओं के सीवेज को डिस्चार्ज करने के लिए करता है। जबकि उनसे निकलने वाला लाखों लीटर पानी का कोई इस्तेमाल नहीं हो पाता। एसटीपी से निकले वाली पानी की इतनी बड़ी मात्रा रोजाना इधर-उधर बहा कर नष्ट कर दी जाती है। जिससे न केवल पानी का अत्याधिक दोहन होता है, बल्कि पीने लायक पानी का गलत तरीके के मिस्यूज भी किया जाता है।

पानी का होगा ट्रीटमेंट

इतनी बड़ी मात्रा में वेस्ट होने वाले पानी को अब एमडीए ट्रीट कर उसको सिंचाई लायक बनाएगा। इसके लिए एमडीए अपने सभी एसटीपी को अपडेट कर उनमें नई टेक्नोलॉजी को अपनाएगा। जिसके बाद योजनाओं में लगे एसटीपी से डिस्चार्ज होने वाले पानी को ट्रीट किया जाएगा। इसके बाद एमडीए योजनाओं से जुड़ी खेती की जमीनों को सींचने में इस पानी का इस्तेमाल कर सकेगा।

किसानों से आएगा राजस्व

एसई शबीह हैदर ने बताया कि एसटीपी मेंटीनेंस के रूप में एमडीए हर माह लाखों रुपए खर्च करता है। जबकि अब इन्हीं एसटीपी के माध्यम से प्राधिकरण मेंटीनेंस शुल्क वसूलेगा। नई व्यवस्था लागू होने के बाद एमडीए इस पानी को सीधा किसानों को बेचेगा। जिससे न केवल पानी का सही इस्तेमाल हो सकेगा, बल्कि इससे प्राधिकरण को अच्छी खासी आय की होगी।

इन योजनाओं में एसटीपी

-गंगानगर

-शताब्दीनगर

-लोहियानगर

-पांडवनगर

-रक्षापुरम

-पल्लवपुरम

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एसटीपी को अब हाइटेक टेक्नोलॉजी बेस्ड बनाया जाएगा। इसको लेकर कई कंपनियों से बात की गई है। वार्ता अंतिम दौर में हैं। इसके बाद गंदे पानी का बेहतर यूज किया जाएगा।

शबीह हैदर, एसई एमडीए