- अब तक 2 करोड़ रुपए का अनुमानित नुकसान

- 200 से ज्यादा वाहन हर दिन होते हैं रजिस्टर्ड

- 7 लाख से ज्यादा वाहन रजिस्टर्ड हैं वर्तमान में

- 30 से ज्यादा हैं आरटीओ में इंपैनल्ड वाहन डीलर्स

- 90 फीसदी रेवेन्यू वाहन रजिस्ट्रेशन से ही मिलता है

- 40 लाख तक है रोजाना आरटीओ का रेवेन्यू

priyank.mohan@inxt.co.in

DEHRADUN: डीलरों को वाहन पंजीकरण का अधिकार देने के फैसले के खिलाफ प्रदेशभर के आरटीओ और एआरटीओ कार्यालयों में जहां रविवार से ताले लटके हुए हैं वही प्रतिदिन परिवहन विभाग को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। अकेले देहरादून आरटीओ ऑफिस की अनुमानित रूप से प्रतिदिन फ्0 से ब्0 लाख रुपए की आमदनी होती है। पिछले क् दिसंबर से परिवहन विभाग को एक रुपए का भी राजस्व प्राप्त नहीं हुआ है। परिवहन विभाग के अनुसार इस हफ्ते ख् करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। वहीं परिवहन कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आन्दोलन और भी उग्र करने की तैयारी में हैं।

आरटीओ ऑफिस में पसरा सन्नाटा

शहर के सबसे चहल-पहल वाले दफ्तरों में से एक आरटीओ ऑफिस में इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है। स्थिति यह है आजकल न टैक्स जमा हो रहा है, न ही फिटनेस टेस्ट। साथ ही नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं हो पा रहा है। जिससे वाहन संचालकों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। उत्तराखंड परिवहन मिनिस्ट्रियल कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष यशवीर बिष्ट ने बताया कि सरकार और विभाग को इस प्रक्रिया को लागू करने से पहले होमवर्क करना चाहिए था। प्रतिदिन फ्0 से ब्0 लाख रुपए के नुकसान से परिवहन विभाग को घाटा हो रहा है। वहीं इस मामले पर एआरटीओ प्रशासन संदीप सैनी का कहना है कि हर स्तर पर कर्मचारियों की मांगों को मनवाने का प्रयास किया जा रहा है।

रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का विरोध

ट्रांसपोर्ट पायलेट प्रोजेक्ट के तहत परिवहन विभाग वाहनों के रजिस्ट्रेशन का अधिकार वाहन डीलरों को देने जा रहा है। चूंकि, अब पंजीकरण ऑनलाइन होता है, इसलिए डीलर वाहन का डाटा व फीस ऑनलाइन भरेंगे और फिर वाहन आरटीओ ऑफिस में वेरिफिकेशन के बाद रजिस्टर्ड हो जाएगा। विभाग का तर्क है कि व्यवस्था से लोगों को राहत मिलेगी, दफ्तर में भीड़ कम होगी और कर्मियों का बोझ भी हल्का होगा। इसके साथ ही काम में पारदर्शिता व तेजी आएगी। वहीं, परिवहन मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ का आरोप है कि व्यवस्था में डीलरों की मनमानी बढ़ेगी और पेनल्टी के रूप में विभाग को मिलने वाली बड़ी रकम का नुकसान होगा। संदेह यह भी है कि दफ्तर में कैशियर एवं डाटा एंट्री ऑपरेटर के कई पद खत्म हो जाएंगे। बहरहाल, विभाग का स्पष्ट आदेश है कि एक दिसंबर से प्रक्रिया देहरादून कार्यालय से शुरू कर दी जाएगी। इसके लिए डीलरों की आईडी भी बना दी गई है।

मांगों को लेकर आन्दोलन जारी है। विभाग को व्यवस्था लागू करने से पहले होमवर्क करना चाहिए था। परिवहन कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं हुई तो उग्र आन्दोलन किया जाएगा।

यशवीर बिष्ट, जिला अध्यक्ष , परिवहन मिनिस्ट्रियल कर्मचारी महासंघ

कर्मचारियों की मांगों को लेकर हर संम्भव प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि हड़ताल की वजह राजस्व प्राप्त नहीं हो रहा है, पर उम्मीद है कि कर्मचारी जल्द हड़ताल वापस ले लेंगे।

संदीप सैनी, एआरटीओ प्रशासन