-आज है व‌र्ल्ड स्ट्रोक डे

-लाइफस्टाइल में सुधार कर कम किया जा सकता है स्ट्रोक का खतरा

JAMSHEDPUR : दुनिया में टॉप मेजर किलर्स में से एक है स्ट्रोक। व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक ख्0क्ख् में पूरी दुनियां में स्ट्रोक की वजह से म्7 लाख लोगों की मौत हुई। इंडिया में भी स्ट्रोक डेथ और डिजैबिलिटी का एक बड़ा कारण है। इस खतरनाक बीमारी के कई रिस्क फैक्टर हैं। इन्हीं में से एक है लाइफस्टाइल। फिजिकल इनऐक्टिविटी, पुअर डायट को डॉक्टर स्ट्रोक का एक बड़ा रिस्क फैक्टर बता रहे हैं और स्ट्रोक के खतरे को कम करने के लिए लाइफस्टाइल में सुधार की सलाह दे रहे हैं।

बढ़ रहे हैं केसेज

इंडिया में स्ट्रोक का प्रिविलेंस प्रति एक लाख फ्00 से लेकर कुछ हिस्सों में 900 तक है। टाटा मेन हॉस्पिटल के न्यूरो फिजिशियन डॉ एमएन सिंह ने कहा कि जमशेदपुर में भी स्ट्रोक के मामले प्रति एक लाख आबादी में भ् से म् सौ हैं। डॉ सिंह ने इनैक्टिविटी और ओबेसिटी को स्ट्रोक की मुख्य वजहें बताईं। उन्होंने कहा कि इनऐक्टिविटी और ओबसिटी हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज सहित स्ट्रोक के अन्य रिस्क फैक्टर्स की वजह बनती हैं। इससे बचने के लिए उन्होंने रेग्यूलर एक्सरसाइज, मॉर्निग वॉक जैसी चीजों की जरूरत बताई।

खान-पान में सुधार जरूरी

न्यूरोलॉजिस्ट डॉ अरुण कुमार ने स्ट्रोक से बचने के लिए अच्छे खान-पान की जरूरत बताई। उन्होंने बताया कि डायट में ज्यादा सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट और कोलेस्ट्रॉल से ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ता है, जो स्ट्रोक की वजह बनता है। इससे बचने के लिए उन्होंने नमक के कम इस्तेमाल की भी सलाह दी। स्ट्रोक से बचने के लिए डॉक्टर खाने में पांच या उससे ज्यादा सर्विग फल और सब्जियां खाने की सलाह दे रहे हैं।

क्या है स्ट्रोक

ब्रेन में ब्लड सप्लाई में किसी तरह की रुकावट आने पर स्ट्रोक होता है। ऐसा आमतौर पर रक्त वाहिकाओं के फटने या क्लॉट की वजह से ब्लॉक हो जाने पर होता है। ऐसी स्थिति में ब्रेन तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का सप्लाई बंद हो जाती है, जिससे ब्रेन टिश्यू को क्षति पहुंचती है। स्ट्रोक को दो मेजर कैटगरीज, इस्कीमिक स्ट्रोक और हेमोरैजिक स्ट्रोक, में बांटा जा सकता है। इस्कीमिक स्ट्रोक में ब्रेन तक ऑक्सीजन युक्त ब्लड पहुंचाने वाली आर्टरी ब्लॉक हो जाती है। वहीं हेमोरैजिक स्ट्रोक की वजह ब्रेन में अचानक ब्लीडिंग होना है। ब्लीडिंग से ब्रेन में स्वेलिंग होती है और स्कल में प्रेशर बढ़ जाता है। स्वेलिंग और प्रेशर की वजह से ब्रेन सेल्स और टिश्यू को क्षति पहुंचती है।

स्ट्रोक के लक्षण

-अचानक कमजोरी आना।

-चेहरे, हाथ या पैर में, खासतौर पर शरीर के एक साइड में, पैरालिसिस या सुन्नता।

-बोलने में दिक्कत होना।

-एक या दोनों आंख से देखने में दिक्कत होना।

-सांस लेने में तकलीफ।

-चलने में परेशानी, बैलेंस या कोऑर्डिनेशन ना रहना।

- अचानक तेज सिर दर्द।

स्ट्रोक के मुख्य कारण

-हाई ब्लड प्रेशर

-स्मोकिंग

-डायबिटीज

-हार्ट डिजीज

-हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल

-फिजिकल इनऐक्टिविटी

-ओबेसिटी

-असंतुलित डायट

इसके अलावा एज, फैमिली हिस्ट्री, जेंडर सहित स्ट्रोक के दूसरे कई रिस्क फैक्टर हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में स्ट्रोक के ज्यादा मामले आते हैं। जिन लोगों को पहले स्ट्रोक हो चुका है, उनमें दोबारा स्ट्रोक का रिस्क काफी ज्यादा होता है।

स्ट्रोक से बचने के लिए खान-पान में नियंत्रण बेहद जरूरी है। खाने में सैचुरेटेड फैट, नमक की मात्रा कम रखने से स्ट्रोक के खतरे से बचा जा सकता है। स्ट्रोक से बचने के लिए स्मोकिंग से बचना भी जरूरी है।

-डॉ अरुण कुमार, न्यूरोलॉजिस्ट, ब्रह्मानंद नारायण मल्टीस्पेशियालिटी हॉस्पिटल

स्ट्रोक से बचाव के लिए हेल्दी डायट और रेग्यूलर एक्सरसाइज जरूरी है। स्मोकिंग, अल्कोहल भी स्ट्रोक की वजह बनते हैं, इसलिए इनसे दूर रहना जरूरी है।

-डॉ एमएन सिंह, न्यूरो फिजिशियन, टाटा मेन हॉस्पिटल