-छात्र आंदोलन के दौरान आगजनी और तोड़फोड़ करने वाले बुरे फंसे

-पुलिस ने किया गेम, शांतिभंग के आरोप में पकड़ा था, लगा दी संगीन धाराएं

-कचहरी में हंगामे के बाद जेल में वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई, नहीं मिली जमानत

ALLAHABAD: लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं क्वालीफाई करके अफसर बनने का सपना देखने वाले ख्फ् प्रतियोगी छात्रों के कॅरियर पर ही ग्रहण लग गया है। अज्ञात का वेरीफिकेशन बाकी है। यह हो गया तो आंकड़ा ढाई सौ को पार कर जाएगा। पुलिस ने शांति भंग के अंदेशे में पकड़े गए छात्रों पर संगीन आपराधिक धाराएं लगा दी हैं। इसी के चलते उन्हें शुक्रवार को जमानत भी नहीं मिली। उनके समर्थन में कचहरी पहुंचे जमानतदारों ने हंगामा शुरू किया तो पुलिस ने पेशी पर लाए गए इन छात्रों को जेल में शिफ्ट कर दिया। इनकी सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई।

पुलिस ने किया बड़ा गेम

बुधवार को सिविल लाइंस पुलिस ने उपद्रव करने के आरोप में ख्फ् छात्रों को क्भ्क् में पुलिस ने चालान किया था। शुक्रवार को उनको पेशी पर कचहरी लाया गया। यहां पर लॉकअप में छात्रों ने हंगामा शुरू कर दिया। जिसके बाद पुलिस उन्हें वापस जेल भेज दिया। जेल से ही वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए पेशी हुई। इसके बाद पता चला कि पुलिस बड़ा गेम कर चुकी है। दरअसल छात्रों के खिलाफ सिविल लाइंस में चार मामले दर्ज थे। इसमें आगजनी, तोड़फोड़ जैसे संगीन आरोप भी शामिल हैं। पुलिस ने शांति भंग के साथ इन मुकदमो का भी आरोपी बना दिया था। 7 क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट लगा होने से इसमें से किसी को जमानत ही नहीं मिली। बता दें कि इन चारों मुकदमो में करीब ढाई सौ प्रतियोगियों को अज्ञात बताया गया है। इनका वेरीफिकेशन वीडियो फुटेज और फोटोग्राफ से करने की कोशिश की जा रही है।

कैसे मिलेगी सरकारी जॉब

एसएसपी वीरेन्द्र श्रीवास्तव ने पहले ही चेतावनी दे दी थी कि अराजक छात्रों के खिलाफ पुलिस सख्ती से पेश आएगी। डीएम ने गुरुवार को कह दिया था कि धारा क्ब्ब् का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ऑफिसर्स के इस तेवर का जीवंत प्रमाण भी शुक्रवार को मिल गया। इससे पकड़े गए आरोपियों के साथ अज्ञात लोगों के लिए पुलिस वेरीफिकेशन मुश्किल हो जाएगा। मुकदमे नहीं हटे तो वेरीफिकेशन के अभाव में इन्हें सरकारी नौकरी तो मिलने से रही।

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आमरण अनशन पर बैठे हैं छात्र

आयोग के खिलाफ भ्वें दिन भी दीपक मिश्रा, धीरज पाण्डेय, अनिलेश नाथ तिवारी का आमरण अनशन जारी रहा। समर्थक छात्रों ने बताया कि अनशनकारियों की हालत खराब होती जा रही है। सबसे ज्यादा दीपक की हालत खराब है। प्रशासन इन छात्रों के स्वास्थ्या को लेकर गंभीर नहीं है। छात्रों ने बताया कि आगामी एग्जाम के कारण प्रतियोगी छात्र व्यस्त हैं। लेकिन, छात्रों के भीतर पुलिस और प्रशासन के रवैए ने आक्रोश भर दिया है। यह आक्रोश कभी भी विस्फोटक रूप ले सकता है।

आंदोलन के बाद दर्ज रिपोर्ट

लोक सेवा आयोग

सिविल लाइस में गोविंदपुर कालोनी के रहने वाले अंजनी कुमार ने छात्रों के गुट के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है कि उनकी गाड़ी तोड़ दी गई। इस मामले में आईपीसी की धारा क्ब्7, फ्भ्फ्, ब्ख्7 और लोक संपत्ति क्षति अधिनियम का मामला दर्ज हुआ है।

लोक सेवा आयोग से सुभाष चौराहा

सिविल लाइंस इंस्पेक्टर महेश पाण्डेय ने छात्रों के गुट द्वारा लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर क्0 छात्रों को नामजद करते हुए सैकड़ों के खिलाफ आईपी की धारा क्ब्7, फ्फ्ख्, फ्भ्फ्, भ्0ब्, ब्ख्7, लोक संपत्ति अधिनियम और 7 सीएलए एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज की है। इसमें अजय सिंह, सोनू, राणा यशवंत सिंह, कौशल सिंह, अमरेन्द्र सिंह, अवनीश पाण्डेय, शेवेश कुमार सिंह, अमित सिंह, अयोध्या सिंह और राजनीश सिंह को नामजद किया गया है।

रोडवेज बस स्टेशन

रोडवेज की छह गाडि़यों में तोड़फोड़ करने पर सिविल लाइंस पुलिस ने अज्ञात छात्रों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। मो। इस्माइल की तहरीर पर आईपीसी की धारा क्ब्7, फ्भ्फ्, ब्ख्7 और लोक संपत्ति क्षति अधिनियम के तहत मामला दर्ज है।

बेली पावर हाउस

नगर निगम की गाड़ी में आग लगाने पर पशुधन अधिकारी डॉक्टर धीरज गोयल ने ब् अज्ञात लड़कों के खिलाफ आईपीसी की धारा ब्फ्भ् व लोक संपत्ति अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया है।

क्या है इन धाराओं में सजा

क्ब्7-इस धारा का मतलब बलवा करने से है। बलवा करने का दोष साबित होने पर दो साल की सजा या जुर्माना अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है।

फ्भ्फ्-लोक सेवक को उनके काम में बाधा डालना, हमला करना या आपराधिक बल का प्रयोग करना। ऐसा करने पर दो साल की सजा या जुर्माना या दोनों कार्रवाई एक साथ करने का प्रावधान है।

ब्ख्7-इस धारा में संपत्ति नुकसान करने में दो साल की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

ब्फ्भ्-प्रच्छन्न गृह या गृह भेदन पर दो साल तक की सजा हो सकी है।

भ्0ब्-लोक शांति भंग करने पर दो साल की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

7 सीएलए एक्ट-किसी भी मामले में जब कोई नया एक्ट बनता है तो पुलिस 7 सीएलए एक्ट के तहत उसमें जोड़ देती है।

लोक संपत्ति अधिनियम -लोक संपत्ति को क्षति पहुंचाने पर पांच साल तक की सजा का प्रावधान है।