फैमिली का एकलौता चिराग

स्टूडेंट की पहचान दीपक त्रिपाठी के रूप में हुई है। दीपक रसूलपुर बनारस का रहने वाला था। दीपक के पिता विनोद त्रिपाठी फार्मर हैं। वह अपनी फैमिली का इकलौता बेटा था। दीपक भोजीपुरा स्थित एसआरएमएस इंजीनियरिंग कालेज में बीटेक सेकेंड ईयर का स्टूडेंट था। वह कॉलेज के लक्ष्मी भूषण वाष्र्णेय कॉलेज के रूम नंबर 246 में रहता था। वह हॉस्टल में दो साल से रह रहा था। उसके रूम में साथी स्टूडेंट मनीष यादव व पंकज वर्मा भी रहते हैं।

नहीं दिया सेमेस्टर एग्जाम

दीपक के सेमेस्टर एग्जाम चल रहे हैं। सिद्धि विनायक इंस्टीट्यूट में सेंटर था। फ्राइडे की सुबह वह हॉस्टल से मनीष व पंकज के साथ एग्जाम देने निकला था लेकिन वह एग्जाम में शामिल नहीं हुआ। दोपहर बाद जब उसके दोस्त रूम पर पहुंचे तो उन्होंने दीपक को रूम में पंखे से लटके हुए पाया। कमरे की दीवार पर भी कुछ लिखा गया था। सुसाइड की सूचना स्टूडेंट्स ने हॉस्टल प्रशासन को दी जिसके बाद मौके पर भोजीपुरा पुलिस को बुलाया गया। भोजीपुरा एसओ हरेंद्र सिंह हॉस्टल में पहुंचे और जांच के लिए फील्ड यूनिट को बुलाया ।

टाई व वायर का भी बनाया फंदा

पुलिस की प्राइमरी जांच से लगता है कि दीवार व नोटबुक में सुसाइड नोट लिखने के बाद दीपक ने पहले अपनी टाई से सुसाइड का प्रयास किया। लेकिन टाई से सुसाइड में नाकामयाब होने पर उसने एक वायर का फंदा गले में लगाया लेकिन इसमें भी वह नाकामयाब रहा। उसके बाद उसने गर्म चादर का हिस्सा फाड़कर उसकी रस्सी बनायी और फंदा लगा लिया। तीनों चीजें पंखे से लटकी हुई हैं। उसने कुर्सी पर चढ़कर फंदा लगाया।

ओएसडी होने की बात लिखी

इसके अलावा दो पेज का सुसाइड नोट भी लिखा है। इसमें उसने लिखा है कि उसकी सोच उसे ही मार डालेगी। इस तरह से वह मर-मर के नहीं जी सकता। उसने सुसाइड में ना तो लड़की और ना ही खुद की गलती बताई है। उसने झूठ बोलने की भी बात लिखी है। उसने अपनी बहन से मम्मी-डैडी का ख्याल रखने व उन्हें अपने साथ रखने की बात कही है। यही नहीं उसने रामू भैया से बहुत प्यार करने व मम्मी-डैडी को अपना मम्मी डैडी मानने के लिए लिखा है। उसने लिखा है कि वह मरने के बाद वाली दुनिया में रहेगा। यही नहीं उसने खुद को ओएसडी होने की बात लिखी है। उसने लिखा है जो वह ठानता है वह करता है।

पहले भी स्टूडेंट कर चुके सुसाइड

स्टूडेंट के द्वारा सुसाइड का यह पहला मामला नहीं है। लव लाइफ या एजूकेशन लाइफ में हताश होकर उन्होंने मौत को गले लगा लिया । 27 अक्टूबर को किला में सीए की तैयारी कर रहे अखिल ने जॉब न लगने से परेशान होकर अपने मां-बाप के साथ मिलकर सुसाइड कर लिया था। 17 सितंबर को बारादरी में बीएससी की स्टूडेंट ने मैरिट लिस्ट में नाम ना आने पर आग लगाकर जान दे दी थी। इसके अलावा एसआरएमएस में ही कुछ महीने पहले एक छात्रा ने जहर खाकर जान देने का प्रयास किया था।