-आई नेक्स्ट ऑफिस में आयोजित की गई डिबेट में स्टूडेंट्स लीडर ने रखा अपना पक्ष

-प्रिंसिपल बोले नियमों के अनुसार ही चुनाव होने चाहिए, अराजकता पर हो अंकुश

KANPUR : कॉलेजों में बेशक छात्रसंघ चुनाव होने चाहिए, लेकिन यह चुनाव लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार ही होने चाहिए। हालांकि सिफारिशों के अमल में आते ही तथाकथित छात्रनेता कॉलेज कैंपस से बाहर होने लगेंगे। अभी तक छात्रसंघ के जो पदाधिकारी चुनाव जीतते थे वह मात्र 10 परसेंट छात्रों का प्रतिनिधित्व ही करते थे। किसी भी कॉलेज में स्टूडेंट के जितने रजिस्ट्रेशन होते थे, उसके 10 परसेंट स्टूडेंट ही वोट देने आते हैं। वहीं लिंगदोह कमेटी की सिफारिश वाले इलेक्शन में 80 परसेंट छात्र अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। यह निष्कर्ष मंगलवार को आई नेक्स्ट ऑफिस में प्रिंसिपल्स व छात्र नेताओं के बीच हुई डिबेट में निकल कर सामने आया।

नहीं दी कोई डायरेक्शन

स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन को लेकर सिटी के कॉलेजों में हलचल मची हुई है। शासन व यूनिवर्सिटी चांसलर ने स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन लिगंदोह की सिफारिशों के अनुसार कराने का फरमान जारी कर दिया है। लेकिन यह डायरेक्शन नहीं दिया कि कमेटी के किस मॉडल पर चुनाव होगा। डायरेक्ट व इनडायरेक्ट इलेक्शन को लेकर हायतौबा मची हुई है जबकि जेएम लिंगदोह ने आई नेक्स्ट को दो साल पहले दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में साफ कहा था कि सीएसजेएमयू व यूपी की मेन यूनिवर्सिटी में इनडायरेक्ट इलेक्शन का मॉडल लागू होगा।

तो नहीं चल पाती हैं क्लासेज

आई नेक्स्ट ऑफिस में मंगलवार को हुई डिबेट में छात्र नेताओं ने कहा कि अगर स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन इनडायरेक्ट होंगे तो फिर करप्शन बढ़ जाएगा। यूनिवर्सिटी या कॉलेज लेवल पर पदाधिकारी चुनने में खरीद फरोख्त शुरू हो जाएगी। वहीं प्रिंसिपल्स का कहना था कि छात्रसंघ चुनाव लिंगदोह की सिफारिश के अनुसार ही कराने की तैयारी पीपीएन कॉलेज ने की थी जिसको छात्र नेताओं ने मानने से इंकार कर बवाल किया था। इसी के बाद कॉलेज मैनेजमेंट ने हाईकोर्ट से स्टे लिया था। इलेक्शन न होने से क्लासेज टाइम पर चल रही है वर्ना एक प्रोफेसर 35 क्लास भी नहीं ले पाता था।

लिंगदोह के आधार पर हो इलेक्शन

कुछ छात्र नेताओं ने साफ कहा कि अगर लिंगदोह की सिफारिश पर अमल किया गया तो फिर वह कैंपस से आउट हो जाएंगे। उन्हें फिर कौन पूछेगा। डिबेट में छात्र नेता भी मानने को बाध्य हो गए कि स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन लिंगदोह की सिफारिशों के अनुसार ही होना चाहिए।

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हमें कोई शौक नहीं है कि हम छात्रों को एकत्र करके बवाल व प्रोटेस्ट करते घूमे। अगर छात्रों का काम आसानी से यूनिवर्सिटी और कॉलेज में होने लगे तो फिर कोई परेशानी नहीं है। व्यवस्था ऐसा करने के लिए हमे बाध्य करती है। अकेले जाते हैं तो हमारी आवाज कोई नहीं सुनता।

-राघवेन्द्र दुबे रवि, छात्र नेता

हम साफ सुथरी छात्र राजनीति के हिमायती हैं। गुंडागर्दी, बवाल, सड़क जाम, तोड़फोड़ करने में हम विश्वास नहीं करते हैं। लेकिन जहां तक बात छात्र हितों की होगी तो हम हर स्तर पर संघर्ष करेंगे। लिंगदोह की सिफारिश पर चुनाव होने चाहिए।

अनिरुद्ध शुक्ला छात्रनेता

पहले के छात्र नेताओं का दौर अलग था, अब बहुत कुछ बदल गया है। हम अपना प्रतिनिधित्व चाहते हैं। हमारी कोशिश यही होगी कि बेहतर राजनीति करके छात्रों की समस्याओं के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेंगे। इलेक्शन होने चाहिए लिंगदोह की सिफारिश की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।

अमर विश्वकर्मा, छात्रनेता

हमें अगर विधान सभा व संसद का सफर तय करना है तो हमारी पहली पाठशाला छात्रसंघ चुनाव है। इसके स्वरूप में बदलाव होना चाहिए। मेरी प्रायोरिटी छात्रसंघ चुनाव है। हालांकि सीएसजेएमयू के चुनाव में हाईकोर्ट लखनऊ बेंच से स्टे है। हमें कोर्ट के आदेश का अनुपालन करना चाहिए।

रघुवंश कुमार द्विवेदी, छात्रनेता

लिंगदोह कमेटी के सुझाव के बारे में अभी छात्र नेताओं को जानकारी नहीं है। पहले उन्हें इसके बारे में जानकारी करनी चाहिए। कमेटी के सुझाव पर अमल करने से छात्रों की साख बेहतर होगी। सभी छात्रों चुनाव में शिरकत कर सकेंगे।

-डॉ। बीडी पांडेय, सीनियर प्रोफेसर

पहले जो इलेक्शन होते थे, उसमें सिर्फ दस परसेंट छात्र ही चुनाव में शिरकत करते थे। लिंगदोह की सिफारिश पर अमल करने से कॉलेज के 80 परसेंट छात्र चुनाव में भागीदारी करेंगे। कॉलेज के टॉपर्स भी छात्र संघ में शामिल हो सकेंगे।

-डॉ। अशोक श्रीवास्तव, सीनियर प्रोफेसर

पहले जब छात्रसंघ चुनाव होते थे कॉलेज की करीब तीन महीने की क्लासेस पूरी तरह से ठप हो जाती थी। प्रोफेसर क्लास ले रहे होते थे और नेताजी बीच में आकर कैंपेन करके अपने लिए वोट मांगने लगते थे। अब क्लासेस अगस्त से ही लगने लगी जिसका फायदा सीधे कॉलेज स्टूडेंट्स को मिल रहा है।

-डॉ। नीता जैन, प्रिंसिपल, क्राइस्टचर्च कॉलेज