हॉस्टल वॉशआउट पर सड़क पर नहीं होगी छात्रों की लड़ाई

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मौजूदा छात्रसंघ की अगुवाई में एक बार फिर छात्रों ने कुलपति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। थर्सडे को निलंबित चल रहे छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित कुमार मिश्रा की अगुवाई में छात्रों ने हॉस्टल वॉशआउट के मसले पर सड़क पर लड़ाई न लड़ने फैसला किया है। छात्रों ने यह निर्णय इलाहाबाद हाईकोर्ट में हास्टल मसले पर चल रही सुनवाई को देखते हुये लिया है।

सब कुछ पहले से हो चुका है सेट

पत्रकार वार्ता में शामिल छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित कुमार मिश्रा ने कहा कि छात्र हाईकोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि इविवि प्रशासन के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। इसके लिये छात्र समुदाय एकजुट होकर आन्दोलन करेगा। छात्रों ने पत्रकारों को 13 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। छात्रों ने एमएचआरडी से कुलपति के कार्यकाल में हुई गड़बडि़यों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। पत्रकार वार्ता में छात्रों ने कहा कि विवि में नियुक्तित प्रक्रिया दिखावा रह गई है। सबकुछ पहले से सेट रहता है। छात्रों ने परीक्षा नियंत्रक, वित्त नियंत्रक और रजिस्ट्रार की संभावित नियुक्ति पर तीन शिक्षकों का नाम प्रमुखता से लिया। कहा कि इविवि में आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट और जेके इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड फिजिक्स एंड टेक्नोलॉजी तथा सीएमपी डिग्री कॉलेज के एक शिक्षक दौड़ में सबसे आगे हैं।

इन मुद्दों को लेकर छात्र हैं उद्वेलित

सेशन 2016-17 प्रवेश परीक्षा में टीसीएस द्वारा प्रदत्त रिजल्ट बदलवाकर चहेतों को प्रवेश देना

लास्ट इयर पीजीएटी, क्रेट एवं लॉ इंट्रेंस परीक्षाओं के 10 टॉपरों का इंटरव्यू कोई भी कमेटी ले तो प्रवेश परीक्षा में बिहार बोर्ड से भी बड़ा स्कैंडल सामने आयेगा।

कुलपति प्रो। आरएल हांगलू का शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों के खिलाफ विद्वेष की भावना से काम करना

शिक्षक संघ के चुने हुये अध्यक्ष प्रो। आरएस दुबे को कुलानुशासन पद पर बिठाने का विरोध

विवि में लगभग 30 पदों पर बिना विज्ञापन, बिना साक्षात्कार और बिना प्रक्रिया के नियुक्ति करना

कोर्ट ने कुलपति के कई फैसलों को बदला और इनके फैसले के चलते छात्रसंघ व आम छात्रों का लगातार आन्दोलन के लिये मजबूर होना

कुलपति द्वारा छात्रों से संवाद न करना

विवि में स्वयं की स्टैंडिंग काउंसिल होते हुये भी बाहरी वकीलों को मोटी फीस देकर मुकदमा लड़ना

एलएलबी की आगामी प्रवेश परीक्षा में अंग्रेजी के लिये 40 अंक और हिन्दी के लिये 10 अंक निर्धारित करना जो हिन्दी भाषी ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों के साथ अन्याय है