छात्रों ने कश्मीर की तर्ज पर पत्थर से दिया पुलिस की लाठी का जवाब

फोर्स को मौका मिला तो हास्टल के कमरे में घुसकर छात्रों को पीटा, सामान फेका

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: इलाहाबाद में शुक्रवार को हालात कश्मीर जैसे थे। पुलिस के पास लाठी और असलहे थे तो छात्रों ने पत्थर से मोर्चा लिया। घंटों दोनों पक्षों में गोरिल्ला युद्ध चला। छात्र भी चोटिल हुए और फोर्स के जवान भी। कटरा से लेकर बैंक रोड तक सन्नाटे पसर गया। दुकानें बंद हो गई। छात्रों की इस स्ट्रेटजी ने सिक्योरिटी फोर्सेज को बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया। ऐसा नहीं है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों का यह पहला उपद्रव है। पहले भी वह ऐसा ट्रेलर दे चुके हैं। इस बार की खास बात यह रही कि छात्रों ने बम छोड़कर सिर्फ पत्थर चलाए। इसका नतीजा हुआ की शहर की तमाम सड़कों पर पत्थरों का ढेर लग गया।

नीली जर्सी से कांपे पत्थरबाज

पत्थरबाजी करने वाले छात्र इस बार पूरी तैयारी के साथ उतरे थे। यूनिवर्सिटी के आसपास के एरिया के हर रोड की उन्होंने रेकी कर रखी थी और उसी के अनुसार पत्थर के साथ तैयार भी थे। इसी बात से लगाया जा सकता है कि कटरा से लेकर बैंक रोड तक सड़क पर बड़े पड़े ईट पत्थर ही नजर आ रहे थे। पुलिस बल को बैकफुट पर लाने के लिये हास्टलर्स ने हास्टल के अंदर से इतने पत्थर बरसाये कि नीली जर्सी धारी आरएएफ के जवानो को मोर्चे पर डटना पड़ गया। फिर भी लड़के काबू में नहीं आये तो आरएएफ, पीएसी और पुलिस बल के जवान पत्थरबाजों को काबू में करने के लिये हास्टल के अंदर घुस गये और उनके कमरे तक घुसकर छात्रों को पीटा।

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पूरा का पूरा हास्टल छोड़कर भागे

जीएन झा, पीसीबी, एसएसएल, हालैंड हाल, हिन्दू हास्टल, केपीयूसी आदि हास्टल्स में घुसी फोर्स के तेवर देख हास्टल के अंदर से पत्थरबाजी कर रहे छात्र भाग खड़े हुये। इससे पुलिस बल के जवान इतने गुस्से में दिखे कि उन्होंने हास्टल के अंदर खड़े वाहनो पर डंडे बरसाये और कमरों के भीतर घुसकर सामान उलट पलट दिया। इससे विवि मार्ग पर देर शाम तक अघोषित कफ्र्यू जैसे हालात बने रहे। शाम पांच बजे तक भी कई जगहों से रुक-रुककर पत्थरबाजी की सूचना आती रही।

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याद आया 26 अप्रैल 2012

इससे पहले 26 अप्रैल 2012 को हास्टल वॉशआउट के विरोध में छात्रों ने इसी तरह का बवाल किया था। उस समय तत्कालीन वीसी प्रो। एके सिंह को कुलपति कार्यालय में छात्रों ने 72 घंटे तक बंधक बनाकर रखा था। बताया जा रहा है कि फ्राईडे को हुये बवाल की पृष्ठभूमि थर्सडे नाइट को ही हास्टल्स में तैयार हो चुकी थी। इसके लिये सभी हास्टल्स में रात्रि में ही छात्रों ने कैम्पेनिंग की थी। एलआईयू भी बवाल का अंदेशा पहले ही जता चुका था। यही कारण है कि छात्रों की गैदरिंग से पहले ही भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था। अन्यथा और भी बड़ा बवाल हो सकता था। जिसमें भारी जानमाल का नुकसान होता।

भागती रही पुलिस

बैंक रोड चौराहे के करीब इलाहाबाद विश्वविद्यालय का गेस्ट हाउस स्थित है। शुक्रवार दोपहर गेस्ट हाउस में गवर्निग काउंसिल की खास बैठक चल रही थी। बैठक के दौरान ही सैकड़ों की संख्या में छात्र पहुंच गए। मांगों को लेकर वह कुलपति से मिलना चाहते थे। मगर, सुरक्षा के लिहाज से तैनात पुलिस कर्मियों और गार्डो ने छात्रों को रोक दिया। इसे लेकर छात्रों ने पुलिस कर्मियों से विवाद कर लिया। छात्रों और पुलिस के बीच झड़प होते ही मामला और बढ़ा गया और छात्र आक्रामक मुद्रा में आ गए। इसके बाद हालात ऐसे बन गए कि पुलिस के लिए स्थिति संभालना मुश्किल हो गया। इसकी जानकारी होते हुए अफसरों ने आरएएफ, सीआरपीएफ और पीएसी को बुला लिया। इसके बाद भी फौज के जवान पत्थरबाजों के तेवर पर भागते नजर आए।

जिन छात्रों ने ला एंड आर्डर को बिगाड़ा है। उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। बवाल और आगजनी करने वाले छात्रों को चिन्हित किया जा रहा है। माहौल को देखते हुए यूनिवर्सिटी के आस-पास भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। उपद्रवियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कार्रवाई की जा रही है।

शलभ माथुर, एसएसपी