- ग्रेडिंग में वो बात कहां जो टॉपर होने खुशी में है

- अब दसवीं के रिजल्ट को देखने में वो मजा नहीं आता है

Meerut : सीबीएसई दसवीं के रिजल्ट में अब वो पहले वाली खुशी नहीं है जो पहले हुआ करती थी। दरअसल, बोर्ड पिछले कई सालों से ग्रेडिंग सिस्टम से दसवीं का रिजल्ट जारी करना शुरू कर दिया है। ऐसे में होम एग्जाम का असर भी अब पूरी तरह से दिखने लगा है। दसवीं में जब तक बोर्ड एग्जाम रहा, तब तक रिजल्ट देखने में और जानने में स्कूलों में स्टूडेंट्स का हूजुम जुटा रहता था। लेकिन सीबीएसई के ग्रेडिंग सिस्टम ने स्टूडेंट्स में रिजल्ट का क्रेज ही कम कर दिया है। थर्सडे को भी जब दसवीं का रिजल्ट आया तो अधिकतर स्कूलों में सन्नाटा पसरा हुआ था। गे्रडिंग से पहले जहां नंबरों वाले सिस्टम में एक-एक नंबर के लिए मारामारी रहती थी। वहीं अब टॉपरों की फौज देखने को मिलती है।

होम एग्जाम देने वाले रहे अधिक

सीबीएसई दसवीं एग्जाम सीसीए पैटर्न पर पिछले कुछ सालों से हो रहा है, जिसमें चार फॉर्मेटिव एसेसमेंट (एफए) और दो (सब्मेटिव एसेसमेंट) एसए होता है। दसवीं में प्रवेश के बाद अप्रैल-मई में पहला एफए होता है, यह दस मा‌र्क्स का होता है। अगस्त में फिर दूसरा एफए होता है। सितंबर में माह में फ्0 मा‌र्क्स का पहला एसए होता है। नवंबर- दिसंबर क्0 मा‌र्क्स का तीसरा एफए होता है। पिछले साल से चौथे एफए में पीसीएस एग्जाम भी होने लगा है। लास्ट एसए ख् का एग्जाम दो तरह से होता है बोर्ड या स्कूल बेस। सीबीएसई ने इसमें दसवीं में बोर्ड या स्कूल बेस एग्जाम का ऑप्शन देता है। जिले में 98 प्रतिशत स्टूडेंट ने होम बेस्ड से ही एग्जाम दिया है। काफी स्कूलों में तो एक भी स्टूडेंट ऐसा नहीं है जहां पर बोर्ड बेस्ड एग्जाम हुआ हो।

एजुकेशन सिस्टम पर असर

दसवीं में गे्रडिंग सिस्टम ने निश्चित तौर पर स्टूडेंट्स के तनाव को दूर कर उनमें नंबरों की होड़ को खत्म किया है। वहीं होम बेस्ड एग्जाम का ऑप्शन देकर तनाव बिल्कुल ही खत्म कर दिया है, लेकिन यह भी समझना जरुरी है कि पढ़ाई केवल दसवीं तक हीं नही है। स्टूडेंटस व टीचर्स का भी यही कहना है कि सीसीई पैटर्न ने उनकी दसवीं की पढ़ाई को तनावमुक्त तो बनाया है। लेकिन तनावमुक्त एजुकेशन के बाद एकदम से इंटर का बोर्ड देना मुश्किल हो जाता है। दसवीं के बाद से ही एकदम से लोड आने पर स्टूडेंट के रिजल्ट पर काफी असर पड़ता है और एजुकेशन सिस्टम पर भी असर पड़ता है।

सिस्टम अच्छा है, लेकिन अधिक नंबर पाने में जो बात हुआ करती थी वो इस तरह के रिजल्ट को देखने में कहां है। पहले हम एक-दूसरे के नंबरों पर नजर रखा करते थे, आपस में कॉम्पटीशन होता था, लेकिन गे्रडिंग सिस्टम ने सब खराब कर दिया है।

रमय्या कौशिक, दीवान स्कूल

हमारे स्कूल में तो किसी का भी बोर्ड बेस्ड एग्जाम नहीं है। सभी ने होम बेस्ड भरा है। वैसे भी टेन सीजीपीए है, इसलिए हमारे पास भी कोई ऑप्शन नहीं है। बोर्ड से भरने पर भी सीजीपीए ही आना है।

रीतिका शर्मा, दीवान स्कूल

पहले हम लोग एक-दूसरे के नंबर मिलाया करते थे। देखा करते थे कि किसके किस सब्जेक्ट में कम या ज्यादा है, लेकिन इस गे्रडिंग सिस्टम के कारण, जिनके हमसे कम नंबर भी होते है वो भी बराबर ही ग्रेड लेते हैं तो थोड़ा बुरा लगता है।

तान्या शर्मा, एमपीजीएस

ग्रेडिंग सिस्टम अच्छा है, लेकिन अगर इसमें नंबरों के अकार्डिग ग्रेड हो तो। 9क् से क्00 के बीच के सभी स्टूडेंट एक ही कैटगरी में आते हैं। यह तो गलत है। जिसके 9क् नंबर है वो भी ए -क्और जिसके 99 है वो भी ए-क् ग्रेड में है।

अंशिका मित्तल, एमपीजीएस