- सैकड़ों स्टूडेंट्स कॉलेज और यूनिवर्सिटी के बीच जूझ रहे

- रेगुलर के एग्जाम फार्म भर नहीं सकते, प्राइवेट कर नहीं सकते

- कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले काट रहे यूनिवर्सिटी के चक्कर

- इनके लिए प्राइवेट का ऑप्शन भी कुछ दिन में हो जाएगा बंद

Meerut: सीसीएस यूनिवर्सिटी में कुछ भी हो जाए व्यवस्था जस की तस रहेगी। सबकुछ ऑनलाइन होने के बाद भी सिस्टम ठप है। स्टूडेंट्स परेशान हैं। जिसका खामियाजा सैकड़ों ऐसे स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ रहा है जो एडमिशन के नाम पर छले गए। कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले सैंकड़ों स्टूडेंट्स अपना भविष्य बचाने के लिए परेशान हैं। जिनको कॉलेजों ने बिना कंफर्मेशन के एडमिशन दे दिया। जब एग्जाम की बात आई तो इनको उल्लू बना दिया गया। अब ये ना रेगुलर के फार्म भर पाए और ना ही प्राइवेट फार्म।

यह है सीन

यूनिवर्सिटी में इस बार सबकुछ ऑनलाइन रहा। पहले रजिस्ट्रेशन और फिर मेरिट लिस्ट। इसके बाद एडमिशन की व्यवस्था ऑनलाइन रही। यूनिवर्सिटी ने कई मेरिट जारी कीं। जब वह मेरिट निकालते हुए थक गई तो रजिस्टर्ड स्टूडेंट्स के डायरेक्ट एडमिशन की परमिशन कॉलेजों को दे दी गई। साथ ही कॉलेजों द्वारा लिए गए एडमिशन को यूनिवर्सिटी से कंफर्म कराने का समय दिया गया। कॉलेज वालों ने यूनिवर्सिटी को एक बड़ी सी लिस्ट बनाकर भेज दी। अब एग्जाम की बारी आई तो असलियत सामने आई।

कैसे बचेगा साल

सैकड़ों स्टूडेंट्स ने कॉलेजों के द्वारा डायरेक्ट एडमिशन करवा लिए। कॉलेज वालों ने स्टूडेंट्स को बेवकूफ बनाते हुए एडमिशन होने की जानकारी दे दी। जबकि यूनिवर्सिटी में इन स्टूडेंट्स का एडमिशन ही कंफर्म नहीं हुआ था। अब एग्जाम भरने का नंबर आया तो स्टूडेंट्स अपना फार्म भरने पहुंचे, लेकिन इनके फार्म ही ओपन नहीं हुए। नौ जिलों के दो हजार से अधिक ऐसे स्टूडेंट्स हैं जो कॉलेज और यूनिवर्सिटी के फेर में फंसे हुए हैं। ये ना रेगुलर कर पा रहे हैं और ना ही प्राइवेट।

कैसे बनेगी व्यवस्था

एग्जाम को लेकर परेशान स्टूडेंट्स का कहना है कि उन्होंने लाखों रुपए फीस दी है और वे इसके बाद भी एग्जाम नहीं दे पा रहे हैं। अब यूनिवर्सिटी इन बच्चों की जिम्मेदारी लेने से मना कर रही है। कॉलेज की ओर से यूनिवर्सिटी के खिलाफ आरटीआई लगाने के साथ कोर्ट में भी मामला दर्ज करा दिया गया है। लेकिन इस साल को कैसे ये स्टूडेंट्स बचा पाएंगे इसका समाधान नहीं मिल पा रहा। जिससे ये स्टूडेंट्स परेशान हैं। किसी भी तरह अपना एक साल बचाने के लिए व्यवस्था बनाने में लगे हैं।