-पकड़े गए स्टूडेंटस ने बताया शास्त्रीनगर के अपार्टमेंट से खरीदकर बेचते हैं स्मैक

-कहां से होती है सप्लाई कोई जानना नहीं चाहता, स्मैक बेचने वाले गिरोह का नहीं हो पाता खुलासा

-पुलिस पकड़कर छोड़ देती है नशेडि़यों को, पीरबहोर एरिया में नशा बेचने वाले अधिक सक्रिय

PATNA: शहर में स्मैक का काला कारोबार चरम पर है। आराम से यह धंधा चल रहा है, गिरोह तक पुलिस पहुंच नहीं पाती। यही नहीं, नारकोटिक्स डिपार्टमेंट की ओर से भी कोई बड़ी रेड नहीं हो पाती। कुछ दिनों पहले गर्दनीबाग थाना के अनिसाबाद सूर्य मंदिर के पास पकड़े गए लड़कों ने जो खुलासा किया, उस पर पुलिस कुछ अधिक काम नहीं कर पाई। ऐसे मामलों में अक्सर स्मैक और ब्राउन सुगर के साथ पकड़े गए व्यक्तिको गिरफ्तार कर जेल भेजने के बाद कोई आगे की कार्रवाई नहीं हो पाती। ज्ञात हो कि पकड़े गए दोनों लड़के प्रभात कुमार उर्फ सेठी और कृष्ण किशोर सिंह इंजीनियरिंग के स्टूडेंट हैं और दोनों के पिता पुलिस डिपार्टमेंट में ही दारोगा है। इन स्टूडेंट्स की गिरफ्तारी के बाद यह साफ हो गई कि नशे का कारोबार राजधानी में फल-फूल रहा है। पॉश इलाकों से लेकर निचले तबके तक यह फैल रहा है।

शास्त्रीनगर से होती है खरीदारी

वैसे शहर में कई ऐसे जगह हैं जहां से इस जहर का बिजनेस होता है। पकड़े गए स्टूडेंट्स ने पुलिस के सामने जो राज खोला उससे यह पता चला कि शास्त्रीनगर के एक अपार्टमेंट से उन लोगों ने यह खरीदा था। उसमें अंकित नाम के युवक से स्मैक खरीदा गया था। प्रभात और कृष्ण ने पुलिस को बताया कि अंकित उसी अपार्टमेंट में मिला था, जहां गैंग रेप की घटना हुई थी। इस जानकारी से पुलिस चौंक पड़ी। थानाध्यक्ष गर्दनीबाग बीके चौहान ने बताया कि यह सूचना सामने आने के बाद पुलिस टीम को उस जगह भेजी थी, मगर अंकित नाम का कोई नहीं मिला। हालांकि पकड़े गए दोनों स्टूडेंट्स यह भी बता रहे थे अंकित ने ही फंसाया है और उसने ही फोन कर पुलिस को जानकारी दी होगी।

फीस के रुपए से स्मैक का धंधा

पुलिस की मानें, तो इंजीनियरिंग कर रहे एक स्टूडेंट के पिता ने उसे 7 हजार रुपए कॉलेज में जमा करने के लिए दिया था मगर वह लालच में आकर उससे स्मैक खरीदकर बेच रहा था। एक पुडि़या की कीमत ख्भ्0 रुपए रखा था। जब पुलिस उससे फोन पर डील कर रही थी, तब वह एक बार में क्0 पुडि़ए का दाम ख्भ्00 रुपए बता रहा था। वह वाराणसी भी स्मैक लेकर जाता था इसकी भी आशंका पुलिस को है। पुलिस का कहना है कि ये स्टूडेंट्स इस गिरोह के नए मेम्बर लगते हैं क्योंकि पुलिस से माल बेचने को इतने आराम से तैयार हो गए कि उन्हें शक भी नहीं हुआ।

पीरबहोर एरिया में है जमावड़ा

ड्रग्स के नशेडि़यों का एक बड़ा वर्ग इस इलाके में रहता है। साथ ही सूत्रों की मानें, तो इन इलाके में इसका धंधा करनेवाले भी कम नहीं। वैसे पुलिस को भी इस बारे में कई रिपोर्ट मिलती है लेकिन उस पर कोई कारवाई नहीं हो पाती। हां, कभी-कभी नशेडि़यों को पुलिस पकड़ती तो है, मगर फिर होश में आने पर उसे छोड़ दिया जाता है या फिर जेल भेज दिया जाता है। लेकिन इसके खिलाफ कभी अभियान नहीं चलाया जाता, जबकि उस इलाके के कई ब्लड बैंक में ऐसे लोग खून बेचते हैं। लोगों को शुद्ध खून भी नहीं मिल पाता। इसका असर काफी दूर तक दिखता है।

आरा से पटना तक है नेटवर्क

वैसे तो नशे के कारोबारियों का रैकेट बहुत बड़ा है। पुलिस भी मानती है कि मेन सप्लायर तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत की जरूरत है। एक पुलिस ऑफिसर ने बताया कि यह चेन इतना लम्बा है कि वहां तक पुलिस पहुंच ही नहीं पाती। वैसे आरा के दांगी में कई बार गिरफ्तारी हुई है, लाखों रुपए समेत काफी मात्रा में स्मैक भी पकड़ा जा चुका है। वहां का सरगना सर्वजीत पासवान की मां भी इसी धंधे में लिप्त होने के कारण जेल भी भेजी गई थी। भभुआ, मोहिनयां और सासाराम में इसका बड़ा कारोबार चल रहा है। यहीं से स्कैम कम-कम मात्रा में आराम से पटना लाया जा रहा है। बसों में कोई चेकिंग नहीं होने से इसे आराम से पटना पहुंचाया जा रहा है। उसके बाद इसे पटना से अन्य जगह भेज दिया जाता है।