- वीआईटी आईनेक्स्ट इंजीनियरिंग गेटवे-2015 सेमिनार में एक्सपर्ट ने स्टूडेंट्स को दिया सफलता का फार्मूला

- मैथ्स, फिजिक्स और केमेस्ट्री के बेसिक कॉन्सेप्ट क्लियर करने के बाद लगातार प्रैक्टिस से ही मिलती है सफलता

KANPUR: इंटरमीडिएट पास करने के बाद इंजीनियरिंग कैसे आपके लिए करियर का बेहतर विकल्प हो सकती है और इंजीनियर बनने के बाद भी कैसे करियर के अलग अलग आयामों में सफलता हासिल की जा सकती है। अहम इंजीनियरिंग इंट्रेस में सफलता के लिए किस तरह प्रिपरेशन की जाए? स्टूडेंट्स के साथ पेरेंट्स के मन में उठने वाले ऐसे ही सवालों को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को वीआईटी आईनेक्स्ट इंजीनियरिंग गेटवे-2015 सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में आईआईटी, एचबीटीआई, वीआईटी, यूनिवर्सिटी और पीपीएन कॉलेज से आए एक्सप‌र्ट्स ने स्टूडेंट्स के इन सवालों के जवाब दिए साथ ही इंजीनियरिंग को लेकर तमाम तरह के मिथ, उसकी तैयारियों और उसमें आने वाली उलझनों को सुलझाया। इस दौरान मोटीवेनशनल स्पीकर डॉ। अरूणेंद्र सोनी और आरजे सिड ने भी अपने अंदाज में स्टूडेंट्स को मोटीवेट किया। साथ ही इंट्रेस एक्जाम को क्रैक करने के नुस्खे भी समझाए।

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एक्सपर्टस के मुताबिक इंजीनियर बनने के 10 सूत्र

- प्रॉब्लम सॉल्विंग नेचर

- क्लिएरिटी ऑफ फंडामेंटल कॉन्सेप्ट

- अप्रोच टू ए सब्जेक्ट

- साइंटिफिक माइंडसेट

- रेग्यूलर प्रैक्टिस

- टाइम मैनेजमेंट ऑफ स्टडी

- पीसीएम सब्जेक्ट्स की चाहत

- एनालिटिकल अप्रोच विद इनडेप्थ नॉलेज

- सटीक गाइडेंस

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साइंटिफिक मांइडसेट के साथ करें इंजीनियरिंग की तैयारी

आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर और मैथमैटीशियन डॉ। जॉयदीप दत्ता ने स्टूडेंट्स से इंटरेक्ट करते हुए बताया कि बोल्ड च्वॉइस चुनने में कभी डरना नहीं चाहिए। जिस चीज के प्रति पैशन हो वही करना चाहिए। और उसे करें तो पूरे जी जान से। अच्छे सवाल पूछने की आदत डालें। उन्होंने बताया कि जिस चीज में आप बुरे हैं उसे मत करिए लेकिन जिसमें अच्छे हैं उसमें बेस्ट रहिए। साइंटिफिक माइंडसेट के साथ इंजीनियरिंग की तैयारी करें। प्रॉब्लम्स को सॉल्व करना अपने एटीट्यूट में शामिल करें।

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टाइम मैनेजमेंट बेहद जरूरी

पीपीएन कॉलेज में फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ। श्रीपाल शर्मा ने स्टूडेंट्स को सफलता का गुरुमंत्र देते हुए कहा कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई में मेहनत, अभ्यास के साथ ही जो चीज सबसे ज्यादा मायने रखती है वह है टाइम मैनेजमेंट। यह एग्जाम की तैयारी और एग्जाम के दौरान दोनों समय मदद करता है। डॉ। शर्मा ने कहा कि इंजीनियरिंग का क्षेत्र बेहद विस्तृत है। इसलिए इसमें एकेडमिक इंटरेस्ट के साथ ही रिसर्च की जरूरत भी पड़ती है। इसलिए साइंटिफिक एटीट्यूट तो चाहिए ही। समय समय पर इंट्रोइंस्पेक्शन की भी जरूरत पड़ती है जिसमें आप अपनी गलतियों से सीखने की कोशिश करते हैं।

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केमेस्ट्री ही सबसे स्कोरिंग सब्जेक्ट

रिलायंट इंस्टीटयूट के डायरेक्टर आलोक दीक्षित जो कि आईआईटी जेईई प्रिपरेशन में केमेस्ट्री की टीचिंग में बड़ा नाम है उन्होंने स्टूडेंट्स में केमेस्ट्री की उलझनों को दूर किया। उन्होंने बताया कि केमेस्ट्री सबसे स्कोरिंग सब्जेक्ट है इसलिए उससे बचना नहीं चाहिए। उन्होंने प्वाइंटवाइस आर्गेनिक व इनआर्गेनिक केमेस्ट्री, सॉल्ट एनालिसिस, फिजिकल केमेस्ट्री, क्लासिफिकेशन ऑफ एलीमेंट्स और इलेक्ट्रोकेमेस्ट्री के जरूरी कॉन्सेप्ट्स के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि प्रिपरेशन के दौरान मोल कॉन्सेप्ट पर कमांड होना सबसे जरूरी है। पिछले 20 सालों के जेईई के केमेस्ट्री पेपर्स में सबसे ज्यादा इन्हीं प्वाइंट्स से सवाल पूछे गए है।

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एनालिसिस की क्षमता विकसित करें

गेटवे-2015 के दूसरे सेशन की शुरुआत में यूपीटीटीआई के एक्स डॉयरेक्टर प्रो। आलोक कुमार ने स्टूडेंट्स को इंजीनियरिंग की तैयारी के दौरान रटने की आदत से बचने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि अगर इंजीनियर बनना हो तो हाईस्कूल के बाद से ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। फंडामेंटल कॉन्सेप्ट्स को क्लियर करना चाहिए और उनकी लगातार प्रैक्टिस करनी चाहिए। इस दौरान एनालिसिस करने की क्षमता विकसित करना बेहद जरूरी होता है। प्रॉब्लम सॉल्विंग एटीट्यूट को अपना स्किल बनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग में फिजिक्स बेहद जरूरी सबजेक्ट होता है। इसलिए फिजिक्स के फंडामेंटल कॉन्सेप्ट्स की क्लियरिटी होना सबसे पहली जरूरत होती है। फिजिक्स में न्यूमैरिकल रिलेटेड प्रॉब्लम्स को भी इन्ही फंडामेंटल कॉन्सेप्ट्स के क्लियर होने के बाद आसानी से सॉल्व किया जा सकता है।

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मॉक टेस्ट देकर खुद काे जज करें

एचबीटीआई में केमेस्ट्री प्रोफेसर डॉ। साधना पुरी ने सेकेंड सेशन में स्टूडेंट्स से मुखातिब होते हुए बताया कि केमेस्ट्री से डरने की जरूरत नहीं है। अगर केमेस्ट्री में कमजोर है तो फंडामेंटल मजबूत करने के लिए 12वीं की एनसीईआरटी की केमेस्ट्री की बुक ही काफी है। इसके बाद किसी और राइटर की किताब पढ़ें। इंजीनियर बनने के लिए रोज 6 से 8 घंटे की स्टडी जरूरी होती है। साथ ही अपनी तैयारी को चेक करने के लिए समय समय पर मॉक टेस्ट देना भी बेहद जरूरी होता है। साथ ही शॉर्ट नोट्स तैयार कर पढ़ना चाहिए।

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बायोटेक्नोलॉजी में असीम संभावनाएं

सीएसजेएमयू में बायोटेक्नोलॉजी की प्रोफेसर डॉ। वर्षा गुप्ता ने इंजीनियर के साथ ही बायोटेक्नोलॉजी में करियर की संभावनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बीएससी के बाद बायोटेक्नोलॉजी में एमएससी या बीटेक करना कम खर्चीला होता है। इन कोर्सेस में जॉब्स के अवसर अब काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। एग्रीकल्चर सेक्टर के फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, फार्मा इंडस्ट्री के साथ ही कई नए सेक्टर्स का विकास हुआ है। उन्होंने बताया कि बायोटेक्नोलॉजी से एमटेक और पीएचडी करने में फेलोशिप मिलने की भी काफी संभावनाएं होती हैं।

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विकसित देशों के मुकाबले बेहद कम इंजीनियर्स

मोटीवेशनल स्पीकर अरुणेंद्र सोनी ने स्टूडेंट्स से मुखातिब होते हुए इंजीनियरिंग के स्कोप के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि आज के दौर में देश में 3495 इंजीनियरिंग इंस्टीटयूशन्स हैं। फिर भी इंडिया में इंजीनियर्स की संख्या जापान और साउथ कोरिया जैसे विकसित देशों से बेहद कम है। कोरिया में जहां प्रति एक लाख लोगों में 1435 इंजीनियर्स हैं वहीं इंडिया में यह संख्या मात्र 214 है। उन्होंने बताया कि गूगल, एप्पल जैसी बड़ी कंपनियों में आज इंडियन बैकग्राउंड के इंजीनियर्स अहम पदों पर हैं। इसके साथ ही इंजीनियरिंग करने के बाद जरूरी नहीं है कि आप आगे चल कर इंजीनियर ही बनें। आज के दौर में सिविल सर्विस से लेकर एक्टिंग और फाइन ऑ‌र्ट्स के कई बड़े नाम इंजीनियरिंग पढ़े हुए हैं।

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कन्फ्यूजन हुआ दूर

वीआईटी आईनेक्स्ट इंजीनियरिंग गेटवे-2015 में कई स्कूल्स से स्टूडेंट्स शामिल हुए। इसके अलावा इंजीनियरिंग की प्रिपरेशन कर रहे काफी स्टूडेंट्स भी सेनिमार में आए। इस दौरान स्टूडेंट्स ने भी अपने सवाल पूछ कर इंजीनियरिंग से जुड़ी अपनी परेशानियों को दूर किया। इस सेमिनार के लिए उन्नाव से लेकर कई दूसरे जिलों से भी स्टूडेंट्स शामिल हुए। इसके अलावा फ्लोरेट्स इंटरनेशनल, बीएनएसडी शिक्षा निकेतन, ओंकारेश्वर सरस्वती विद्या निकेतन, हडर्ड हाईस्कूल से रागेंद्र स्वरूप ऑडिटोरियम पहुंचे सैकड़ों स्टूडेंट्स ने इंजीनियरिंग को लेकर अपनी तैयारियों को परखा।

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जो मन करे वही करो

सेमिनार के दौरान बिग एफएम के आरजे सिड भी स्टूडेंट्स से अपने ही तरीके से मुखातिब हुए। उन्होंने बताया कि आरजे बनने से पहले उन्होंने भी बीटेक किया, लेकिन उन्हें लोगों से इंटरेक्ट करने का शौक था और यही उनकी चाहत थी जिसने आरजे बना दिया। आरजे सिड ने इंटरेक्टिव सेशन में एक सवाल के जवाब में कहा कि इंजीनियरिंग करने के बाद आपकी जर्नी शुरू होती है। सचिन तेंदुलकर की बुक 'प्लेइंग इट मॉय वे' का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जो चीज आपको पसंद होती हो वही करनी चाहिए और फिर उसे पूरा करके ही दम लेना चाहिए। इस दौरान एक ऐसा समय भी आया कि स्टूडेंट्स ने थोड़ी मस्ती भी की। सेमिनार में एंकर की भूमिका में अमित शर्मा ने जहां एक्टर्स की मिमिक्री करके एंटरटेन किया। उन्होंने एक्टिविटी का सफल संचालन किया। वहीं फ्लोरेट्स इंटरनेशनल की ऋतु शुक्ला ने गीत गाकर स्टूडेंट्स की तालियां बटोरीं। स्टूडेंट्स के ऑडिटोरियम तक आने-जाने की व्यवस्था मल्होत्रा टूरिस्ट बस सर्विस की ओर से की गई थी।

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वीआईटी से भरिए सफलता की उड़ान

स्टूडेंट्स से इंटरेक्ट करते हुए वीआईटी वेल्लूर से आए डॉ। माधवेश पाठक ने उनके सवालों के जवाब दिए और इंजीनियरिंग के बेहतर विकल्पों के बारे में अहम जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैसे वीआईटी वेल्लूर और चेन्नई में प्रोफेशनल एजुकेशन में नई नई फैसेलिटीज को इंट्रोड्यूस किया जा रहा है। साथ ही कैंपस, फैकल्टी और प्लेसमेंट इन तीनों के बारे में उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने वीआईटी के अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट कोर्सेस की जानकारी दी। साथ ही एक स्टूडेंट के सवाल पर उन्होंने कहा पूरा कैंपस रैगिंग फ्री है। इसके अलावा स्टूडेंट्स को पढा़ने के लिए एफएफसीएस तकनीक का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि वीआईटीईईई-2015 के लिए फार्म 27 नवंबर से मिलेंगे जिसे भरने की आखिरी तारीख 29 फरवरी 2016 है। यह फार्म ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से भरे जा सकते हैं।

आज है आखिरी मौका

आई नेक्स्ट इंजीनियरिंग गेटवेज-2015 सेमिनार का बुधवार को आखिरी दिन है। स्टूडेंट्स ऑन द स्पॉट फ्री रजिस्ट्रेशन कराकर रागेंद्र स्वरूप ऑडिटोरियम में एक्सपर्ट्स से रूबरू हो सकते हैं। सुबह का सेशन 9.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक और दूसरा सेशन 1.30 बजे से 4.30 बजे तक होगा। जिसमें स्टूडेंट्स डिफरेंट्स फील्ड्स के एक्सपर्ट्स के साथ इंटरेक्ट कर सकते हैं।