- डीडीयूजीयू के संतकबीर हॉस्टल में भी बुरा है व्यवस्थाओं का हाल

- गंदगी के अलावा बंद मेस बढ़ा रही स्टूडेंट्स की परेशानी

GORAKHPUR: डीडीयूजीयू का कोई भी हॉस्टल हो, यहां रहने वाले स्टूडेंट्स की मुश्किलें एक जैसी ही लगती हैं। यहां के संतकबीर हॉस्टल की हालत तो कुछ यही बयां कर रही है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी के हॉस्टल्स की पड़ताल में लगे दैनिक जागरण - आई नेक्स्ट ने इस अभियान की दूसरी कड़ी में जब संतकबीर हॉस्टल का हाल जानने की कोशिश की तो एनसी हॉस्टल की ही तरह यहां भी हॉस्टलर्स मेस से लेकर सफाई आदि व्यवस्थाओं को लेकर परेशान दिखे।

यहां तो 20 साल से मेस नहीं

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर जब डीडीयूजीयू के संतकबीर हॉस्टल में पहुंचा तो यहां के हालात हॉस्टलर्स की मुश्किलों का दास्तां बयां करते मिले। हॉस्टल के मेस की हालत तो मानो किसी खंडहर जैसी हो चुकी है। वर्तमान में मेस के दरवाजे पूरी तरह से दीमक के हवाले हो चुके हैं। झाले लगे इन कमरों का इस्तेमाल आरओ मशीन लगाने के लिए किया गया है। कुछ हॉस्टलर्स से बातचीत हुई तो पता चला कि यहां पर मेस की सुविधा 20 साल से बंद है। जिसके चलते उन्हें खुद ही खाना पकाना पड़ता है। वहीं यहां पानी की भी किल्लत होती है। लेकिन जिम्मेदार समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं।

ये पानी तो कर देगा बीमार

वर्षो से बंद पड़ी मेस के अंदर ही लगी आरओ मशीन की हालत तो और भी खराब है। बेहद गंदे कमरे में लगी मशीन काफी जर्जर हालत में धूल फांक रही है। अब ऐसे में सोचा जा सकता है कि इस मशीन से निकलने वाला पानी पीने से स्टूडेंट्स की सेहत पर क्या असर पड़ रहा होगा। वहीं, हॉस्टल के भीतर सफाई के लिए तैनात तीन सफाई कर्मचारी भी गायब रहते हैं। खानापूर्ती के लिए सुबह के वक्त सफाई कर देते हैं, फिर पूरे दिन गायब रहते हैं। हॉस्टलर्स के मुताबिक इसकी भी कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई फायदा नहीं मिलता है।

फीस पूरी, सुविधा कुछ नहीं

संतकबीर हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स यहां की अन्य व्यवस्थाओं से भी काफी परेशान हैं। हॉस्टलर्स ने बताया कि बड़े जोरशोर से यहां वाई-फाई की वायरिंग की गई थी, लेकिन अभी तक इसे चालू नहीं करवाया जा सका है। वहीं, समय से हॉस्टल का एलॉटमेंट ना हो पाना भी इन लोगों की एक बड़ी समस्या है। हॉस्टलर्स का कहना था कि 4100 रुपए सालाना फीस ली जाती है लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं मिलता है। दिक्कतों के बारे में वार्डेन और सुप्रिटेंडेंट से कुछ कहने पर वे कुछ करते ही नहीं।

स्टैंड नहीं तो कहां रखें साइकिल

रिपोर्टर को यहां के बरामदे में लाइन से साइकिल और बाइक्स रखीं दिखीं। हॉस्टल के अंदर ही साइकिल और बाइक्स रखे जाने के बारे में हॉस्टलर्स से पूछा तो पता चला कि यहां साइकिल और बाइक स्टैंड नहीं है। इसी के चलते स्टूडेंट्स गलियारों में ही साइकिल खड़ी कर देते हैं। इसके अलावा यहां लाइब्रेरी से लेकर खेलकूद के लिए भी कोई इंतजाम नहीं है।

संतकबीर हॉस्टल - एक नजर

वार्डेन - प्रो। संजय बैजल

सुप्रिटेंडेंट - डॉ। एके दीक्षित

- टोटल कमरे - 148

- जर्जर कमरे - 6

- कर्मचारियों के लिए कमरे - 2

- वार्डेन के लिए ऑफिस - 1

- सुप्रिटेंडेंट के लिए ऑफिस- 1

- आउटसोर्सिग कर्मचारी - 16

- आरओ - 2

सीसीटीवी कैमरे - 2

कोट्स

सप्लाई का पानी नहीं आता है। जो आता भी है तो गंदा पानी होता है। पीने के पानी के लिए बहुत दिक्कत है। मेस की सुविधा नहीं है। अक्सर हॉस्टल में गंदगी रहती है।

- धर्मेद्र कुमार, स्टूडेंट एमए फ‌र्स्ट इयर

मैं रूम नंबर एक में रहता हूं। इससे पहले इसमें समीर गुप्ता रहते थे जो टीचर हो गए। इस रूम की खासियत है कि जो भी इस रूम में रहता है उसका कॅरियर अच्छा होता है।

- बालकेश्वर, स्टूडेंट एमए फ‌र्स्ट इयर

मैं सिविल सेवा के क्षेत्र में करियर बनाना चाहता हूं, कम से कम हॉस्टल में लाइब्रेरी की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि हम महापुरुषों की जीवनी के साथ-साथ समसामायिक गतिविधियों से भी अवगत हो सकें।

- उमा माहेश्वर पांडेय, स्टूडेंट एमए फाइनल इयर

पानी की सबसे बड़ी समस्या है। सफाई तो कभी होती ही नहीं है। यहां पर हॉस्टलर्स के लिए लाइब्रेरी की सुविधा होनी चाहिए।

- अखिलेश, स्टूडेंट एमए फ‌र्स्ट इयर

वर्जन

हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास किया जाता है। सफाई व्यवस्था पूरी तरह से होती है। पानी की व्यवस्था ठीक है। कहीं कोई दिक्कत नहीं है।

- प्रो। संजय बैजल, वार्डेन, संतकबीर हॉस्टल, डीडीयूजीयू