कदम-कदम पर रौंदी जा रही लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें
देर रात तक गुलजार रहते हैं हॉस्टल, बाहरी भी लगे छात्र नेताओं के साथ
ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े डिग्री कॉलेजेस में सीधे तौर पर धनबल और बाहुबल की धमक देखने को मिल रही है। मंगलवार को इविवि के ताराचन्द्र हास्टल के बाहर बसपा नेता राजेश यादव की गोली मारकर हत्या किये जाने के बाद जहां पुलिस और प्रशासन के अधिकारी एलर्ट मोड में आ गये हैं। वहीं, चुनावी रण में किस्मत आजमा रहे दबंग किस्म के छात्रनेताओं की हनक भी बढ़ चली है। कोचिंग संस्थानो और धन्नासेठों से पैसा एठने की कला में माहिर छात्रनेता अपनी पूरी रौ में आ चुके हैं।
बेअसर दिख रहा हास्टल वॉशआउट
बताते चलें कि इविवि में चुनाव से पहले ही सभी हास्टल्स को खाली करवा लिया गया था। करेंट में हास्टल में ज्यादातर या तो पुराने वैध छात्र हैं या प्रथम वर्ष में प्रवेश पाने वाले नव प्रवेशी। लेकिन, हास्टल के भीतर से जो जानकारी छनकर सामने आ रही है। उसमें बताया जा रहा है कि दिन और रात में हास्टल्स में अपराधियों, प्रत्यासी और उनके समर्थकों के बीच का गठजोड़ बढ़ता ही जा रहा है। ताराचन्द्र हास्टल की घटना भी इसी वजह से हुई थी।
टॉप के बदमाश, सांसद-विधायकों की बढ़ी दिलचस्पी
बताया जा रहा है कि छात्रसंघ चुनाव में जीत और हार की गणित तथा पानी की तरह बहाये जा रहे पैसे की रणनीति हास्टल्स के भीतर से ही तैयार की जा रही है। ऐसे में खुफिया विभाग की भी पूरी नजर हास्टल्स में आ जा रहे लोगों पर बनी हुई है। जानकारों की मानें तो हर बार की तरह इस बार भी पूर्वाचल समेत दूसरे जगहों के टॉप के बदमाश और बाहुबली सांसद और विधायक भी अपने समर्थक प्रत्यासी को जिताने के लिये चुनाव में पैसा लगा रहे हैं। बहरहाल, छात्रावासों में जिन मुट्ठीभर छात्रों ने हाल ही में नया प्रवेश लिया है। उनमें ज्यादातर ने चुनाव तक अपने घरों का रूख कर लिया है। इंटर कॉलेज से निकलकर यूनिवर्सिटी में पहुंचे ऐसे छात्रों के लिये चुनावी दंगल का ऐसा नजारा बिल्कुल नया अनुभव है।
Vivek Gond
दबंग छात्र और अराजक तत्व वॉशआउट के दौरान भले गायब हो गए हों लेकिन वे फिर से काबिज हो गए हैं। वही माहौल को बिगाड़ रहे हैं। प्रशासन को सख्त कदम उठाना होगा तभी स्थितियां नियंत्रण में आएंगी।
Zafar Ahmad
अराजक तत्वों का राज तो हुआ ही है। सरकार भी शासन प्रशासन में बिलकुल फेल है। सरकार सख्त कदम क्यों नही उठा रही। क्यों नहीं पता लगाया जा रहा है कि हॉस्टल में रात दो बजे असलहे कहां से आए।
Meetu
हॉस्टल में समय-समय पर चेकिंग होनी चाहिये। एक दिन कार्रवाई करके शांत पड़ जाने से कुछ नहीं होने वाला है। हॉस्टल में गोली-बम चला, मतलब साफ है वॉशआउट के बाद हॉस्टल्स की चेकिंग नहीं हुई।
Neera Tripathi
हॉस्टल के भीतर हत्या हो जाना दर्शाता है कि यहां कभी भी कोई भी घटना होना संभव है। इससे यह संकेत भी मिलता है कि हॉस्टल्स के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। पुलिस और प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे तभी यहां दबंगों का प्रभाव कम होगा।
Ripu Sudan
राजेश यादव की हत्या से पता चलता है कि हास्टल वाशआउट कदम जनता को मूर्ख बनाने के लिये था। ऐसा प्रतीत होता है कि अब भी अराजकता पर सरकार लगाम नहीं लगा पा रही है। लॉ एंड आडर्र का मजाक दबंग उड़ा रहे हैं। यह चिंता का विषय है।