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PATNA: बिहार प्राकृतिक आपदा की मार से हर साल जान-माल की भारी क्षति की मार झेलता है। इन प्राकृतिक आपदा में भूकंप भी शामिल है। बिहार भारत के भूकंप मानचित्र पर संवेदनशीलता की दृष्टि से सिसमिक जोन चार और पांच में आता है। इसे अधिक संवेदनशील माना गया है। इसपर रिसर्च और नई जानकारी जुटाने और इस जानकारी के जनउपयोगी प्रचार-प्रसार के लिए बिहार सरकार ने तीन वर्ष पहले एडवांस सेंटर ऑफ सिसमिक रिसर्च की स्थापना करने का निर्णय लिया था। लेकिन आलम यह है कि इसे लेकर सरकारी विभागों में तालमेल और तत्परता की कमी के कारण यह अभी तक 'चंद कागजों' तक ही सीमित है।

दो परियोजनाएं एक कैंपस में

सायंस कालेज में तकनीकी रूप से दो महत्वपूर्ण चीजों की स्थापना की जानी है। एक, बिहार सरकार की परियोजना जिसमें एडवांस सेंटर ऑफ सिसमिक रिसर्च शामिल है। दूसरा, बिहार सिसमिक टेलीमेटरी नेटवर्क। यह दूसरी योजना इंडियन मेट्रोलॉाजिकल डिपार्टमेंट और बिहार सरकार की सम्मिलत योजना है। पहली योजना के क्रियान्वयन में बिहार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है। एडवांस सेंटर ऑफ सिसमिक रिसर्च की बिल्डिंग की डिजाईन आपदा प्राधिकरण और भवन निर्माण विभाग ने मिलकर किया है। इस परियोजना पर चार करोड़ ब्ब् लाख रूपये खर्च होंगे। यह भूगर्भशास्त्र विभाग के अंतर्गत कार्य करेगा। इसके लिए साइंस कालेज कैंपस के अंदर लोकेशन चिन्हित कर लिया गया है।

क्या लाभ होगा सेंटर बनने से

इस बारे में पटना साइंस कालेज के प्रिंसिपल प्रो। एमएन सिन्हा ने कहा कि भूकंप की गतिविधि की चौबीसों घंटे जानकारी के लिए उत्तर बिहार के करीब दस जिलों को चिन्हित किया गया है। हिमालय की तराई में इन जिलों में सिस्मोग्राफ लगाया जाएगा। इन सभी सिसमोग्राफ की डाटा रिपोर्ट का मुख्य संग्रह केन्द्र साइंस कालेज में बने एडवांस सेंटर ऑफ सिसमिक रिसर्च में भेजा जाएगा। यहां इसकी जानकारी का अध्ययन और रिसर्च यहां के भूगर्भशास्त्र के पीजी के स्टूडेंट्स करेंगे। हालांकि इसमें भूगर्भशास्त्र के शिक्षकों का रोल अभी स्पष्ट नहीं है। साइंस कालेज में भी सिस्मोग्राफ लगाया जाएगा।

क्यों हो रहा है लेट

आखिर इस योजना में विलंब क्यों हो रहा है। इस बात का कोई स्पष्ट जबाव नहीं दे रहा है। योजना को लेकर मुख्य सचिव से लेकर कालेज स्तर पर चर्चा और कई बैठके हो चुकी है। जमीन एलॉट हो गया है लेकिन जमीनी तौर पर कुछ नहीं हुआ है। साइंस कालेज के प्रिंसिपल प्रो। एमएन सिन्हा ने कहा कि इसमें एक साथ कई सरकारी विभाग हैं और एक फाइल को दूसरे डिपार्टमेंट तक जाते-जाते और स्वीकृति मिलते-मिलते महीनों लग जाता है। इसके कारण योजना की रूपरेखा तय होने और फंड मिल जाने के बाद भी काम धीमी गति से चल रहा है। हालांकि भवन निर्माण की प्रशासनिक अनुमति मिल जाने से काम में तेजी आएगी।

यह सेंटर भूकंप की स्टडी और रिसर्च के लिए स्टेट ऑफ आर्ट होगी। अब तक भारत में गुजरात में ही ऐसा सेंटर स्थापित किया गया है। नेपाल से सटे होने से बिहार भी संवेदनशील क्षेत्र है। छात्रों को भी इसका लाभ मिलेगा।

- प्रो। एमएन सिन्हा प्रिंसिपल साइंस कालेज