-ग्रह दशाओं में परिवर्तन से लोग हो जाते हैं मजबूर

- पूर्णिमा के दौरान चांद की स्थितियां बदलने पर लोग करते हैं सुसाइड

- एक पखवारे के भीतर 10 से अधिक लोगों ने लगाया मौत को गले

GORAKHPUR:

ग्रह दशाओं का परिवर्तन लोगों को सुसाइड करने पर मजबूर कर रहा है। अचानक होने वाली सुसाइड की घटनाओं का संबंध ज्योतिष विज्ञान से है। इतना ही नहीं पूर्णिमा के दौरान चांद की स्थितियां बदलने पर भी लोग सुसाइड अटैंप्ट करते हैं। चौंक गए न लेकिन यह सच है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर सुसाइड का ग्रह दशाओं और ज्योतिष से क्या संबंध है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ऐसा कैसे हो रहा है। कैसे पूर्णिमा की रात करीब आते ही सुसाइड की घटनाएं अचानक से बढ़ जाती हैं।

सिटी में अचानक बढ़ गई सुसाइड की घटनाएं

एक पखवारे के भीतर क्0 से अधिक लोगों ने मौत को गले लगा लिया। उनकी फैमिली में सब कुछ ठीक चल रहा था। अचानक ऐसा क्या हुआ कि वे मौत की राह पर चल पड़े। किसी ने नदी में कूदकर तो किसी ने फंदा लगाकर जान गंवाई। बड़हलगंज एरिया में एक प्रेमी युगल ने जहर खाकर जान दी तो तरंग रेलवे क्रासिंग के पास एक अधेड़ ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली। नौसढ़ में शराब पीने के लिए पैसे न मिलने पर एक युवक ने पहले खुद को जलाकर मारने की कोशिश की। घरवाले उसको जिला अस्पताल ले गए तो वह जिला अस्पताल से भागकर राजघाट पुल पहुंच गया। उसने नदी में कूदकर जान दे दी। इसके पहले ख्8 मार्च को रेलवे के एक इंजीनियर के बेटे ने फंदे से लटककर खुदकुशी की थी। कुछ दिनों पहले बेतियाहाता में एक अधेड़ ने फांसी लगा लिया था। सबसे खास बात यह है कि ये सारी घटनाएं पूर्णिमा के आस-पास घटित हुई

ज्योतिष विज्ञान में कैसे होता है प्रभाव

कारण एक

सिटी के ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में पंचमेष पंचम भाव का स्वामी कमजोर या संक्रमित होता है। उनका चंद्रमा कमजोर या संक्रमित हो जाता है। ऐसे लोगों में सुसाइड करने की भावना बढ़ जाती है। पूर्णिमा के दौरान यह परिस्थितियां ज्यादा प्रभावी होती हैं। इसी समय शनि के वक्री होने की वजह से अधिकतर लोग अनिद्रा, डिप्रेशन जैसे रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। इससे ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं जिससे लोग सुसाइड करने को मजबूर होते हैं।

कारण दो

मंगल उन्माद का देवता है। चंद्रमा और मंगल दोनों से इमोशन आते हैं। मंगल प्रतिकूल प्रभाव देता है। जिससे आत्मघाती इमोशन के पैदा होने के कारण सुसाइड की घटनाएं बढ़ती हैं। पूर्णिमा के करीब आने पर जिस तरह से इसका असर ज्चार भाटा पर पड़ता है। उसी तरह से असामान्य व्यवहार होने पर लोग कोई भी आत्मघाती कदम उठा लेते हैं, क्योंकि उस दौरान भावनाएं बलवती हो जाती हैं।

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक

मनोचिकित्सक कहते हैं कि इमोशन के बढ़ने से लोग सुसाइड का कदम उठाते हैं। फैमिली से नाराजगी, असफलता, उपेक्षा जैसी कई वजहें हैं जिनसे लोग सुसाइड कर लेते हैं। ज्योतिष में भी इमोशन के बढ़ने की बात सामने आई है।

आंतरिक तनाव को बढ़ा देती है परिस्थितियां

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्णिमा के दौरान चांद की स्थितियां बदलने पर आंतरिक उदोलन बढ़ जाता है। इससे बेचैनी और डिप्रेशन की शिकायत हो जाती है। यह एक फैक्टर है इसको लेकर स्टडीज चल रही है। सुसाइड के लिए ज्यादातर महिलाएं अटैंप्ट करती हैं, लेकिन मेल इसको पूरी तरह से फॉलो करते हैं जिससे वे सुसाइड में बच न सकें। महिलाओं में भी कम उम्र की लड़कियां ज्यादा अटैंप्ट करती हैं जबकि मेल में यह खतरा उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता है। सुसाइड के लिए महिलाएं कम खतरनाक तरीके अपनाती हैं लेकिन पुरुष हिंसा का सहारा लेकर खुद को खत्म करने की कोशिश करते हैं। महिलाओं में डिप्रेशन के साथ बहुत गुस्सा पाया जाता है लेकिन पुरुषों में डिप्रेशन के साथ होललेसनेस की स्थिति होती है।

राजघाट पुल, रेलवे लाइन को बनाया सहारा

सिटी में राजघाट पुल सुसाइड प्वाइंट बन गया है। राजघाट पुल पर जाली न लगने से लोग नदी में कूदकर जान दे देते हैं। सिटी में हुई ज्यादातर घटनाओं में मरने वालों ने राजघाट पुल को सहारा बनाया है। इसके अलावा ट्रेन से कटने और फंदा लगाकर जान देने की घटनाएं भी होती है। जहर खाकर जान देने की घटनाएं भी सामने आती है।

चांद की स्थितियां बदलने पर आंतरिक उदोलन, बेचैनी बढ़ जाती है। जिससे डिप्रेशन के शिकार लोग सुसाइड कर लेते हैं। इस धारणा के ठोस प्रमाण के लिए मनोवैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं।

डॉ। धनंजय कुमार, साइकोलॉजिस्ट

पूर्णिमा के लगभग, दिन करीब आने पर उत्तेजना ज्यादा होती है। अतिभावुकता की दशा में जान देने जैसे दुस्साहसी कदम लोग उठा लेते हैं।

पंडित नरेंद्र उपाध्याय, ज्योतिषाचार्य

पूर्णिमा और इसके आसपास होने वाले परिवर्तन से सुसाइडल इमोशन में बढ़ोत्तरी हो जाती है। डिप्रेशन के शिकार लोग अ‌र्द्धविक्षिप्त हो जाते हैं। असामान्य व्यवहार करने वाले इस दौरान सुसाइड की राह पर चल पड़ते हैं।

पंडित शरद चंद्र मिश्र, ज्योतिषाचार्य

क्या हैं आत्महत्या करने की वजहें

सिटी के ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि पूर्णिमा के करीब आते ही सुसाइड के केसेज बढ़ जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार इस दौरान ये बदलाव आते हैं।

-उत्तेजना ज्यादा होने लगी है।

-ओवर कांफिडेंट आ जाता है।

-अति भावुकता बढ़ जाती है।

-किसी तरह का दुस्साहस करने की क्षमता आ जाती है।

कुछ प्रमुख घटनाएं

-दो अप्रैल को तरंग के पास एक बुजुर्ग ने ट्रेन से कटकर जान दी

-आठ अप्रैल को पीपीगंज एरिया में युवक ने फांसी लगाई

-नौ अप्रैल को पिपराइच में अधेड़ ने ट्रेन के आगे कूद कर जान गंवाई

-सात अप्रैल कैंट एरिया में महिला फंदे से झूली

-क्ख् अप्रैल को पिपराइच एरिया में महिला ने सुसाइड किया

-फ्क् मार्च को बड़हलगंज एरिया में प्रेमी युगल ने जहर खा लिया