पांच मैचों में उसे तीन में डिफीट झेलनी पड़ी है जिसमें पुणे वारियर्स के अगेंस्ट मैच भी शामिल है जिससे सुपरकिंग्स के महज चार प्वाइंट है। 2010 में भी वे वापसी से पहले बाहर होने की कगार पर थे लेकिन बाद में टीम ने ट्राफी जीत ली थी।

 

पुणे के छह प्वाइंट हैं और उसका रन रेट चेन्नई से कहीं बेहतर है जिससे वह इस मैच में अच्छी पोजीशन में दिख रही है।

आईपीएल के इस सीजन के ट्रेंड को देखते हुए ऐसे मैच में प्रिडिक्ट करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सुपरकिंग्स पहले भी इस हालत में रह चुका है और उसके एक्सपीयरेंस को देखते हुए उसे वारियर्स को शिकस्त देनी चाहिए।

सुपरकिंग्स की टीम अपने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से अच्छे परफार्मेंस  की आस लगाए होगी जैसा कि उन्होंने पिछले सीजन में किया था जिससे टीम का भाग्य ही बदल गया था.  चेन्नई सुपरकिंग्स की टीम अपने होम ग्राउंड पर खेलते हुए यहां पर लास्ट  मैच के परफारमेंस  को रिपीट करना चाहेगी जिसमें उसने रायल चैलेंजर्स बेंगलूर के अगेंस्ट अंतिम गेंद पर पांच विकेट की सनसनीखेज जीत दर्ज की थी।

चेन्नई की टीम इस बात से भी इंस्पायर हो सकती है कि इस सीजन के तीन मैचों में उसे जो हार मिली है, वे काफी करीबी मैच रहे और ऐसा केवल इसलिए हुआ क्योंकि वे बतौर टीम नहीं खेल पाए।

मुरली विजय अभी तक कुछ बेहतर नहीं कर पाए हैं लेकिन उनके सलामी जोड़ीदार फाफ डु प्लेसिस ने अपनी इंर्पोटेंस साबित कर दी है। आल राउंडर रविंदर जडेजा ने भी खेल दिखाया है।

वहीं पुणे वारियर्स के लिए एकजुट होकर प्रदर्शन करना बहुत जरूरी है क्योंकि उनकी टीम सुपरकिंग्स की तरह बैलेंस्ड नहीं है।

कप्तान सौरव गांगुली के लिए बेंगलूर में एक्साइटिंग मैच में रायल चैलेंजर्स बेंगलूर से मिली शिकस्त से रिस्पांसिबिलिटी और बढ़ गई है क्योंकि अब उन्हें अपने प्लेयर्स को कलेक्टिव परफारमेंस के लिए मोटिवेट करना होगा। पुणे की टीम अपने ओपनर्स जेसी राइडर और रोबिन उथप्पा पर डिपेंड होगी कि वे उन्हें र्स्टांग ओपनिंग दें। लोअर आर्डर में टीम की उम्मीदें स्टीवन स्मिथ पर टिकी होंगी।

गांगुली भी अपनी एबिलिटी के अकॉर्डिंग नहीं खेल पाए हैं और वारियर्स की टीम उनसे डिफेंडिंग  चैम्पियन के खिलाफ अटैकिंग गेम की उम्मीद लगाए होगी।

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